विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के आंकड़ों में सामने आया है कि विश्‍व में लगभग 5 करोड़ लोग किसी न किसी तरह के डिजेनरेटिव मानसिक समस्‍या से ग्रस्‍त हैं जिसमें डिमेंशिया प्रमुख है। साल 2015 में अल्‍जाइमर डिजीज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक लगभग 13 करोड़ 5 लाख लोग इस बीमारी की चपेट में होंगे।

डिमेंशिया का संबंध कई ऐसी स्थितियों से है जो मस्तिष्‍क के कार्य या बौद्धिक कार्य की क्षमता को कम करती है। यह सिर्फ बढ़ती उम्र में नहीं होता है।

अलग शब्‍दों में कहें तो डिमेंशिया कई लक्षणों का एक समूह है जो याद्दाश्‍त, व्‍यवहार को प्रभावित करते हैं और मस्तिष्‍क के बौद्धिक कार्यों में असमंजसता पैदा करने वाली कई डिजेनरेटिव बीमारियों और स्थितियों में दिखते हैं।

डिमेंशिया करने वाली कुछ आम बीमारियों में अल्‍जाइमर रोग, पार्किंसन रोग, हंटिंग्‍टन रोग या अचानक से स्‍ट्रोक, दिमाग को सीधा चोट लगने, ब्रेन ट्यूमर और शरीर के अन्‍य विकार शामिल हैं।

इस तरह की स्थितियों से बचने के लिए क्‍या उपाय काम आ सकते हैं, अभी इस मामले में और रिसर्च किए जाने की जरूरत है।

  1. अल्‍जाइमर से हुए डिमेंशिया से बचने के लिए एक्‍सरसाइज
  2. डिमेंशिया से बचने के लिए ब्रेन की एक्‍सरसाइज
  3. याद्दाश्‍त और बौद्धिक कार्य के लिए एक्‍सरसाइज के फायदे

शारीरिक रूप से सक्रिय रहने और डिजेनरेटिव मानसिक विकारों के बीच संबंध को लेकर रिसर्च जारी है। साल 2019 में जरनल ऑफ अल्‍जाइमर डिजीज में प्रकाशित एक स्‍टडी में बताया गया कि एरोबिक एक्‍सरसाइज से मस्तिष्‍क में यादों को स्‍टोर करने वाले हिप्‍पोकैंपस को सिकुड़ने की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद कर सकता है।

इस स्‍टडी में 55 साल से अधिक उम्र के 70 लोगों को शामिल किया गया था जिन्‍हें माइल्‍ड कॉग्‍नीटिव इंपेयरमेंट (एमसीआई) था। प्रतिभागियों को दो हिस्‍सों में बांटा गया था।

अन्‍य फिजिकल एक्‍सरसाइजों में से एरोबिक एक्‍सरसाइजों को इसलिए फायदेमंद पाया गया क्‍योंकि ये कार्डियोवस्‍कुलर के कार्य में सुधार लाए जिसका सीधा संबंध मस्तिष्‍क में न्‍यूरॉन्‍स की ग्रोथ और उनके जीवित रहने से है। इस तरह मस्तिष्‍क में न्‍यूरॉन्‍स के ऊपर एमिलॉइड प्‍लाक जमने से हिप्‍पाकैंपस को सुरक्षा मिलती है।

एमिलॉइड प्‍लाक एक तरह का प्रोटीन है जो नसों की कोशिकाओं के बीच के हिस्‍से को ढकने के लिए इकट्ठा होता है और यह अल्‍जाइमर बीमारी के विकास में अहम भूमिका निभाता है। एरोबिक ट्रेनिंग में पैदल चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना, स्विमिंग और डांस शामिल है।

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दिमाग को एक्टिव और एलर्ट रखकर मानसिक बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है। सोशल लाइफ और ऐसे कामों में शामिल होकर, जो मस्तिष्‍क को उत्तेजित करने में मदद कर सकते हैं, इससे मस्तिष्‍क की कार्यक्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

