महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई स्थित वाडिया अस्पताल में कोविड-19 से पीड़ित कोई 18 बच्चों में कावासाकी बीमारी से मिलते-जुलते पेडियाट्रिक मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम (पीएमआईएस) के लक्षण दिखाई दिए हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, मुंबई में पीएमआईएस से पीड़ित पाए गए दो बच्चों की मौत भी हो गई है। गौरतलब है कि पीएमआईएस के सबसे पहले मामले यूरोप में सामने आए थे। बाद में यह अमेरिका में कोरोना वायरस से पीड़ित बच्चों में भी दिखाई दिया था। उस समय इसे कोविड-19 से जुड़ा 'रहस्यमय' सिंड्रोम बताया गया था, जो कावासाकी बीमारी से मिलता-जुलता है।
यह पहली बार नहीं है जब भारत में पीएमआईएस के मामले सामने आए हैं। इससे पहले भी महाराष्ट्र में ही कुछ बच्चों में इस सिंड्रोम के लक्षण दिखाई दे चुके हैं। हालांकि इससे मौत होने की रिपोर्ट संभवतः पहली बार आई है। एनडटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई स्थित वाडिया चिल्डेन्स हॉस्पिटल की मेडिकल निदेशक डॉ. शकुंतला प्रभु ने कहा, 'दो बच्चों की मौत हो गई है। एक को कोविड-19 होने से पहले कैंसर भी था। दूसरा बच्चा गंभीर हालत में हमारे पास लाया गया था। ये दोनों दो हफ्तों से इस बीमारी (पीएमआईएस) से पीड़ित थे। उसके बाद बच्चों को हमारे यहां रेफर किया गया। एक मरीज को वेंटिलेटर पर रखना पड़ा। लेकिन छह घंटों में ही उसकी मौत हो गई है। हमें ज्यादा कुछ करने का समय नहीं मिला। चार बच्चे रिकवर हो रहे हैं। बाकी को डिस्चार्ज कर दिया गया है।'
(और पढ़ें - कोविड-19 से जुड़ा रहस्यमय सिंड्रोम बच्चों के बाद अब युवाओं में भी दिखा)
वहीं, इस सिंड्रोम के लक्षणों पर बात करते हुए एसआरसीसी चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल के बाल चिकित्सक और क्रिटिकल केयर सोसायटी के सचिव डॉ. अमीश वोरा ने बताया, 'इसमें (पीएमआईएस) पेट दर्द के साथ दो-तीन दिनों तक बुखार रहता है। दस्त लग जाते हैं। बुखार सभी मरीजों में देखा जा सकता है। 80 प्रतिशत में दस्त और उल्टी की समस्या होती है। 60 प्रतिशत की आंखें लाल हो जाती हैं। कुछ के मुंह में छाले (या फफोले) और त्वचा पर चकत्ते पड़ जाते हैं। ये लक्षण दिखने पर इन पर नजर रखने की जरूरत है। तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क करिए। हम हर दूसरे दिन ऐसे मामलों की रिपोर्ट दे रहे हैं। बड़े सरकारी अस्पतालों और वाडिया के अस्पतालों में ऐसे करीब 100 पीड़ित बच्चे भर्ती किए जा चुके हैं।'
क्या है कावासाकी?
यह एक ऐसी बीमारी है जो ज्यादातर बच्चों को ही होती है। मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक, आमतौर पर पांच वर्ष से कम आयु के बच्चे कावासाकी का शिकार होते हैं। इस बीमारी को म्यूकोक्यूटेनियस लिम्फ नोड सिंड्रोम भी कहा जाता है, जो बच्चों में दिल की बीमारी के प्रमुख कारणों में से एक है। हालांकि इस रोग का जल्दी पता चल जाने पर इसका इलाज किया जा सकता है। बताया जाता है कि अधिकांश बच्चे इस बीमारी से स्वस्थ हो जाते हैं। कावासाकी रोग क्यों होता है, यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है। शोधकर्ताओं की मानें तो इसके कारणों के पीछे जेनेटिक और पर्यावरणीय कारक शामिल हैं। माना जाता है कि यह आमतौर पर किसी खास मौसम में होता है, लेकिन यह एक बच्चे से दूसरे बच्चों में नहीं फैलता है। इसके लक्षणों में त्वचा पर लाल चकत्ते, गर्दन में सूजन, सूखे और फटे होंठ, आंखें लाल होना आदि शामिल हैं।
कोविड-19 से ग्रस्त बच्चों में कावासाकी बीमारी के लक्षण सबले पहले अप्रैल में ब्रिटेन में सामने आए थे। तब वहां अचानक दर्जन भर बच्चों को शरीर के कई हिस्सों में तेज सूजन के चलते आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा था। बाद में ऐसे मामले पूरे यूनाइटेड किंगडम, स्पेन, इटली और अमेरिका में भी सामने आए थे। जानी-मानी स्वास्थ्य पत्रिका जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिशन या जामा ने कोरोना वायरस और कावासाकी से ग्रस्त 58 बच्चों का अध्ययन करने के बाद इस दुर्लभ कॉम्बिनेशन को 'कोविड-19 से जुड़ा पेडियाट्रिक इन्फ्लेमेटरी मल्टीसिस्टम सिंड्रोम' बताया था। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे 'मल्टीसिस्टम इन्फ्लेमेटरी सिंड्रोम' कहा है। हालांकि, अध्ययनों और चर्चाओं के बाद भी इस 'रहस्यमय' बीमारी को औपचारिक नाम नहीं दिया जा सका है। डॉक्टरों का कहना है कि यह सिंड्रोम कावासाकी रोग से मिलता है, लेकिन यह कावासाकी नहीं है।
पीएमआईएस के मामले में एक विशेष तथ्य यह है कि यह बीमारी कोविड-19 से पीड़ित उन बच्चों में भी दिखाई दी है, जिनकी उम्र पांच साल से ज्यादा है। भारत की बात करें तो यहां 10 महीने से लेकर 15 साल तक बच्चों में पीएमआईएस के लक्षण दिखाई दिए हैं। केवल मुंबई में ही नहीं, बल्कि चेन्नई, दिल्ली और जयपुर में कोरोना वायरस के संक्रमण की चपेट में आए कुछ बच्चों में पीएमआईएस के लक्षण दिखे हैं। मेडिकल क्षेत्र के लोगों के लिए यह सिंड्रोम एक नई घटना है, जिस पर डॉक्टर और वैज्ञानिक शोध कर रहे हैं। उधर, भारत के सर्वोच्च मेडिकल रिसर्च संस्थान आईसीएमआर को इस बारे में सूचित कर दिया गया है।
(और पढ़ें - कोविड-19 से जोड़ कर देखे जा रहे दुर्लभ सिंड्रोम से अमेरिका और यूरोप में बच्चों की मौत)