कोविड-19 बीमारी के बाद रिकवर हो चुके मरीजों में भी लंबे समय तक कई अलग-अलग तरह के लक्षण और संकेत देखने को मिल सकते हैं जैसे- थकान, बदन दर्द, खांसी, गले में खराश, सांस लेने में कठिनाई आदि। कोविड-19 बीमारी के बाद के परिणाम क्या हो सकते हैं इस पर अब  तक सीमित प्रमाण ही मौजूद हैं इसमें आगे और अधिक शोध की आवश्यकता है और इस तरह की रिसर्च को और आगे बढ़ाया जा रहा है। ऐसे में कोविड के बाद रिकवर हो रहे सभी मरीजों की देखभाल और फॉलोअप केयर के लिए एक सर्वांगीण दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

(और पढ़ें - कोविड-19 से रिकवर होने वाले मरीज की देखभाल कैसे करें)

ऐसे में योग, क्वारंटीन और आइसोलेशन में रहने वाले कोविड-19 मरीजों के पुनर्वास और मनोवैज्ञानिक और सामाजिक देखभाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। योग विशेष रूप से उपयोगी है इन मरीजों की चिंता और डर को दूर करने में। मौजूदा समय में योग आधारित जीवनशैली वाले मापदंड का उपयोग निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जा सकता है:

  • आम लोगों की जनरल इम्यूनिटी में सुधार करने के लिए।
  • कमजोर आबादी (बच्चे, बुजुर्ग और वे लोग जिन्हें पहले से कोई बीमारी है जैसे डायबिटीज या हाई बीपी) का पुनर्वास और उन मरीजों का भी जो आइसोलेशन या क्वारंटीन में हैं और जिनमें हल्के लक्षण या कोई लक्षण नहीं हैं। 
  • योग पर आधारित हस्तक्षेप और मेडिटेशन के जरिए आइसोलेशन में रहने वाले और अस्पताल में भर्ती कोविड-19 मरीजों की मनोसामाजिक (साइको-सोशल) देखभाल।

भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने कोविड-19 की रोकथाम, कोविड-19 मरीजों के पुनर्वास और लोगों की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए योग अभ्यास करने की सलाह दी है। साथ ही योग की उन विभिन्न क्रियाओं के बारे में भी बताया है कि इसके फायदे क्या हैं और इन योगाभ्यासों को करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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  1. कोरोना के लिए योग: शोधनक्रिया, जलनेती, सूत्रनेती - Corona ke liye yoga: Jalneti
  2. कोरोना के लिए योग: जोड़ों से जुड़ी गतिविधि - Corona ke liye yoga: Joints movement
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  8. कोरोना के मरीज डाइट का भी रखें ध्यान - Diet for corona patients in hindi

फायदे: नेती, साइनस की सफाई में मदद करता है, एलर्जी से जुड़ी स्थितियों में फायदेमंद है और ऊपरी श्वसन पथ में होने वाली ऐक्टिविटी को कम करने में मदद करता है।

क्या करें: जल नेती के जरिए सफाई के लिए गुनगुने पानी का इस्तेमाल करें। जलनेती के बाद कपालभाती जरूर करें ताकि नेजल पैसेज से सारा पानी बाहर निकाल जाए। हफ्ते में एक या दो बार ही नेती का अभ्यास करें।

क्या न करें: अगर किसी व्यक्ति को मध्य कर्ण का संक्रमण हो, नाक से खून आने की समस्या हो या हाल ही में ईएनटी सर्जरी हुई हो तो उन्हें नेती नहीं करनी चाहिए। (और पढ़ें- साइनस के लिए योग)

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फायदे: जोड़ों की गतिविधि करने से खून का संचार बढ़ता है, जोड़ों की अकड़न में कमी आती है जिससे जोड़ों में लचीलापन आता है।

क्या करें: अपने जोड़ों को जितना संभव हो उतना ही आगे बढ़ाएं और जोड़ों की गतिविधि करते वक्त अपने सांसों का भी ध्यान रखें।

क्या न करें: अपने तनाव या परिश्रम को बहुत ज्यादा न बढ़ाएं, अगर जोड़ों में गंभीर दर्द हो और जोड़ों की कोई गंभीर बीमारी हो तो इसे न करें। (और पढ़ें- योग को अपनाएं, जोड़ों में दर्द से राहत पाएं)

फायदे: उष्ट्रासन, ताड़ासन, त्रिकोणासन, वक्रासन, भुंगासन, मत्स्यासन, उत्तानमंडूकासन आदि योग के ऐसे आसन हैं जिन्हें करने से छाती में विस्तार होता है और कार्डियो पल्मोनरी क्रियाएं बेहतर होती हैं।

