डायबिटीज को एक गंभीर बीमारी माना जाता है. यह शरीर के जरूरी अंगों जैसे - किडनी, हृदय और लिवर आदि को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है. इसके अलावा, डायबिटीज त्वचा से संबंधित समस्याएं भी पैदा कर सकती है. इसमें डायबिटीज रैश सबसे आम है. डायबिटीज वाले लोगों में त्वचा पर चकत्ते यानी रैश होने का जोखिम अधिक होता है. दरअसल, डायबिटीज में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है. इसकी वजह से त्वचा पर रैश होने लगते हैं. त्वचा के दाने प्री डायबिटीज का संकेत भी हो सकते हैं.

आप यहां दिए ब्लू लिंक पर क्लिक करके जान सकते हैं कि डायबिटीज का इलाज क्या है.

आज इस लेख में आप डायबिटीज रैश के लक्षण, कारण व इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. डायबिटीज रैश क्या है?
  2. डायबिटीज रैश के लक्षण
  3. डायबिटीज रैश के कारण
  4. डायबिटीज रैश का इलाज
  5. सारांश
डायबिटीज रैश के लक्षण, कारण व इलाज के डॉक्टर

डायबिटीज त्वचा को प्रभावित कर सकता है. डायबिटीज (टाइप 1 या टाइप 2) वाले 3 में से 1 व्यक्ति को त्वचा पर लाल चकत्ते हो सकते हैं. इस स्थिति में त्वचा ड्राई और खुजलीदार हो सकती है. आपको बता दें कि डायबिटीज वाले लोगों को अन्य लोगों की तुलना में रैशेज का सामना अधिक करना पड़ता है. जब डायबिटीज में ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रण में रहता है, तो रैशेज कम नजर आ सकते हैं.

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डायबिटीज में रैशेज निकलना अपने आप में एक लक्षण होता है, लेकिन डायबिटीज के चकत्ते इसके प्रकार और कारण के आधार पर अलग-अलग दिख सकते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है -

ब्लिस्टर

डायबिटीज में ब्लिस्टर रैश हो सकते हैं. इनमें दर्द नहीं होता है. यह रैश हाथों व पैरों के पीछे और फोरआर्म्स पर बन सकते हैं. यह स्थिति सिर्फ उन्हीं लोगों में देखने को मिलती है, जिनमें डायबिटीज से संबंधित न्यूरोपैथी होती है.

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डर्मोपैथी

डर्मोपैथी भी डायबिटीज की वजह से होने वाले रैश होते हैं. इसमें पिंडली पर हल्के भूरे, गोल व पपड़ीदार धब्बे दिखाई देते हैं. इन रैशेज को इलाज की जरूरत नहीं होती है. ब्लड शुगर कंट्रोल होने पर ये खुद ही ठीक हो जाते हैं.

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स्क्लेरोसिस

टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों को स्क्लेरोसिस जैसी त्वचा संबंधी समस्या भी हो सकती है. यह हाथों के पीछे मोटे-मोटे धब्बे बन सकते हैं. इस स्थिति में उंगलियों के जोड़ सख्त हो जाते हैं. इसके अलावा इसमें पीठ, गर्दन, कंधों और चेहरे पर भी दाने निकल सकते हैं. स्क्लेरोसिस को इलाज की जरूरत होती है.

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नेक्रोबायोसिस लिपोइडिका डायबिटीकोरम

डायबिटीज रोगियों में इस तरह के रैशेज भी आम है. ये रैशेज डायबिटीक पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक परेशान कर सकते हैं. इसमें निचले पैरों में रैशेज होने लगते हैं. ये रैशेज पीले, उभरे हुए और लाल हो सकते हैं. इनमें खुजली और दर्द भी हो सकता है. इस स्थिति को नजरअंदाज बिल्कुल नहीं करना चाहिए.  

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डायबिटीज फुट सिंड्रोम

डायबिटीज फुट सिंड्रोम भी डायबिटीज रोगियों में होने वाले रैशेज का एक प्रकार है. इसमें त्वचा पर छाले या घाव बन सकते हैं. इसका समय पर इलाज कराना जरूरी होता है, अन्यथा संक्रमण का जोखिम बढ़ सकता है.

