कोविड-19 संकट के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को एक बार फिर देश के कई मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बातचीत की। यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब इस बात को लेकर अटकलें जोर पकड़ रही हैं कि आगामी 17 अप्रैल लॉकडाउन की अंतिम तारीख होगी या नहीं। भारत में कोरोना वायरस संकट शुरू होने के बाद से यह पांचवां मौका है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ इस तरह की बातचीत की है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इस बार की बैठक में अहम मुद्दा यह रहा कि लॉकडाउन से बाहर आने की रणनीतियां क्या हों और अर्थव्यवस्था को कैसे बहाल किया जाए।

खबरों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक की शुरुआत प्रवासी मजदूरों का जिक्र करते हुए की। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने लोगों को घरों में ही रहने का सुझाव दिया था, लेकिन वे मानवीय व्यवहार के चलते घरों से निकले, इसलिए सरकार को अपने निर्णयों में बदलाव करने पड़े। उन्होंने कहा, 'हमारे लिए चुनौती अब यह है कि कोविड-19 को गांवों में फैलने से कैसे रोका जाए।' समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पूरी दुनिया को लगा है कि भारत खुद को कोविड-19 से बचाने में सफल रहा है, जिसमें राज्यों ने अहम भूमिका निभाई है। हमारी आगे की दिशा क्या हो, यह आज आपके द्वारा दिए जाने वाले सुझावों पर निर्भर करेगा।'

बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, 'हमारी सबसे बड़ी चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि (लॉकडाउन से) राहत देने के विपरीत कोविड-19 ग्रामीण इलाकों में न फैल जाए। हमने जब भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया, तब-तब समस्याएं बढ़ी हैं।'

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मुख्यमंत्रियों ने दिए ये सुझाव
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने कहा कि अब लॉकडाउन में ढील दी जानी चाहिए, लेकिन कुछ कड़े नियमों के साथ, खासतौर पर व्यक्तिगत साफ-सफाई के संबंध में। जगनमोहन रेड्डी ने कहा, 'वैक्सीन तैयार होने तक हमें लोगों को कोरोना वायरस से निपटने के लिए तैयार करना होगा। हमें बहुत बड़े स्तर पर लोगों को वायरस के ट्रांसमिशन को लेकर जागरूक बनाना होगा। लॉकडाउन से निकलने के लिए हमें कोरोना के डर और इससे जुड़ी गलतफहमी को खत्म करना होगा। इसके लिए लोगों को बताना होगा कि इस बीमारी के 95 प्रतिशत मरीजों का इलाज हो जाता है।'

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वहीं, गुजरात सरकार का कहना है कि केवल कन्टेंमेंट जोन घोषित किए जाने वाले इलाकों में ही लॉकडाउन होना चाहिए। मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने कहा कि सुरक्षा नियमों के साथ आर्थिक गतिविधियों को शुरू किया जाना चाहिए और स्कूल-कॉलेजों को गर्मियों की छुट्टी के बाद खोला जाना चाहिए। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने भी इसी तरह की राय रखी। उन्होंने कहा कि ऐसे इलाकों में लॉकडाउन जारी रहना चाहिए और केंद्र को इस संबंध में निर्देश सुनिश्चित करने चाहिए। बैठक में केसीआर ने ट्रेनों की बहाली का सीधा विरोध किया। उन्होंने आशंका जताई कि ट्रेनों की आवाजाही के चलते कोरोना वायरस फैलेगा, जिसकी वजह से स्क्रीनिंग जैसी प्रक्रियाओं में दिक्कत आएगी। वहीं, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पलानीसामी ने ट्रेन सेवा के साथ-साथ 31 मई तक हवाई यातायात बहाल नहीं करने की भी अपील की।

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उधर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी राय रखते हुए कहा कि संक्रमण के चलते किन इलाकों को रेड, ऑरेंज या ग्रीन जोन घोषित किया जाए, यह अधिकार केंद्र को राज्य सरकारों को देना चाहिए। वहीं, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र से अपील की कि वह राज्यों के बीच जरूरी चीजों की आपूर्ति ठीक प्रकार से चलते रहने की अनुमति दे। इसके अलावा, पूर्वोत्तर राज्यों की तरफ से बोलते हुए अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि पूर्वोत्तर के राज्य एक साथ मिल कर कोविड-19 के खिलाफ लड़ रहे हैं। इसके लिए वे स्वास्थ्यगत ढांचे को तेजी से बढ़ा रहे हैं।

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