डिमेंशिया और अन्‍य स्थितियों के खतरे को कम करने में इस तरह की एक्टिविटीज की प्रभावशीलता को जांचने के लिए और रिसर्च किए जाने की जरूरत है। एक्‍सरसाइज से मस्तिष्‍क के पुर्जे दिमाग की कोशिकाओं को लंबे समय तक स्‍वस्‍थ रखते हैं। इस तरह तंत्रिका तंत्र ठीक तरह से काम कर पाता है।

डिमेंशिया ऑस्‍ट्रेलिया के अनुसार दिमाग को उत्तेजित करने वाली एक्‍सरसाइजों से मस्तिष्‍क में अतिरिक्‍त रिजर्व बनने में  मदद मिल सकती है जो कि डिमेंशिया और अन्‍य बीमारियों के शुरू होने पर नुकसान से बचाने में मदद कर सकता है। ये रिजर्व इस तरह की स्थितियों को विकसित होने में देरी भी कर सकता है। ब्रेन एक्‍सरसाइज में याद करना या सीखना या मुश्किल चीजों को हल करना शामिल है। ये मस्तिष्‍क को उत्तेजित करती हैं।

जिन लोगों को डिमेंशिया है लेकिन वो शुरुआती स्‍टेज हैं, उन्‍हें अपनी पसंद के विषयों पर कुछ आसान ब्रेन एक्‍सरसाइज करनी चाहिए, जैसे कि  :

  • आसान कैलकुलेशन
  • कहानी लिखना या बताना जिससे यादें और भावनाएं ट्रिगर हो सकती हैं।
  • तस्‍वीरें देखना जिससे इंद्रियों को उत्तेजित करने में मदद मिल सकती है।
  • संगीत : कोई आसान वाद्य यंत्र बजाना या चलाना सीखें।
  • मानसिक रूप से सतर्क रहने के लिए जोर से किताब पढ़ना।
  • नाचना
  • पे‍ंटिंग करना
  • डिमेंशिया के जोखिम को कम करने में कुछ अन्‍य एक्टिविटीज भी मदद कर सकती हैं और आप इन्‍हें अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल कर सकते हैं, जैसे कि :
  • किताबें पढ़ना
  • कोई वाद्य यंत्र बजाना
  • कोई नई भाषा सीखना
  • रेडियो सुनना
  • स्‍पोर्ट खेलना और बोर्ड गेम खेलना
  • सोशल क्‍लब, बागवानी और डांस जैसी ग्रुप एक्टिविटीज में हिस्‍सा लेना।
  • पजल, क्रॉसवर्ड और सुडोकु खेलना

इन एक्टिविटीज में आप सोशल लेवल पर शामिल रहते हैं जिससे डिजेनरेटिव स्थितियों का खतरा कम होता है। ये एक्टिविटीज जीवन के मानसिक, शारीरिक और सोशल पहलुओं की मदद से ऐसा प्रभाव डालती हैं। अध्‍ययन कहते हैं कि इन एक्टिविटीज से इस तरह की स्थितियों के शुरू होने में देरी की जा सकती है या इनके जोखिम को भी कम करने में मदद मिल सकती है लेकिन ये दोनों काम एकसाथ नहीं हो सकते हैं।

डिमेंशिया और अन्‍य विकारों के शुरू होने से बचने के तरीकों के बारे में जानने के लिए और रिसर्च किए जाने की जरूरत है जिससे ट्रीटमेंट के लिए भी प्रभावी रणनीति बनाई जा सके।

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की सलाह है कि 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को रोज 30 मिनट हल्‍की से मॉडरेट इंटेंसिटी वाली एक्टिविटी करनी चाहिए। इसके हिसाब से हफ्ते में कुल 150 मिनट फिजिकल एक्टिविटी करने की जरूरत है।

नियमित एक्‍सरसाइज से कार्डियोवस्‍कुलर बीमारियों और डायबिटीज का खतरा कम होता है, मांसपेशियों और हड्डियों को ताकत मिलती है और तनाव एवं एंग्‍जायटी कम होती है।

कई अध्‍ययनों में यह बात सामने आई है कि फिजिकल एक्टिविटी की कमी, दिमाग की कार्यक्षमता के कमजोर या कम होने का एक कारण है। वहीं नियमित एक्‍सरसाइज को अल्‍जाइमर और डिमेंशिया के कई रूपों जैसी डिजेनरेटिव स्थितियों के खतरे को कम करने में असरकारी पाया गया।