क्या करें: हृदय रोग के मरीज योग एक्सपर्ट से सलाह लेने के बाद ही छाती विस्तार से जुड़ा आसन करें। नौसिखिया और बुजुर्ग आबादी के लिए आसन का सिंपल वर्जन किया जाना चाहिए।

क्या न करें: अगर हृदय रोग की गंभीर समस्या हो, हर्निया हो, इन्फ्लेमेशन, अल्सर, पेट की सर्जरी या वर्टिगो की दिक्कत हो उन मरीजों को ये योगासन नहीं करना चाहिए। हाइपरटेंशन के मरीजों को झुकते वक्त सावधानी रखनी चाहिए। (और पढ़ें- दिल को स्वस्थ रखने के लिए योगासन)

फायदे: पल्मोनरी फंक्शन को बेहतर बनाने में मदद करता है और शरीर की क्षरण-क्रिया (सिक्रीशन) को भी कम करता है। फ्रंटल साइनस को साफ करता है और प्राणायाम प्रैक्टिस को बेहतर बनाता है।

क्या करें: 40 से 60 स्ट्रोक प्रति मिनट प्रैक्टिस करें। अहले सुबह खाली पेट कपालभाती का अभ्यास करें।

क्या न करें: हाई बीपी के मरीज, हृदय रोग के मरीज, सांस की बीमारी और स्लिप डिस्क के मरीज को कपालभाती का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

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फायदे: उज्जयी प्राणायाम शरीर में ऑक्सीजन सैचुरेशन को बढ़ाता है, भ्रामरी प्राणायाम रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है।

क्या करें: इस दौरान आपकी सांस धीमी, स्थिर और नियंत्रित होनी चाहिए, शुरू में कुछ पुनरावृत्तियों के साथ अभ्यास करें और धीरे-धीरे पुनरावृत्ति की संख्या बढ़ाएं

क्या न करें: हृदय विकार के मामले में कुछ दोहराव के साथ शुरू करें और धीरे-धीरे पुनरावृत्ति बढ़ाएं। 

(और पढ़ें- तनाव के लिए योग)

फायदे: सहानुभूतिपूर्ण उत्तेजना और भावनात्मक संकट में कमी, नींद की गुणवत्ता में सुधार, शरीर और मन को पुनर्जीवित और तरोताजा करने में मददगार।

क्या करें: निर्देशों के हिसाब से इस अभ्यास को मानसिक रूप से फॉलो करें। योग निद्रा के दौरान अपनी आंखें बंद रखें और शरीर को हिलाने या गतिविधि करने से बचें।

क्या न करें: योग निद्रा का मतलब नींद में सो जाना नहीं है, लेटे रहने के दौरान आंखें बंद रखनी है और कोई सवाल नहीं पूछना है।

10 मिनट का योग प्रोटोकॉल

अभ्यास क्या करें अवधि
शुरुआत प्रार्थना  30 सेकंड
वॉर्मअप गर्दन, कंधा और धड़ की गतिविधि 2 मिनट
खड़े होकर करने वाला आसन ताड़ासन, अर्धचक्रासन 2 मिनट
बैठकर करने वाला आसन ससकासन (हेयर पॉस्चर) 1 मिनट
पेट के बल करने वाला आसन भुजंगासन 1 मिनट
पीठ के बल करने वाला आसन पवनमुक्तासन 1 मिनट
प्राणायाम अनुलोम-विलोम 1 मिनट
ध्यान मेडिटेशन 1 मिनट
क्लोजिंग संकल्प 30 सेकंड
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अगर आपको डायबिटीज या हृदय रोग की समस्या हो तो चिकित्सीय सलाह और सिफारिशों के आधार पर ही डाइट का सेवन करें और इसमें योग की अवधारणाओं को भी जोड़ें ताकि आपके मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिल सके। इसमें घर का बना ताजा और पोषक तत्वों से भरपूर पारंपरिक भोजन शामिल करें। अपनी डाइट में ढेर सारे फल और सब्जियों को भी शामिल करें। (अगर आपको कोई बीमारी हो तो उसमें कौन सी सब्जी या फल नहीं खाना है उसका भी ध्यान रखें) इसके अलावा अपनी डाइट में नियमित रूप से औषधीय गुणों से भरपूर पारंपरिक मसालों को भी सीमित मात्रा में शामलि करें जो आपकी सेहत के लिए फायदेमंद हैं। तंबाकू, अल्कोहल आदि लत वाली चीजों के सेवन से भी पूरी तरह से दूर रहें।

(और पढ़ें- कोविड-19 में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं)

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