अमेरिका की शीर्ष सरकारी ड्रग एजेंसी यूनाइटेड स्टेट फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएस एफडीए) ने भारत की दवा कंपनी ल्यूपिन को टाइप 2 डायबिटीज के इलाज के लिए जेनेरिक दवा एमाग्लिफलोजिन और लीनाग्लिपटिन की मार्केटिंग के लिए मंजूरी दे दी है। ये दोनों टैबलेट टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित वयस्कों में ग्लाइकेमिक कंट्रोल को सुधारने के लिए संयुक्त रूप से डाइट और एक्सरसाइज में इस्तेमाल की जाती हैं। ये गोलियां जर्मन दवा कंपनी बोरिंगर इंगेलहेम फार्मास्यूटिकल्स कॉर्पोरेशन द्वारा निर्मित ग्लाइक्सैंबी टैबलेट का जेनेरिक वर्जन हैं। एफडीए से अप्रूवल मिलने के बाद ल्यूपिन कंपनी ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी है।

कंपनी ने बताया है कि इन दवाओं को लेकर एफडीए ने फिलहाल उसे प्रयोगात्मक (टेंटेटिव) अप्रूवल दिया है। यानी ल्यूपिन अमेरिका में इन दवाओं की मार्केटिंग नहीं कर सकेगी। टेंटेटिव अप्रूवल के तहत एफडीए ने ल्यूपिन को 10 mg/5 mg और 25 mg/5 mg की स्ट्रेंथ के साथ ये दवाएं बेचने की इजाजत दी है।

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  1. दवा के फायदे व नुकसान
  2. टाइप 2 डायबिटीज क्या है?

ये दोनों दवाएं इस प्रकार काम करती हैं -

  • एमाग्लिफलोजिन: इस दवा को बाजार में जैरडिएंस ब्रैंड से बेचा जाता है। टाइप 2 डायबिटीज के इलाज में इस दवा को अक्सर प्रेस्क्राइब किया जाता है। इसे मेटफॉर्मिन या इंसुलिन जैसे अन्य मेडिकेशन के साथ भी प्रेफर किया जा सकता है। एमाग्लिफलोजिन टाइप 1 डायबिटीज के उपचार में इस्तेमाल नहीं की जाती है। दवा के कुछ दुष्प्रभाव हैं, जिनमें पेशाब से जुड़ी समस्याएं शामिल हैं, जैसे- बार-बार पेशाब आना या बहुत कम अथवा बिल्कुल पेशाब न आना। एमाग्लिफलोजिन से मूत्रमार्ग का संक्रमण भी हो सकता है। इसके अलावा, खुजलीचकत्ते आदि जैसे जेनिटल इन्फेकशन भी हो सकते हैं। हाइपोक्लेमियाकोलेस्ट्रॉल बढ़ना और थकान भी एमाग्लिफलोजिन (जैरडिएंस) के दुष्प्रभावों में शामिल हैं।
  • लीनाग्लिपटिन: इस दवा को बाजार में ट्रेडजेंटा ब्रैंड से बेचा जाता है। एमाग्लिफलोजिन की तरह यह भी टाइप 2 डायबिटीज के इलाज में इस्तेमाल की जाती है। इस दवा को एक्सरसाइज और डाइट दोनों ही के साथ लिया जा सकता है। टाइप 1 डायबिटीज के इलाज में यह दवा प्रेस्क्राइब नहीं की जाती। लीनाग्लिपटिन के भी कुछ साइड इफेक्ट्स हैं। इनमें सामान्य सर्दी-जुकाम वाले लक्षण (जैसे नाक बहनागला खराबखांसी), डायरियाउल्टीखुजलीभूख न लगना आदि शामिल हैं।

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यह मधुमेह का सबसे आम रूप है। टाइप 2 डायबिटीज के चलते खून में शुगर का लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। यह बीमारी आम तौर पर वृद्धों में ही पाई जाती है। लेकिन कम उम्र और कभी-कभी बच्चों में भी यह रोग पनप सकता है। इस बीमारी के लक्षण रक्त में शूगर की मात्रा पर निर्भर करते हैं। टाइप 2 मधुमेह के प्रभाव में बहुत ज्यादा प्यास लगती है, बार-बार पेशाब आता है, सुस्ती और थकान रहती है, नींद ज्यादा आती है, धुंधला दिखता है, भूख ज्यादा लगती है और वजन तेजी से कम होने लगता है।

टाइप 2 डायबिटीज को ठीक करना संभव नहीं है। इसे कुछ विशेष प्रकार के उपचार से केवल नियंत्रित किया जा सकता है। इसमें स्वस्थ भोजन, व्यायाम और समय-समय पर शूगर की जांच की अहम भूमिका होती है। कुछ मरीजों को दवाएं भी लेनी पड़ सकती हैं। अगर खून में शूगर का लेवल कम न हो तो भविष्य में हृदय, किडनी, नसों, आंखों, मसूड़ों आदि से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं।

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