भारत में स्वास्थ्यकर्मियों को नए कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए एंटी-मलेरिया दवा ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ (एचसीक्यू) की खुराक देने की सलाह दी गई है। कुछ राज्यों (राजस्थान और महाराष्ट्र) में तो पुलिसकर्मियों और अन्य हॉटस्पॉट इलाकों में आम लोगों को भी कोरोना वायरस से बचाने के लिए एचसीक्यू देने को कहा गया है। भारत कई देशों को यह दवा निर्यात भी कर रहा है। लेकिन हेल्थ विशेषज्ञों ने इसे लेकर चिंता जाहिर करते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

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मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के संबंध में भारत के शीर्ष रिसर्च संस्थाओं की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि बिना प्रमाण के किसी दवा का सेवन करना उचित नहीं है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा क्षेत्र की जानी-मानी पत्रिका 'दि लांसेट' में प्रकाशित एक शोध का हवाला देते हुए इन विशेषज्ञों ने कहा कि विश्वसनीय साक्ष्यों के अभाव में बीमारी की रोकथाम या बचाव के लिए किसी प्रकार के रोगनिरोध का सुझाव देना जोखिम भरा हो सकता है।

विशेषज्ञों ने कहा कि वे इस बात से काफी चिंतित हैं कि वैश्विक महामारी के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारत की शीर्ष वैज्ञानिक संस्था ने एचसीक्यू के इस्तेमाल का समर्थन किया, जबकि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि यह दवा कोविड-19 में लाभकारी होगी भी या नहीं। इस अनदेखी के बीच अमेरिका के बाजार में पहले से ही हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन दोनों दवाओं की आपूर्ति में कमी देखी गई है और भारत में स्थिति कुछ अलग नहीं है। यह इस बात का संकेत है कि एचसीक्यू के प्रचार-प्रसार की वजह से लोगों ने खुद ही बिना डॉक्टरी सलाह के इसे लेना शुरू कर दिया है।

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एचसीक्यू दवा के दुष्प्रभाव सामने आए
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) में महामारी विज्ञान और संचारी रोगों के प्रमुख रमन आर गंगाखेडकर की मानें तो संस्थान ने एचसीक्यू के दुष्प्रभावों पर एक अध्ययन शुरू भी कर दिया है। अध्ययन के तहत स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया है कि एचसीक्यू दवा के सेवन के बाद उन्हें किस तरह के दुष्प्रभाव हुए हैं।

भारत सरकार के समाचार प्रसारक ‘ऑल इंडिया रेडियो’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, इस दवा को लेने के बाद कई स्वास्थ्यकर्मियों ने पेट में दर्द, उल्टी ( मतली) और हाइपोग्लाइसीमिया (लो ब्लड शुगर या रक्तचाप कम होना) जैसी समस्याएं होने की जानकारी दी है। आईसीएमआर के शोध में पाया गाया कि औसतन 35 साल की उम्र वाले दस प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मचारियों ने पेट दर्द की समस्या की रिपोर्ट दी, जबकि छह प्रतिशत लोगों ने उल्टी और 1.3 प्रतिशत को हाइपोग्लाइसीमिया की परेशानी हुई।

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रिपोर्ट में बताया गया है कि इनमें से लगभग 22 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मचारियों को डायबिटीज, हृदय रोग, सांस की समस्या और बीपी (रक्तचाप) से जुड़ी समस्या पहले से ही है। वहीं, आईसीएमआर ने कहा है कि चूंकि परीक्षण करने के लिए पहले से पर्याप्त जानकारी व सबूत नहीं हैं, इसलिए वह एचसीक्यू के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए अलग-अलग समूह के तहत लोगों का अध्ययन कर रहा है।

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