कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से फैली कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए सोशल डिस्टेंसिंग जैसे तरीके कारगर बताए जा रहे हैं, लेकिन इनके दुष्प्रभाव भी सामने आने लगे हैं। ऐसी रिपोर्टें आई हैं, जो बताती हैं कि सोशल डिस्टेंसिंग, वर्क फ्रॉम होम और सेल्फ आइसोलेशन के चलते उन लोगों में तनाव और पैनिक अटैक की समस्याएं बढ़ रही हैं, जो लॉकडाउन से पहले अपने-अपने व्यवसायों या नौकरियों में व्यस्त थे।

अंग्रेजी अखबार इकनॉमिक टाइम्स ने कई काउंसलिंग फर्मों के डेटा के आधार पर यह जानकारी दी है। इसके मुताबिक, समाज से दूरी और वर्क फ्रॉम होम के चलते पेशेवर और कामगार लोग मानसिक रूप से तनाव में हैं। इस कारण अप्रैल महीने में स्ट्रेस और पैनिक अटैक के मामलों में 35 से 40 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। आंकड़ों के आधार पर अखबार ने बताया कि काउंसलिंग फर्मों को ऐसे कई फोन कॉल आ रहे हैं, जिनमें सोशल आइसोलेशन की वजह से हो रहे मानसिक तनाव के इलाज की जानकारी पूछी जाती है। इनमें पीड़ित बताते हैं कि कैसे सामाजिक दूरी और वर्क फ्रॉम होम की वजह से वे एंग्जाइटी, डिप्रेशन, अकेलापन और ओसीडी (मनोग्रसित बाध्यता विकार) का शिकार हो रहे हैं।

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वहीं, आर्थिक असुरक्षा भी उनके तनाव को बढ़ा रही है। कर्मचारी यह सोच-सोच कर परेशान हो रहे हैं कि उनकी नौकरी बचेगी या नहीं और भावी हालात कैसे होंगे। परिणामस्वरूप, वे मानसिक रूप से तो तनावग्रस्त हो ही रहे हैं, साथ ही घर में उनका पारिवारिक व्यवहार भी नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहा है।

कर्मचारियों की काउंसलिंग के लिए आगे आई कंपनियां
रिपोर्ट में बताया गया है कि व्यावसायिक लोगों में इन समस्याओं को बढ़ते देख कई बड़ी कंपनियों ने मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की हाइरिंग शुरू कर दी है ताकि कंपनी के कामकारों की मानसिक स्थिति से निपटा जा सके। मिसाल के लिए जानी-मानी फार्मा कंपनी 'लूपिन' ने अपने यहां मेन्टल हेल्थ प्रोफेशनल्स को हायर किया है। सोशल आइसोलेशन के चलते कामगारों में बढ़ती मानसिक समस्याओं पर उसका कहना है, 'सोशल आइसोलेशन पूरी इंडस्ट्री के लिए एक चुनौती बन गया है। (वर्क फ्रॉम होम के) एक हफ्ते बाद ही लोगों ने ऑफिस रूटीन को मिस करना शुरू कर दिया।'

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रिपोर्ट की मानें तो काउंसलिंग फर्मों के लिए इससे अच्छा समय शायद पहले कभी नहीं रहा। उनके एंप्लॉई असिस्टेंस प्रोग्राम (ईएपी) की मदद से कई कंपनियां अपने कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने की कोशिश में हैं, इसलिए अब वे काउंसलिंग फर्मों से संपर्क कर रही हैं। अखबार ने बताया कि कैसे अप्रैल में एक काउंसलिंग फर्म ने 40 कंपनियों के साथ एग्रीमेंट किया है, जबकि आमतौर पर इस तरह के समझौते करने में कॉर्पोरेट कंपनियां महीनों का समय लेती हैं। ईएपी सेवा देने वाली एक काउंसलिंग फर्म के निदेशक ने अखबार से बातचीत में कहा, 'हालात बदल गए हैं और जब से वर्क फ्रॉम होम शुरू हुआ है, तब से (कर्मचारियों का) तनाव बढ़ गया है।' वहीं, एक अन्य फर्म की निदेशक ने कहा, 'इस चुनौतीपूर्ण समय में कंपनियां मानसिक स्वास्थ्य की जरूरत को समझ रही हैं।'

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