डायबिटीज एक कॉम्लेक्स कंडीशन है. जब भी किसी को डायबिटीज होती है, तो इसके होने के पीछे कई कारक हो सकते हैं, जैसे - मोटापा, खराब लाइफस्टाइल, हेल्थ कंडीशन और जेनेटिक भी इसके होने का एक कारण हो सकता है. आनुवंशिक कारक डायबिटीज के प्रति कुछ लोगों को संवेदनशील तो बना सकते हैं, लेकिन डायबिटीज को वंशानुगत बीमारी कहना सही नहीं होगा. अगर आपके परिवार में किसी को पहले से डायबिटीज है और आपका लाइफस्टाइल हेल्दी नहीं है, तो आपको डायबिटीज होने की पूरी आशंका है. डायबिटीज होने के कारकों में आनुवंशिक कारणों से अधिक लाइफस्टाइल फैक्टर ज्यादा महत्वपूर्ण हैं.

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आज इस लेख में आप जानेंगे कि डायबिटीज को वंशानुगत बीमारी कहा जा सकता है या नहीं -

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  1. क्या डायबिटीज पीढ़ी दर पीढ़ी होने वाली बीमारी है?
  2. डायबिटीज से बचने के तरीके
  3. सारांश
क्या डायबिटीज वंशानुगत बीमारी है? के डॉक्टर

डायबिटीज के 4 प्रकार माने गए हैं - टाइप 1 डायबिटीज, टाइप 2 डायबिटीज, जेस्टेशनल डायबिटीज और डायबिटीज इंसिपिडस. चारों ही प्रकार के डायबिटीज में आनुवंशिक फैक्टर अहम रोल अदा कर सकता है. सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के मुताबिक, टाइप 2 डायबिटीज सबसे आम है, जिसका शिकार 90 से 95 फीसदी लोग होते हैं. आइए, विस्तार से जानते हैं -

टाइप 1 डायबिटीज

टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून डिजीज है. यह समस्या तब होती है, जब शरीर के इम्यूटन सिस्टम गलती से हेल्दी सेल्स पर अटैक करते हैं. आमतौर पर टाइप 1 डायबिटीज बच्चों में देखी जाती है, लेकिन ये किसी भी उम्र में विकसित हो सकती है. पहले डॉक्टर मानते थे कि इस प्रकार की डायबिटीज सिर्फ आनुवंशिक होती है, लेकिन कई शोधों में ये बात साबित हो चुकी है कि टाइप 1 डायबिटीज से ग्रस्त सभी लोगों को फैमिली हिस्ट्री के कारण ऐसा हो, ये जरूरी नहीं.

कुछ जेनेटिक फीचर्स भी टाइप 1 डायबिटीज के विकसित होने का कारण बन सकते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, इस तरह की डायबिटीज से ग्रस्त मरीज में जीन में बदलाव होने से खास प्रोटीन का निर्माण होता है, जो इम्यून सिस्टम को प्रभावित करता है.

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टाइप 2 डायबिटीज

टाइप 2 डायबिटीज आनुवंशिक हो सकती है, लेकिन पर्यावरण फैक्टर्स इसमें अहम भूमिका निभाते हैं. फैमिली हिस्ट्री में टाइप 2 डायबिटीज किसी को है, तो इसका मतलब ये नहीं कि परिवार के सभी मेंबर्स को होगी, लेकिन अगर आपका लाइफस्टाइल अच्छा नहीं है और आपके पेरेंट्स या सिबलिंग्स को डायबिटीज है, तो आपको डायबिटीज होने का खतरा कई गुना हो सकता है.

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जेस्टेशनल डायबिटीज

आमतौर पर जेस्टेशनल डायबिटीज प्रेगनेंसी के दौरान कई महिलाओं को होती है और डिलीवरी के बाद अपने आप ठीक भी हो जाती है. वहीं, कुछ मामलों में ये टाइप 2 डायबिटीज में बदल जाती है. जेस्टेशनल डायबिटीज जिन महिलाओं को होता है, उनके फैमिली में किसी को जेस्टेशनल डायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज होती है या हो चुकी होती है. सीडीसी के अनुसार, आने वाले समय में जेस्टेशनल डायबिटीज वाली सभी महिलाओं में से 50 फीसदी महिलाओं को टाइप 2 डायबिटीज हो सकती है. हालांकि, ऐसा क्यों होता है इसको लेकर वैज्ञानिक अभी पुख्ता सबूत नहीं जुटा पाए हैं.

