विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने यूनाइटेड किंगडम (यूके) में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन पाए जाने की पुष्टि करते हुए इस म्यूटेशन के बारे में कुछ जानकारियां साझा की हैं। डब्ल्यूएचओ ने बताया है कि इस वैरिएंट का नाम सार्स-सीओवी-2 वीयूआई 2020212/01 है, जिसकी जांच की जा रही है। नए स्ट्रेन को लेकर जारी किए लेख में डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि शुरुआती विश्लेषण में नया वैरिएंट ज्यादा तेजी से फैलने वाला पाया गया है। वैज्ञानिक अब यह जानने में जुट गए हैं कि क्या इस म्यूटेशन से कोविड-19 की गंभीरता, उसके खिलाफ पैदा होने वाले एंटीबॉडी रेस्पॉन्स या वैक्सीन क्षमता में किसी तरह का बदलाव होता है या नहीं। इस बारे में डब्ल्यूएचओ के ही शीर्ष पदाधिकारियों का कहना है कि नया म्यूटेशन पहले के कोरोना स्ट्रेन से ज्यादा जानलेवा नहीं लगता। लेकिन उसने यह जरूर माना कि सार्स-सीओवी-2 वीयूआई 202012/01 के कारण दक्षिण-पूर्व इंग्लैंड में कोविड-19 के केसों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखने को मिली है। ज्यादातर मामलों में नया म्यूटेशन 60 साल से कम उम्र के लोगों में पाया गया है।
डब्ल्यूएचओ ने बताया है कि नया कोरोना वायरस स्ट्रेन 14 अलग-अलग म्यूटेशन्स की मौजूदगी के परिणाम के रूप में सामने आया है। इन बदलावों के कारण वायरस में अमीनो एसिड से जुड़े तीन परिवर्तन और तीन डिलिशन हो गए हैं। इनमें से कुछ म्यूटेशन इन्सानों में वायरस के ट्रांसमिट होने की क्षमता को प्रभावित यानी बढ़ा सकते हैं। एक म्यूटेशन का नाम एन501वाई बताया गया है, जो वायरस के रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) की छह जगहों पर मौजूदा अमीनो एसिड को ऑल्टर कर रहा है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इसी प्रकार का आरबीडी म्यूटेशन दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में भी (अलग-अलग नाम के साथ) पाया गया है। एक क्रम में इनका विश्लेषण करने पर पता चला है कि यूके और दक्षिण अफ्रीका में एन501वाई म्यूटेशन का ऑरिजिन अलग-अलग हुआ है। इसके अलावा पी681एच नाम का एक और म्यूटेशन आरबीडी में पाया गया है।
यूके से मिली वैज्ञानिक रिपोर्टों के आधार पर डब्ल्यूएचओ ने माना है कि नया वायरस वैरिएंट पहले से सर्कुलेट हो रहे सार्स-सीओवी-2 वायरसों से 40 से 70 प्रतिशत ज्यादा ट्रांसमिसिबल है। लैबोरेटरी आधारित अध्ययनों के जरिये यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि क्या इन वैरिएंट वायरसों की बायोलॉजिकल प्रॉपर्टीज अलग-अलग हैं और वे वैक्सीन की क्षमता को प्रभावित करते हैं या नहीं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, 'इस समय इस बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि नया वैरिएंट बीमारी की गंभीरता, एंटीबॉडी रेस्पॉन्स या वैक्सीन एफिकेसी में किसी तरह का बदलाव करता है या नहीं।'
क्या है डब्ल्यूएचओ का आंकलन और सलाह?
