यीस्ट एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन है. यह इंफेक्शन मुंह, पैर या जननांग क्षेत्र में हो सकता है, लेकिन वजाइनल यीस्ट इंफेक्शन सबसे आम है. हर 4 में से 3 महिलाओं को अपने जीवनकाल में कभी-न-कभी यीस्ट इंफेक्शन का सामना करना ही पड़ता है. यीस्ट इंफेक्शन को कैंडिडिआसिस के रूप में भी जाना जाता है. वैसे तो यीस्ट इंफेक्शन कई कारणों से हो सकता है, लेकिन डायबिटीज को यीस्ट इंफेक्शन का मुख्य कारण माना जा सकता है. डायबिटीज के चलते यीस्ट इंफेक्शन का जोखिम कई गुना बढ़ सकता है, लेकिन यीस्ट इंफेक्शन का इलाज संभव है.

आप यहां दिए ब्लू लिंक पर क्लिक करके जान सकते हैं कि डायबिटीज का आयुर्वेदिक इलाज क्या है.

आज इस लेख में आप डायबिटीज की वजह से होने वाले यीस्ट इंफेक्शन के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. डायबिटीज और यीस्ट इंफेक्शन में क्या संबंध है?
  2. डायबिटीज में यीस्ट इंफेक्शन का खतरा कैसे बढ़ता है?
  3. डायबिटीज में यीस्ट इंफेक्शन का इलाज
  4. डायबिटीज में यीस्ट इंफेक्शन को रोकने के उपाय
  5. सारांश
क्या डायबिटीज के कारण यीस्ट इंफेक्शन हो सकता है? के डॉक्टर

अगर किसी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम कमजोर है, तो शरीर में बैक्टीरिया, वायरस, फंगी और यीस्ट के चलते इंफेक्शन होने की आशंका बढ़ जाती है. 2018 में हुई एक स्टडी के दौरान करीब 3 लाख लोगों का डेटा इकट्ठा किया गया, जिसमें पाया गया कि टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को सामान्य लोगों की तुलना में यीस्ट इंफेक्शन होने की आशंका ज्यादा थी. यहां तक कि डायबिटीज से ग्रस्त लोगों में इसके लक्षण अन्य लोगों की तुलना में तेजी से बढ़ सकते हैं. इसके अलावा, इंफेक्शन का इलाज करना कठिन हो सकता है. वहीं, अगर संक्रमण ठीक नहीं होता है, तो इसके चलते कई समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं.

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अगर डायबिटीज का इलाज ठीक तरह से न किया जाए, तो यीस्ट इंफेक्शन होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है और गंभीर रूप भी ले लेता है. डायबिटीज के चलते यीस्ट इंफेक्शन होने के निम्न कारण हाे सकते हैं -

इम्यूनिटी सिस्टम में गड़बड़ी

डायबिटीज में शुगर लेवल बढ़ जाता है और जब शुगर का स्तर अधिक होता है, तो इम्यूनिटी कमजोर पड़ने लगती है. ऐसे में शरीर यीस्ट इंफेक्शन से लड़ नहीं पाता है और इसकी वजह से इंफेक्शन के लक्षणों में लगातार वृद्धि होती जाती है. डायबिटीज के चलते यीस्ट इंफेक्शन को रोकने और इससे छुटकारा पाने में मुश्किल पैदा हो सकती है. टाइप 2 डायबिटीज में यीस्ट इंफेक्शन गंभीर रूप ले सकता है.

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ग्लाइकोजन का अधिक स्तर

डायबिटीज से ग्रस्त लोगों में ग्लाइकोजन का स्तर भी बढ़ जाता है. ग्लाइकोजन एक पॉलीसेकेराइड होता है, जिसका उपयोग शरीर ग्लूकोज को स्टोर करने के लिए करता है. योनि क्षेत्र में अतिरिक्त ग्लाइकोजन होने से वहां एसिडिटी की मात्रा बढ़ जाती है. अमेरिकन जर्नल ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी में 2009 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, इस अवस्था में यीस्ट इंफेक्शन बढ़ने लगता है.

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बार-बार संक्रमण

जब एक बार यीस्ट इंफेक्शन हो जाता है, तो उसके बार-बार होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है. डायबिटीज को ठीक तरह से कंट्रोल न कर पाने के चलते भी यीस्ट इंफेक्शन बार-बार हो सकता है.

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जब एक बार डॉक्टर यह पुष्टि कर देते हैं कि मरीज को यीस्ट इंफेक्शन है, तो उसका इलाज निम्न प्रकार से किया जा सकता है -

  • शुरुआत में डॉक्टर एंटीफंगल क्रीम इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं. इस क्रीम को प्रभावित जगह पर करीब 7 दिन तक लगाने की जरूरत होती है.
  • अगर क्रीम से आराम नहीं आता है, तो डॉक्टर फ्लुकोनाजोल जैसी एंटीफंगल दवा खाने के लिए दे सकते हैं.

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भले ही डायबिटीज यीस्ट इंफेक्शन के जोखिम को बढ़ा सकता है, लेकिन कुछ उपायों की मदद से डायबिटीज में भी यीस्ट इंफेक्शन को रोका जा सकता है -

  • डायबिटीज में यीस्ट इंफेक्शन को रोकने के लिए सबसे पहले ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखना होता है.
  • इसके लिए फाइबर अधिक लें और कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम मात्रा में करें.
  • पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं.
  • दही जैसे प्रोबायोटिक्स से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें.
  • रोजाना एक्सरसाइज व योग करें.
  • समय-समय पर डायबिटीज कम करने वाली दवाइयां लें. 
  • सूती और ढीले अंडरवियर पहनें. 
  • वजाइना को साफ व सूखा रखें.
  • कैमिकल और फ्रेगनेंस वाले प्रोडक्ट्स का यूज करने से बचें. 

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यीस्ट इंफेक्शन बेहद आम है, खासकर डायबिटीज वाले लोगों में, लेकिन ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखकर यीस्ट इंफेक्शन के जोखिम को कम किया जा सकता है. इसलिए अगर किसी को डायबिटीज है, तो समय-समय पर यीस्ट इंफेक्शन की जांच करवाते रहें. इसी के साथ अगर डायबिटीज के चलते यीस्ट इंफेक्शन हो भी जाता है, तो इसका इलाज जरूर करवाएं, क्योंकि अनुपचारित यीस्ट इंफेक्शन गंभीर हो सकता है. 

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