कोविड-19 के स्किन से जुड़े लक्षण बीमारी से ठीक होने के बाद भी लंबे समय तक बने रह सकते हैं। यूरोपियन एकेडमी ऑफ डर्मिटॉलजी एंड वेनेरियॉलजी के हालिया सम्मेलन में शोधकर्ताओं ने यह जानकारी दी है। इसमें उन्होंने बताया कि कोविड-19 बीमारी से मुक्त होने के बाद भी इसके रिकवर मरीजों में कोरोना वायरस संक्रमण के त्वचा संबंधी लक्षण कई महीनों तक मौजूद रह सकते हैं, विशेषकर पैरों की त्वचा में होने वाली सूजन और घाव, जिन्हें डॉक्टर और मेडिकल विशेषज्ञ 'कोविड टो' कहते हैं।

मेडिकल जानकार बताते हैं कि कोविड-19 के कई मरीजों ने रिकवरी के बाद भी शरीर में इसके लक्षणों के बने रहने की शिकायत की है। इनमें थकान, सांस लेने में तकलीफ आदि प्रकार की समस्याओं के अलावा कोविड टो भी शामिल है। इसके चलते अमेरिका स्थित मैसच्युसेट्स जनरल हॉस्पिटल के वैज्ञानिकों ने इंटरनेशनल लीग ऑफ डर्मिटोलॉजिकल सोसायटीज और अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मिटॉलजी के साथ मिलकर अप्रैल 2020 में कोविड-19 के स्किन लक्षणों को रिकॉर्ड करने का काम शुरू किया था।

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खबर के मुताबिक, इस काम के तहत शोधकर्ताओं ने एक रजिस्ट्री तैयार की है, जिसमें कोविड टो लक्षण और अन्य स्किन सिंपटम वाले 1,000 कोरोना मरीजों की जानकारी दर्ज की गई है। विश्लेषण में पता चला है कि रिकवरी के बाद भी मरीजों में इन लक्षणों के बने रहने की औसत अवधि 12 दिन थी, जो किसी-किसी लक्षण के मामले में कई हफ्तों तक गई थी। विश्लेषण में सामने आई इन त्वचा लक्षणों से जुड़ी जानकारियां इस प्रकार है:

  • कुछ मरीजों में मॉर्बिलीफॉर्म (खसरे में होने वाले चकत्तों जैसे निशान या उभार) सात दिनों तक बने रहे
  • अर्टीकैरियल इरप्शन (त्वचा पर शीतपित्त या हीव्स का उभरना) रिकवरी के बाद चार दिनों तक मौजूद रहे
  • पैपुलॉसक्वॉमस इरप्शन औसतन 20 दिनों तक त्वचा पर बने रहे; कुछ मरीजों में यह लक्षण 70 दिनों तक भी दिखे
  • बिवाई (पर्नियो या चिलब्लेन) का लक्षण कन्फर्म पाए गए मरीजों में दस दिन और संदिग्ध संक्रमितों में 15 दिनों तक बने रहे; लेकिन कुछ मामलों में लैब टेस्ट के 130 दिन बाद भी मरीजों के पैरों में यह समस्या बनी रही

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इन परिणामों के आधार पर वैज्ञानिकों ने कहा है कि कोरोना वायरस सर्वाइवर्स में त्वचा संबंधी लक्षण लंबे समय तक मौजूद रह सकते हैं, विशेषकर कोविड टो। उन्होंने यह भी कहा कि इस अध्ययन से यह भी साबित होता है कि कोविड-19 संक्रमण शरीर के अलग-अलग अंगों और उनके सिस्टम को प्रभावित कर सकता है और वायरल लोड खत्म होने के बाद त्वचा लक्षणों को बची-खुची इन्फ्लेमेशन का आंकलन करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को हिदायत दी है कि वे कोविड-19 के मरीजों के रिकवर होने के बाद उनके स्किन सिंपटम को भी चेक कर उनका मूल्यांकन करें।

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