डायबिटीज एक मेटाबॉलिक बीमारी है. इसमें व्यक्ति के शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है. दरअसल, जब शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है, तो डायबिटीज के लक्षण नजर आने लगते हैं. डायबिटीज नसों, आंखों, किडनी और शरीर के अन्य हिस्सों को नुकसान पहुंचा सकता है. डायबिटीज से हृदय मुख्य रूप से प्रभावित होता है, क्योंकि डायबिटीज और हृदय स्वास्थ्य आपस में जुड़े होते हैं. अगर किसी व्यक्ति को डायबिटीज है, तो उसका हृदय सीधे तौर पर प्रभावित हो सकता है. सामान्य लोगों की तुलना में डायबिटीज रोगियों को हृदय रोग होने की आशंका 2 गुना अधिक होती है.

आप यहां दिए ब्लू लिंक पर क्लिक करके जान सकते हैं कि डायबिटीज का आयुर्वेदिक इलाज क्या है.

आज इस लेख में आप डायबिटीज का हृदय पर पड़ने वाले असर के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. हृदय रोग के लक्षण
  2. डायबिटीज से हृदय कैसे प्रभावित होता है?
  3. डायबिटीज में हृदय रोग कितना आम है?
  4. डायबिटीज हृदय रोग के जोखिम को क्यों बढ़ाता है?
  5. डायबिटीज में हृदय रोग का जोखिम कैसे कम करें?
  6. सारांश
डायबिटीज का हृदय पर असर व समाधान के डॉक्टर

प्रीडायबिटीजटाइप 1 डायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज का असर सीधे तौर पर हृदय पर पड़ सकता है. अगर किसी को डायबिटीज है, तो हृदय रोग से संबंधित निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं -

अगर किसी को डायबिटीज है और साथ ही ये लक्षण भी महसूस हो रहे हैं, तो इस समस्या को बिल्कुल भी अनदेखा न करें, क्योंकि स्थिति गंभीर होने पर ये हृदय रोग का कारण बन सकते हैं.

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डायबिटीज से ग्रस्त मरीज को अन्य स्वास्थ्य समस्याएं होने की आशंका अधिक होती है, जो हृदय के स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकते हैं -

  • डायबिटीज होने पर हाई बीपी होने की आशंका रहती है. इस कारण से आर्टरी पर रक्त का दबाव पड़ता है और आर्टरी वॉल क्षतिग्रस्त हो सकती है. इन दोनों समस्याओं के साथ होने से हृदय रोग की आशंका बनी रहती है.
  • एलडीएल यानी खराब काेलेस्ट्रॉल का स्तर ज्यादा होने से रक्त वाहिकाओं में प्लाक जमने लगता है, जो आर्टरी वॉल को क्षतिग्रस्त कर सकता है.
  • हाई ट्राइग्लिसराइड, एचडीएल यानी अच्छे कोलेस्ट्रॉल का खराब स्तर और एलडीएल यानी खराब काेलेस्ट्रॉल का स्तर ज्यादा होने से आर्टरी सख्त हो जाती है, जिस कारण मरीज हृदय रोग का शिकार हो जाता है.

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डायबिटीज से ग्रस्त मरीज को हृदय रोग होना आम है. नेशनल हार्ट एसोसिएशन के अनुसार डायबिटीज वाले 65 प्रतिशत लोग किसी न किसी तरह के हृदय रोग या स्ट्रोक की वजह से अपनी जान गवां बैठते हैं. आपको बता दें कि सामान्य लोगों की तुलना में डायबिटीज वाले लोगों को हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम दोगुना अधिक होता है.

मधुमेह वाले सभी लोगों में हृदय रोग विकसित होने की आशंका काफी बढ़ जाती है. खासकर टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में हृदय रोग आम होता है. टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में हृदय रोग को गंभीर माना जाता है. टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों की हृदय रोग से मृत्यु दर 2 से 4 गुना अधिक होती है.

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डायबिटीज से ग्रस्त रोगियों में ब्लड शुगर का स्तर अधिक हो जाता है. अगर शुगर का स्तर अधिक होता है, तो इससे रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त होनी शुरू हो जाती हैं. इससे हृदय रोग की जटिलताएं बढ़ने लगती हैं. 

दरअसल, डायबिटीज में शरीर शुगर का उपयोग ठीक तरह से नहीं कर सकता है. इससे शुगर का अधिक स्तर रेड ब्लड सेल्स से चिपक जाता है और रक्त में जमा हो जाता है. यह स्थिति हृदय से रक्त ले जाने वाली वाहिकाओं को अवरुद्ध और क्षतिग्रस्त कर सकती है. इससे हृदय को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं. जब हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है, तो डायबिटीज रोगियों में हृदय रोग का जोखिम बढ़ने लगता है.

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डायबिटीज से हृदय रोग के जोखिम को कम भी किया जा सकता है. हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल की मदद से डायबिटीज के कारण रक्त वाहिकाओं को होने वाले नुकसान को रोकने में मदद मिल सकती है. इसके लिए आपको इन चीजों को कंट्रोल में रखने की जरूरत होती है.

  • ब्लड शुगर लेवल
  • ब्लड प्रेशर
  • कोलेस्ट्रॉल का स्तर 

इन तीनों को कंट्रोल में रखकर हृदय रोग के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है. ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रण में रखने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें. 

  • धूम्रपान करने से बचें. दरअसल, धूम्रपान करने से शरीर में रक्त का प्रवाह बाधित हो सकता है. इससे हृदय को नुकसान पहुंच सकता है.  
  • हृदय को स्वस्थ बनाए रखने के लिए बैलेंस डाइट लेना जरूरी होता है. 
  • शारीरिक रूप से सक्रिय रहें. इसके लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज और योगाभ्यास करें. 
  • डायबिटीज रोगियों में अक्सर वजन बढ़ने लगता है. ऐसे में हृदय रोग से बचाव के लिए डायबिटीज रोगियों को वजन को कंट्रोल में रखना जरूरी होता है. 

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डायबिटीज वाले लोगों को हृदय संबंधी समस्याएं होने का खतरा अधिक होता है. इसलिए, इस जोखिम को कम करने के लिए हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल फॉलो करना जरूरी होता है. इसके साथ ही ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने और हृदय रोग से बचने के लिए आप डॉक्टर की सलाह पर दवाइयों का सेवन करना भी शुरू कर सकते हैं.

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