हम अल्‍जाइमर और तंत्रिका तंत्र की डिजेनरेटिव स्थितियों से जुड़े कारण जैसे कि बढ़ती उम्र और जेनेटिक्‍स को नहीं रोक सकते लेकिन कुछ ऐसी चीजें हैं जो हमारे कंट्रोल में हैं। मस्तिष्‍क को स्‍वस्‍थ रखने के कुछ आसान तरीके हैं :

  • नियमित एक्‍सरसाइज : द अल्‍जाइमर रिसर्च एंड प्रिवेंशन फाउंडेशन का कहना है कि नियमित एक्‍सरसाइज से अल्‍जाइमर के खतरे को 50 पर्सेंट तक कम किया जा सकता है क्‍योंकि :
    • एक्‍सरसाइज मस्तिष्‍क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचने की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद करती है।
    • जिन लोगों में मानसिक समस्‍या के लक्षण दिखने शुरू हो गए हैं, उनमें भी क्षति की प्रक्रिया को धीमा करने में मदद मिल सकती है।
    • एक्‍सरसाइज, मस्तिष्‍क की पुरानी यादों के साथ नई यादों को संजोन की क्षमता को उत्तेजित करती है।
  • पौष्टिक खाना : हेल्‍दी खाने से मस्तिष्‍क में सूजन को थोड़ा कम किया जा सकता है और विकारों से बचने में मदद मिल सकती है। वहीं वजन को संतुलित रखना भी जरूरी है। कुछ अध्‍ययनों में कहा गया है कि जो लोग मध्‍यम आयु में ही ओवरवेट या ओबीज हैं, उनमें बाकियों की तुलना में अल्‍जाइमर होने का खतरा ज्‍यादा होता है।
  • अच्‍छी नींद : मस्तिष्‍क से हानिकारक पदार्थों को नि‍कालने के लिए अच्‍छी नींद बहुत जरूरी है। अध्‍ययनों में सामने आया है कि जो लोग अच्‍छी नींद नहीं लेते थे, उनके मस्तिष्‍क में स्टिकी प्रोटीन का लेवल ज्‍यादा था। यादें बनाने के लिए अच्‍छी नींद बहुत जरूरी है।
  • हेल्‍दी हार्ट : ब्‍लड प्रेशर को कंट्रोल करके और स्‍वस्‍थ जीवनशैली से हार्ट को हेल्‍दी रखा जा सकता है जो कि डिमेंशिया के कई रूपों को शुरू होने से रोकने के लिए जाना जाता है।
  • तनाव कम करें : स्‍ट्रेस दिमाग के लिए बहुत हानिकारक है। इससे मस्तिष्‍क के अंदर की जरूरी कोशिकाओं की ग्रोथ प्रभावित होती है जिससे दिमाग की क्षमता कम हो जाती है। डिमेंशिया और मानसिक विकारों से बचने के लिए तनाव से दूर रहें। डीप ब्रीदिंग एक्‍सरसाइज, फिजिकल एक्टिविटी करें और अपने आसपास उन लोगों को रखें जिनके साथ आप खुश रहते हैं।
  • सोशल लाइफ : पुराने दोस्‍तों से मिलें और नए दोस्‍त बनाएं। दिमाग को फ्रेश रखने के लिए यह जरूरी है। आप फैमिली या दोस्‍तों के साथ कोई ग्रुप एक्टिविटी करें।
  • मस्तिष्‍क को उत्तेजित करना : ऐसे काम करें जो मस्तिष्‍क को लगातार चैलेंज करते रहें। अध्‍ययनों में सामने आया है कि जो लोग इस तरह के काम करते हैं, उनमें डिमेंशिया और अन्‍य डिजेनरेटिव बीमारियों का खतरा कम रहता है। कोई नई भाषा सीखने या दिमाग को चुनौती देने वाली एक्टिविटीज दिमाग को एक्टिव रखने के लिए बेहतरीन होती हैं।
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