नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से फैलने वाला संक्रमण कोविड-19 सांसों के जरिए निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैलता है। इसका मतलब यह हुआ कि जब कोई स्वस्थ व्यक्ति, किसी संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आता है (संक्रमित व्यक्ति की खांसी, छींक या बातचीत के जरिए) तो वह स्वस्थ व्यक्ति भी संक्रमित हो सकता है। इसके अलावा किसी भी दूषित वस्तु (फोमाइट्स) को छूने से भी संक्रमण का खतरा बढ़ता है, जैसे कि दरवाजे का हैंडल, कुंडी, सीढ़ी की रेलिंग और यहां तक कि संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग किए जाने वाले थर्मामीटर से भी।
पिछले अध्ययनों से पता चलता है कि सार्स-सीओवी-2 वायरस अलग-अलग सतहों पर अलग-अलग समय तक सक्रिय रहता है। वह सतह या वस्तु किस चीज की बनी है इसके आधार पर वायरस उस सतह पर कुछ घंटों से लेकर एक सप्ताह तक जीवित रह सकता है। इसके अलावा यह भी बताया गया है कि नया कोरोना वायरस लगभग 3 घंटे हवा में भी मौजूद रहता है। हालांकि इस वायरस के एयरबॉर्न ट्रांसमिशन को लेकर अब भी बहस जारी है।
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बंद जगहों पर वायरस के एयरबोर्न की आशंका
कई अध्ययनों से यह संकेत मिला है कि वायरस बाहरी स्थान या खुली जगह की तुलना में ऑफिस और रेस्तरां जैसी बंद और भीड़भाड़ वाली जगहों में ज्यादा तेज़ी से फैल सकता है और इसका कारण ये है कि बंद जगह पर वायरस से एक्सपोज होने का जोखिम अधिक होता है और सांस की बूंदों को फैलने के लिए जगह नहीं मिलती है। ताजा रिसर्च में पता चला है कि बंद जगहों पर लगे वेंटिलेशन सिस्टम से कोविड-19 का खतरा बढ़ सकता है। इस तरह के एक अध्ययन के दौरान 3 परिवारों के 10 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए जब ये लोग कोविड-19 के एक प्री-सिम्प्टोमैटिक व्यक्ति के साथ सीधे एयर कंडीशनर एयरफ्लो में बैठकर खाना खा रहे थे। हालांकि डिनर में शामिल हुए बाकी लोगों पर संक्रमण का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
स्वास्थ्य से जुड़ी पत्रिका “जामा (JAMA) इंटरनल मेडिसिन” में सितंबर महीने में प्रकाशित एक अध्ययन में यह भी बताया गया है कि कैसे एक बंद एसी बस में एयरबोर्न ट्रांसमिशन फैल सकता है और इस तरह की बंद जगहों पर (इनडोर वातावरण में) मास्क पहनना क्यों महत्वपूर्ण है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के एक समूह का दावा है कि वेंटिलेशन सिस्टम के कुछ प्रकार ऐसे हैं जो कोविड-19 संक्रमण के प्रसार को बढ़ावा दे सकते हैं। इस स्टडी को वैज्ञानिक पत्रिका “जर्नल ऑफ फ्लूइड मेकैनिक्स” में प्रकाशित किया गया है।
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दो तरह के वेंटिलेशन सिस्टम
अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने बताया कि वेंटिलेशन सिस्टम दो प्रकार के होते हैं- मिक्सिंग वेंटिलेशन और डिस्प्लेसमेंट (विस्थापन) वेंटिलेशन।
अधिकांश दफ्तरों में मिक्सिंग वेंटिलेशन सिस्टम को ही फॉलो किया जाता है। इसमें इनलेट और आउटलेट नलिकाएं (डक्ट) होती हैं जो पूरे क्षेत्र में हवा की स्थिति को एक समान बनाए रखने में मदद करती हैं। लेकिन यह वही स्थिति है जो वायरस को श्वसन की बूंदों के जरिए पूरे वातावरण में फैलाती है।
दूसरी ओर, डिस्प्लेसमेंट वेंटिलेशन में, नलिकाओं को कमरे के ऊपर और नीचे रखा जाता है। यह कमरे में नीचे एक ठंडा निचला क्षेत्र बनाता है जबकि गर्म हवा छत की ओर बढ़ती है और आउटलेट नलिका के माध्यम से बाहर निकल जाती है। चूंकि सांस के जरिए छोड़ी गई हवा गर्म होती है, तो यह ऊपरी नलिका में जाकर बाहर निकल जाएगी। अगर ठंडे और गर्म क्षेत्र के बीच इंटरफ़ेस अधिक है, तो किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा सांस के जरिए इन बूंदों को शरीर के अंदर लेने की आशंका कम होती है।
इंग्लैंड की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में एप्लाइड मैथमेटिक्स और थ्योरिटिकल फिजिक्स विभाग के प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता पॉल लिंडेन का कहना है "यह पता लगाने के लिए कि कोरोना वायरस या अन्य वायरस इसी तरह से घर के अंदर या किसी बंद जगह के अंदर कैसे फैलते हैं, आपको यह जानना होगा कि सांस छोड़ने पर लोगों की सांस से निकलने वाली हवा कहां जाती है और वेंटिलेशन के आधार पर इसमें कैसे बदलाव होता है।" विश्वविद्यालय द्वारा एक समाचार विज्ञप्ति में उन्होंने बताया कि इन आंकड़ों का उपयोग करते हुए, हम किसी बंद जगह के अंदर (इनडोर एरिया) वायरस से संक्रमित होने के जोखिम का अनुमान लगा सकते हैं।
शोधकर्ताओं ने अपने निष्कर्ष के जरिए यह भी सुझाव दिया कि अगर डिस्प्लेसमेंट वेंटिलेशन सिस्टम को सही तरीके से डिजाइन किया जाता है तो यह हवा के क्रॉस मिक्सिंग को रोक सकता है और इस तरह वायरस को भी फैलने से रोकने में भी मदद मिलेगी।
वेंटिलेशन बनाए रखने के और तरीके
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वेंटिलेशन में सुधार के जरिए इनडोर जगहों पर कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए कुछ निम्नलिखित तरीके बताए हैं-
- जब भी संभव हो, मैक्निकल वेंटिलेशन (बिजली वाले उपकरण) की बजाय प्राकृतिक वायु-संचालन (नैचरल वेंटिलेशन) का उपयोग करें।
- यदि आप मैकेनिकल वेंटिलेशन का उपयोग कर रहे हैं, तो बाहर से आने वाली हवा का प्रतिशत बढ़ाएं, करीब 100%।
- वॉशरूम यानी शौचालय में एग्जॉस्ट फैन लगाएं और सुनिश्चित करें कि वे ठीक से काम कर रहे हों।
- एयर फिल्टर और रोशनदान आदि की नियमित रूप से सफाई करें।
- अगर संभव हो तो क्षेत्र में कुल एयरफ्लो आपूर्ति को बढ़ाएं।