चीन में हुए इस अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में यह पाया गया कि प्रमुख वायु प्रदूषक PM2.5 के संपर्क में लंबे समय तक रहने से मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। यह शोध पर्यावरण पर आधारित एनवायरनमेंट इंटरनेशनल नामक विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
एक दशक तक बड़े पैमाने पर किए गए इस अध्ययन में देखा गया कि लंबे समय तक 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर प्रदूषक की वृद्धि से बीमारी का जोखिम लगभग 15.7 प्रतिशत बढ़ गया था। अध्ययन से पता चला कि पीएम 2.5 का प्रतिकूल प्रभाव अध्ययन में शामिल युवा-से-मध्यम आयु वर्ग के लोगों, महिलाओं, धूम्रपान करने वालों और कम बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाले लोगों पर अधिक हुआ था। चीन में दुनिया के मधुमेह से पीड़ित रोगियों की सबसे अधिक संख्या है। यह ऐसा रोग है जो संपर्क से नहीं फैलता, इसके बावजूद चीन में मधुमेह के रोगी तेजी से बढ़ रहे हैं।
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पिछले कुछ वर्षों में बीजिंग जैसे शहरों में हवा की गुणवत्ता में सुधार के बावजूद हवा में पीएम 2.5 का स्तर अपेक्षाकृत अधिक है। चीन कि आधिकारिक समाचार एजेंसी, सिन्हुआ ने प्रदूषण और मधुमेह के बीच लिंक पर एक रिपोर्ट में कहा “मधुमेह के कारण दुनिया भर में पर्याप्त आर्थिक और स्वास्थ्य बोझ पड़ता है। हालांकि, वायु प्रदूषण और मधुमेह की घटनाओं के बीच संबंध शायद ही कभी विकासशील देशों में रिपोर्ट किया गया है, विशेष रूप से चीन में, जहां PM2.5 का स्तर अपेक्षाकृत अधिक है।”
शिन्हुआ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अध्ययन में पता चला कि चीन में मधुमेह की घटनाओं के लिए PM2.5 एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है और हवा की गुणवत्ता में निरंतर सुधार से चीन में मधुमेह की महामारी को कम करने में मदद मिलेगी।
शोध टीम ने 2004 से 2015 की अवधि के दौरान अध्ययन में शामिल प्रत्येक व्यक्ति के लिए PM2.5 के जोखिम का आकलन करने के लिए PM2.5 के उपग्रह-आधारित आंकड़ों का उपयोग किया। शोधकर्ताओं में से एक लू जियांगफेंग ने कहा कि इस अध्ययन से मधुमेह की रोकथाम के लिए नीति निर्माण और सरकारी हस्तक्षेप की योजना बनाने में मदद मिलेगी।
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चीन का अध्ययन बीते सप्ताहांत में जारी हुई संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट की पृष्ठभूमि में आया है। इस रिपोर्ट में प्रदूषण पर अंकुश लगाने में बीजिंग के प्रयासों की सराहना की गयी थी। बीजिंग में 20 साल के एयर पॉल्यूशन कंट्रोल की ए रिव्यू नामक रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण विभाग के नेतृत्व वाली टीम के अंतरराष्ट्रीय और चीनी विशेषज्ञों द्वारा दो साल में संकलित किया गया। इस रिपोर्ट में 1998 से 2017 के अंत तक के आंकड़े शामिल है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण के कार्यकारी एग्जीक्यूटिव निदेशक जॉइस मूस्या ने चीनी सरकारी मीडिया के हवाले से कहा “वायु गुणवत्ता में यह सुधार अचानक से नहीं हुआ। यह समय, संसाधनों और राजनीतिक इच्छाशक्ति के भारी निवेश का परिणाम था।” उन्होंने आगे कहा “बीजिंग की वायु प्रदूषण की कहानी को समझना किसी भी राष्ट्र, जिले या नगरपालिका के लिए महत्वपूर्ण है जो समान मार्ग का अनुसरण करना चाहता है।”
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