देश में कोविड-19 के मरीजों के साथ गर्मी भी बढ़ती जा रही है। कई डॉक्टरों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, वैसे-वैसे कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 का संक्रमण भी कम होता जाएगा। इस आशंका का विरोध करने वालों की कमी नहीं है, लेकिन आम लोग आस लगा रहे हैं कि गर्मी में कोरोना वायरस खत्म हो जाए। इस कारण कई लोग गर्मी में एयर-कंडीशनर के इस्तेमाल को लेकर उलझन में हैं। दरअसल, चीन में हुए एक शोध में कहा गया था कि एयर-कंडीशन वेंटिलेशन में वायरस के ड्रॉपलेट ट्रांसमिशन का खतरा बढ़ जाता है। वहीं, केंद्र सरकार ने भी इस बाबत गाइडलाइन जारी की हैं।

सरकार ने जो गाइडलाइन जारी की हैं, उन्हें 'इंडियन सोसायटी ऑफ हीटिंग रेफ्रीजरेशन एंड एयर कंडीशनर इंजीनियर्स' (आईएसएचएआरई) के हवाले से जारी किया गया है। इस संगठन के मुताबिक, इन दिनों घरों में एसी का तापमान 24 से 30 डिग्री सेल्सियस पर रखना पर्याप्त है और उसी हिसाब से 40 से 70 प्रतिशत आर्द्रता यानी नमी बनाए रखना सही है। आईएसएचआरएई ने चीन के 100 शहरों में हुए अध्ययन के आधार पर बताया है कि 'ज्यादा तापमान और ज्यादा नमी से इन्फ्लूएंजा के ट्रांसमिशन में कमी आती है'।

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वहीं, कम तापमान इन्फ्लूएंजा के बने रहने के लिए अनुकूल है। आईएसएचआरएई के मुताबिक, 20.5 से 24 डिग्री सेल्सियस वाले माहौल में वायरस कम होने लगता है और इससे ज्यादा तापमान रहने पर इसके खत्म होने की रफ्तार और बढ़ जाती है। संगठन का कहना है, 'यह पाया गया है कि चार डिग्री के तापमान में सार्स-सीओवी-2 सतहों पर 14 दिनों तक रहता है, 37 डिग्री सेल्सियस पर वायरस एक दिन ही रह पाता है और 56 डिग्री पर यह निष्क्रिय हो जाता है।'

नमी का क्या है संबंध?
दरअसल, जानकार बताते हैं कि उचित मात्रा में नमी होने से कोरोना वायरस की क्षमता प्रभावित होती है। यह श्वसन संबंधी संक्रमण से बचाने में अहम भूमिका निभाता है। जब हम सूखी हवा शरीर के अंदर लेते हैं तो फेफड़ों की झिल्ली (मूकस मेम्ब्रेन) भी सूख जाती है। इससे कोशिकाओं की परत पर फैला तरल पदार्थ गाढ़ा हो जाता है और फेफड़ों को सूक्ष्म कणों से बचाने वाला सिलिया दुष्क्रियाशील हो जाता है। परिणामस्वरूप, कण (या रोगाणु) फेफड़ों में अंदर तक घुस जाते हैं। इसीलिए 40 से 70 प्रतिशत नमी को रोगाणुओं को रोकने के लिहाज से उचित माना जाता है। 

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वहीं, आईएसएचआरएई के मुताबिक, 80 प्रतिशत ह्यूमिडी में कोविड-19 के वायरस के खत्म होने के संकेत मिले हैं। इसी कारण सरकार की गाइडलाइन में कहा गया है कि शुष्क वातावरण में नमी को 40 प्रतिशत से कम नहीं रखना चाहिए और कमरे में वाष्पन पात्र (इवापरेट पैन) रखना चाहिए ताकि नमी 40 प्रतिशत से कम होने पर वह उसे बढ़ा दे। इसके अलावा, एक अन्य गाइलडाइन में कहा गया है कि कमरे में हवा का रीसर्कुलेशन बाहर से भी होना चाहिए, इसलिए घर की खिड़कियां थोड़ी बहुत खोल कर रखनी चाहिए और एग्जॉस्ट भी चला कर रखना चाहिए ताकि अंदर प्राकृतिक रूप से हवा बनी रहे।

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