वैज्ञानिकों को डायबिटीज की एक नई दवा की मदद से हार्ट फेलियरहार्ट अटैक और स्ट्रोक के चलते अस्पताल में भर्ती होने के खतरे को उल्लेखनीय ढंग से कम करने में कामयाबी मिली है। मंगलवार को अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के इस साल के साइंटिफिक सेशन के दौरान प्रेजेंटेशन देते हुए वैज्ञानिकों ने बताया कि उन्होंने टाइप 2 डायबिटीज और क्रॉनिक किडनी डिसीज (केसीडी) के मरीजों के हार्ट फेलियर, हार्ट अटैक और स्ट्रोक की वजह से अस्पताल में एडमिट होने के खतरे को सोटाग्लिफ्लोजिन नाम की इस दवा से कम करके दिखाया है। यह दवा एसजीएलटी2 नामक ड्रग इनहिबिटर्स की श्रेणी में आती है, जिन्हें टाइप 2 डायबिटीज के वयस्क मरीजों के ब्लड शुगर को कम करने के लिए प्रेस्क्राइब किया जाता है। खबर के मुताबिक, सोटाग्लिफ्लोजिन अपनी तरह का पहला डुअल एसजीएलटी2/1 इनहिबिटर है, जिसे टाइप 1 डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज दोनों के क्लिनिकल मैनेजमेंट के लिए तैयार किया गया है।

  1. सोटाग्लिफ्लोजिन का दिखा सकारात्मक असर
  2. कैसे किया गया अध्ययन?

इस ड्रग की क्षमता को अमेरिका के ब्रिघम एंड विमन्स हॉस्पिटल हार्ट एंड वस्क्युलर सेंटर (बीडब्ल्यूएचएचवीसी) द्वारा आजमाया गया था। इस अध्ययन के परिणामों की समीक्षा करने वाले प्रमुख लेखक डॉ. दीपक एल भट्ट का कहना है, 'टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में हृदय रोग और किडनी की बीमारी तथा उनके गंभीर कॉम्प्लिकेशन होने का खतरा अधिक होता है। अन्य एसजीएलटी2 इनहिबिटर्स (आधारित ड्रग्स) के हालिया ट्रायलों में यह लगातार सामने आया है कि इनके इस्तेमाल से हार्ट फेलियर के मामलों में कमी होती है। इसलिए हम टाइप 2 डायबिटीज और केसीडी के वयस्क मरीजों पर सोटाग्लिफ्लोजिन को आजमाकर इसकी सुरक्षा और क्षमता का आंकलन करना चाहते थे।' यहां बता दें कि हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर होने के अलावा डॉ. भट्ट बीडब्ल्यूएचएचवीसी के इंटरवेंशनल कार्डियवस्क्युलर प्रोग्राम के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर भी हैं।

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शोधकर्ताओं ने सोटाग्लिफ्लोजिन के प्रभावों की जांच के लिए एक रैंडमाइज्ड, प्लसीबो-कंट्रोल्ड और मल्टीसेंटर आधारित स्टडी करने का फैसला किया। उन्होंने इसके सुनियोजित ट्रायल को 'स्कोर्ड' नाम दिया और इसमें दस हजार से ज्यादा लोगों को शामिल किया। इन लोगों की औसत उम्र 69 वर्ष थी, जिनमें से 45 प्रतिशत महिलाएं और 17 प्रतिशत नॉन-वाइट प्रतिभागी भी शामिल थे। सभी लोग टाइप 2 डायबिटीज और केसीडी से ग्रस्त थे। इनमें से कुछ को सोटाग्लिफ्लोजिन दी गई तो कुछ को दवा के परिणामों की तुलना करने के लिए प्लसीबो ड्रग दिया गया। हालांकि कोविड-19 संकट के चलते ट्रायल की फंडिंग रुक गई, जिस कारण इसे बीच में ही रोकना पड़ा। हालांकि तब तक जितने लोगों को दवा दे दी गई थी, उनमें से कइयों को 16 महीनों तक फॉलोअप कर लिया गया था। इस दौरान सोटाग्लिफ्लोजिन के कई फायदों का पता चला, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

  • हृदय संबंधी कारणों के चलते होने वाली मौतों, हार्ट फेलियर के कारण अस्पताल में भर्ती होने के मामलों या इसी की वजह से तुरंत अस्पताल जाने के मामलों में 26 प्रतिशत तक की गिरावट हो गई
  • हार्ट अटैक और स्ट्रोक से जुड़े कुल मामलों में उल्लेखनीय कमी देखी गई
  • जिन मरीजों के किडनी संचालन में मध्यम से गंभीर स्तर की खराबी आई थी, उनके बढ़े हुए ब्लड ग्लूकोस लेवल में भी उल्लेखनीय कमी देखी गई

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