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि सभी वायरस, जिनमें सार्स-सीओवी-2 भी शामिल है, समय के साथ बदलते हैं। लेकिन ज्यादातर म्यूटेशन्स या बदलावों से वायरसों को सीधे फायदा नहीं मिलता है, बल्कि यह इसके प्रसार के लिए नुकसानदेह हो सकता है। यह इन्सानों के लिए अच्छी खबर है। यहां बता दें कि ऐसा पहले भी अन्य अध्ययनों में कहा गया है कि म्यूटेशन के कारण वायरस की क्षमता नकारात्मक रूप से प्रभावित होती है। हालांकि नए कोरोना वैरिएंट पर डब्ल्यूएचओ का मत है कि अभी इस विशेष म्यूटेशन के प्रभाव को पूरी तरह समझने के लिए और अध्ययन करने की आवश्यकता है। ये अध्ययन काफी जटिल होंगे और इन्हें पूरा करने में समय लगेगा। साथ ही इसमें अलग-अलग रिसर्च समूहों की भागीदारी की भी जरूरत होगी।
नया म्यूटेशन सामने आने के बाद डब्ल्यूएचओ ने दुनियाभर की सरकारों और वैज्ञानिक समूहों को सलाह दी है कि वे सार्स-सीओवी-2 की जीनोम सीक्वेंसिंग को लेकर लगातार शोध करते रहे हैं और नई जानकारियां साझा करें। इसके लिए यूके और अन्य देशों को एपिडेमियोलॉजिकल और वाइरोलॉजिकल स्टडी करने को कहा गया है ताकि पता लगाया जा सके कि संक्रामकता और रोगजनन के मामले में वायरस में कोई और बदलाव आया है या नहीं। साथ ही सभी देशों को कहा गया है कि उन्हें भी अपने यहां वायरस के लोकल ट्रांसमिशन और इसके नियंत्रण व रोकथाम के लिए किए गए उपायों और गतिविधियों के स्तर का आंकलन करने की जरूरत है।
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वहीं, आम लोगों और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कोरोना वायरस से बचाने वाले मूल नियमों का फिर से जिक्र किया है। इसमें उसने निम्नलिखित बातें कही हैं-
गंभीर श्वसन संक्रमण से ग्रस्त लोगों के करीब जाने से बचें
- हाथ लगातार धोते रहें, विशेषकर बीमार लोगों के कॉन्टैक्ट में आने के बाद
- एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन से ग्रस्त लोगों को उचित व्यवहार करना चाहिए, जैसे दूसरों से दूरी बनाकर रखना, खांसते-छींकते समय कागज या कपड़े से मुंह ढकना आदि
- हेल्थकेयर सुविधाओं के तहत अस्पतालों में मानक संक्रमण रोकथाम और नियंत्रण संबंधी उपाय किए जाएं, विशेषकर इमरजेंसी डिपार्टमेंट में
- जहां उचित हो मास्क जरूर पहनें और पर्याप्त वेंटिलेशन सुनिश्चित करें
इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि नया कोरोना वायरस स्ट्रेन ज्यादा संक्रामक है, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि इससे कोविड-19 वैक्सीन के प्रभाव में कोई बदलाव आएगा। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड-19 के वायरस में कई म्यूटेशन हो चुके हैं और उनमें से कोई भी वैक्सीन की क्षमता को नकारात्मक रूप प्रभावित करने वाला नहीं है। सोमवार को हुई एक प्रेस ब्रीफिंग में सौम्या स्वामीनाथन ने बताया कि इन्फ्लूएंजा वायरस की अपेक्षा नए कोरोना वायरस काफी कम दर के साथ म्यूटेट हुआ है। अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक ने कहा, 'अभी तक हमने कई बदलाव, कई म्यूटेशन देखे हैं। इनमें से कोई भी वायरस के इलाज के इस्तेमाल हो रहे थेरप्यूटिक्स, ड्रग्स या वैक्सीन पर किसी प्रकार का उल्लेखनीय प्रभाव नहीं डाल पाया है।'
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हालांकि स्वामीनाथन ने यह बात जरूर जोर देते हुए कही कि वायरस में होने वाले बदलावों पर निगरानी रखना बहुत जरूरी है। आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, स्वामीनाथन ने बताया, 'क्योंकि सर्कुलेशन में वायरसों की संख्या जितनी ज्यादा होगी, म्यूटेशन की संभावना भी उतनी बढ़ेगी। इससे ऐसे और वैरिएंट सामने आ सकते हैं। मूल बात यही है कि वायरस के ट्रांसमिशन को कम रखा जाए। इसे बाहर निकलकर लोगों के बीच फैलने न दिया जाए। इस तरह हम म्यूटेशन को रोक सकते हैं।'
इस बीच, डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन मामलों के प्रमुख माइक रेयान ने भी कहा है कि अभी तक इसका कोई सबूत नहीं है कि नए वायरस म्यूटेशन के कारण बीमारी की गंभीरता में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि कोई भी वायरस वैरिएंट आजतक बीमारी को ज्यादा गंभीर बनाने वाला म्यूटेंट विकसित नहीं कर पाया है या वैक्सीन के प्रभाव या क्षमता से बच पाया है। इस आधार पर नए स्ट्रेन को लेकर रेयान ने कहा, 'इससे मामले बढ़े हैं, लेकिन कुल मिलाकर इसका मतलब यही है कि हमें और मेहनत करनी होगी। अगर वायरस प्रसार के मामले में और कुशल हो गया है, तब भी उसे रोका जा सकता है।'