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डायबिटीज इंसिपिडस

डायबिटीज इंसिपिडस को टाइप 1 व टाइप 2 डायबिटीज से बिल्कुल अलग माना गया है. ये दोनों प्रकार के डायबिटीज मेलेटस हैं और इनसे या तो पैंक्रियास में हार्मोन इंसुलिन का उत्पादन प्रभावित होता है या शरीर की उस इंसुलिन को उपयोग करने की क्षमता प्रभावित होती है. हालांकि, डायबिटीज इन्सिपिडस इंसुलिन या शरीर द्वारा रक्त शर्करा का उपयोग करने के तरीके को प्रभावित नहीं करता है. इसकी जगह यह पिट्यूटरी ग्रंथि में खराबी के परिणामस्वरूप होता है और हार्मोन वैसोप्रेसिन के उत्पादन को प्रभावित करता है. इससे शरीर में पानी का संतुलन बदल जाता है. डायबिटीज इंसिपिडस दो प्रकार के होते हैं -

  • नेफ्रोजेनिक डायबिटीज इंसिपिडस - एक आनुवंशिक स्थिति है, जो माता-पिता से संतान को हो सकती है.
  • न्यूरोहाइपोफिसियल डायबिटीज इंसिपिडस - जो आंशिक रूप से वंशानुगत है. यह समस्या चोट लगने या ट्यूमर होने जैसे अन्य कारकों से भी हो सकती है.

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अगर किसी के परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी डायबिटीज की समस्या रही है, वो निम्न तरह के उपायों के जरिए खुद को इस बीमारी से बचा सकते हैं या उसके खतरे को कम कर सकते हैं -

टाइप 1 डायबिटीज

डायबिटीज के इस प्रकार से बचना तो मुश्किल है, लेकिन कुछ टिप्स के जरिए इसके असर को थोड़ा कम किया जा सकता है -

  • नवजात शिशु को कम से कम 6 माह तक स्तनपान जरूर करवाएं.
  • बच्चे को इंफेक्शन से बचाने के लिए तय समय पर सभी टीके जरूर लगाएं और बच्चे को अच्छी हाइजीन की आदतें सिखाएं, जैसे - अपने आसपास सफाई रखना और समय-समय पर हाथ धोना.

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टाइप 2 डायबिटीज

सभी डाक्टरों का मानना है कि अच्छी जीवनशैली का पालन करके, नियमित रूप से व्यायाम व योग करने और संतुलित आहार का सेवन करने से टाइप 2 डायबिटीज से बचा जा सकता है. अमेरिकन डायबिटीज एसोसिशन के अनुसार, 45 वर्ष के बाद समय-समय पर बॉडी चेकअप करवाते रहना चाहिए. इससे होने वाली बीमारी काे समय रहता पहचाना जा सकता है और उचित इलाज किया जा सकता है.

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डायबिटीज ऐसी समस्या है, जो किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है. आमतौर पर बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज और व्यस्कों में टाइप 2 डायबिटीज देखी गई है. वहीं, गर्भवती महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज के विकसित होने की आशंका रहती है. इन तीनों प्रकार की डायबिटीज के होने के पीछे हेरिडिट्री फैक्टर्स किसी न किसी रूप में जिम्मेदार हैं. बेशक, जेनेटिक कारक अहम रोल अदा नहीं करते, बल्कि इनके साथ कई और फैक्टर जैसे लाइफस्टाइल, वायरस, हेल्थ कंडीशन और अन्य एनवायनमेंटल कारक मुख्य भूमिका अदा करते हैं, जोकि डायबिटीज होने के लिए जिम्मेदार होते हैं.

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