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डायबिटीज की वजह से त्वचा पर रैशेज हो सकते हैं, जो खुजली और जलन का कारण बन सकते हैं. वहीं, लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिर डायबिटीज में रैशेज क्यों होते हैं? जानें डायबिटीज में रैश या चकत्ते होने के कारण -

हाई ब्लड शुगर

डायबिटीज में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ने लगता है. जब किसी व्यक्ति में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ता है, तो उसकी त्वचा पर रैशेज हो सकते हैं. इसकी वजह से उन्हें खुजली और जलन महसूस हो सकती है. जिन लोगों को डायबिटीज नहीं है, अगर उन्हें त्वचा पर रैशेज नजर आते हैं, तो इन्हें बिल्कुल नजरअंदाज न करें, क्योंकि त्वचा पर लाल चकत्ते प्रीडायबिटीज का शुरुआती लक्षण हो सकता है. इस स्थिति में ब्लड शुगर लेवल सामान्य से थोड़ा अधिक हो सकता है.

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डायबिटीज की दवाइयां

सिर्फ डायबिटीज की वजह से बढ़ा हुआ ब्लड शुगर ही रैशेज का कारण नहीं होता है, बल्कि जो लोग डायबिटीज की दवाइयां ले रहे हैं, उनमें भी रैशेज हो सकते हैं. दरअसल, जो लोग ब्लड शुगर को कम करने वाली दवाइयां लेते हैं, उनमें रैशेज दिखना शर्करा के कम स्तर का संकेत हो सकता है.

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रक्त प्रवाह में कमी

डायबिटीज रक्त के प्रवाह को भी बाधित कर सकता है. जब डायबिटीज की वजह से रक्त के प्रवाह में कमी आती है, तो त्वचा पर रैशेज हो सकते हैं. डायबिटीज में रक्त प्रवाह कम होने की वजह से हाथों और पैरों पर रैश दिख सकते हैं. कम रक्त प्रवाह अन्य समस्याएं भी पैदा कर सकता है.

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जब डायबिटीज की वजह से त्वचा पर रैशेज होते हैं, तो इसका मुख्य इलाज ब्लड शुगर लेवल को कम करना होता है. कुछ अन्य उपायों की मदद से भी रैशेज को कम किया जा सकता है -

  • डायबिटीज में त्वचा का खास ख्याल रखें. त्वचा का ख्याल रखने से लाल चकत्ते, संक्रमण या घाव होने की आशंका कम हो सकती है. 
  • अगर डायबिटीज है, तो त्वचा पर चकत्ते, लालिमा, संक्रमण या घावों की नियमित रूप से जांच करें.
  • बहुत गर्म पानी से नहाने से बचें. साथ ही मॉइश्चराइजिंग साबुन का प्रयोग करें.
  • नहाने के बाद त्वचा को तौलिये रगड़े नहीं, बल्कि थपथपाएं. 
  • नहाने के बाद त्वचा में नमी बनाने के लिए फ्रेगनेंस फ्री मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें. 
  • त्वचा की नमी बनाए रखने में मदद करने के लिए सेरामाइड वाली क्रीम और मलहम का यूज करें.
  • सोते समय फटी या सूखी एड़ी पर 10 से 25 प्रतिशत यूरिया रिच क्रीम लगाएं.
  • खुद को पूरी तरह से हाइड्रेट रखें. इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं. 
  • घावों पर एंटीबायोटिक क्रीम डॉक्टर की सलाह पर ही लगाएं.

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डायबिटीज में त्वचा पर चकत्ते या रैशेज होने का जोखिम बढ़ जाता है. इसलिए अगर किसी को डायबिटीज है, तो त्वचा का खास ख्याल रखने की जरूरत होती है. अगर डायबिटीज में त्वचा के किसी भी हिस्से पर रैशेज या लालिमा नजर आए, तो इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें, क्योंकि जब त्वचा के रैशेज घाव बनते हैं, तो इस स्थिति में संक्रमण पैदा हो सकता है और स्थिति गंभीर हो सकती है. डायबिटीज रैशेज से बचाव के लिए सबसे जरूरी ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करना होता है.

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