कोविड-19 महामारी की वजह बने सार्स-सीओवी-2 कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए अमेरिका और कनाडा के वैज्ञानिकों ने एक 'रिसेप्टर ट्रैप' तैयार किया है। नया कोरोना वायरस मानव कोशिकाओं में घुस कर उन्हें संक्रमित करता है और फिर अपनी कॉपियां बनाता है। इसके लिए वह एक प्रोटीन रिसेप्टर एसीई2 की मदद लेता है, जो मानव अंगों की सतह पर पाया जाता है। वैज्ञानिकों ने इसी रिसेप्टर की बाह्यकोशिकाओं की मदद से रिसेप्टर वैरिएंट तैयार किए हैं, जो सार्स-सीओवी-2 के स्पाइक प्रोटीन को एसीई2 रिसेप्टर के साथ बंधने से रोकते या ब्लॉक कर देते हैं। इसके परिणामस्वरूप वायरस कोशिकाओं में घुस नहीं पाता, जिसके चलते सेल्स संक्रमित नहीं होतीं।
(और पढ़ें - मारिया रामिरेज: कोविड-19 की वह मरीज जिनकी कहानी बताती है कि कोरोना वायरस हमारे साथ क्या कर सकता है?)
शोधकर्ताओं का कहना है कि एसीई2 रिसेप्टर ट्रैप को उन कोरोना वायरसों के खिलाफ भी इस्तेमाल किया जा सकता है, जो कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए एसीई2 का इस्तेमाल करते हैं। उनके मुताबिक, इसके लिए ट्रैप को ज्ञात सेल रिसेप्टर को ध्यान में रखते हुए पहले से डिजाइन भी किया जा सकता है। इससे इलाज के परिणाम तेजी से मिलने में मदद मिलेगी और ऐसा करते हुए कोविड-19 से रिकवर हुए मरीजों के शरीर से एंटीबॉडीज को आइसोलेट करने की भी जरूरत नहीं होगी।
यह उल्लेखनीय है कि सार्स-सीओवी-2 को रोकने के प्रयासों के तहत विकसित किए गए ज्यादातर एंटीबॉडी वायरस को सेल में घुसने से रोक पाए हैं। इन एंटीबॉडी ने खुद को एसीई2 पर मौजूद रिसेप्टर-बाइंडिंग डोमेन (आरबीडी) से बांध लिया, जिसके चलते वायरस प्रोटीन एंजाइम के जरिये कोशिका में नहीं घुस पाया। चूंकि कोविड-19 के तुरंत इलाज की जरूरत है, इसीलिए ज्यादातर वैज्ञानिकों ने वायरस के खिलाफ ऐसी क्षमता वाले एंटीबॉडी पैदा करने की ओर ज्यादा ध्यान दिया है। लेकिन इस तरह की रणनीतियों के लिए जनसंख्या के एक बड़े हिस्से में कोरोना संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी होने चाहिए।
(और पढ़ें - कोविड-19: ट्रंप प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों ने अमेरिका में हालात और बिगड़ने के संकेत दिए, जानें किसने क्या कहा)
वहीं, वायरस में होने वाले बदलाव भी प्रभावी एंटीबॉडी को विकसित करने के प्रयासों के लिए एक बड़ी बाधा है। हालांकि यही बदलाव, जो एसीई2 रिसेप्टर ट्रैप्स की क्षमता कम करते हैं, वायरस के कोशिका में घुसने की क्षमता में भी गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। शीर्ष अमेरिकी ड्रग एजेंसी एफडीए ने अभी तक ऐसे किसी रिसेप्टर ट्रैप को अप्रूव नहीं किया है। हालांकि एचआईवी के इलाज के रूप में कुछ के क्लिनिकल ट्रायल जरूर किए गए हैं।
बहरहाल, नए कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार किए गए इस रिसेप्टर ट्रैप को बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने प्रोटीन इंजीनियरिंग को एक-एक स्टेप के तहत अप्लाई किया। इसके जरिये उन्होंने एसीई2 रिसेप्टर के बाह्य कोशिका वाले हिस्से से असक्रिय घुलनशील वैरिएंट तैयार किए। ये वैरिएंट सार्स-सीओवी-2 के स्पाइक प्रोटीन को एसीई2 के साथ जुड़ने से पहले ही ब्लॉक कर देते हैं। इसे तैयार करने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया और यूनिवर्सिटी ऑफ ऐलबर्ट तथा रॉकफेलर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके द्वारा विकसित एसीई2 रिसेप्टर ट्रैप सार्स-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ भरोसेमंद विकल्प देता है।
(और पढ़ें - कोविड-19 को फैलने से रोकने और मृत्यु दर को कम करने में बीसीजी वैक्सीन मददगार: अध्ययन)
नोट: यह शोध अभी तक किसी मेडिकल जर्नल में प्रकाशित नहीं हुआ है। इसकी समीक्षा की जा रही है। फिलहाल इसे मेडआरकाइव पर पढ़ा जा सकता है। हम इस शोध से जुड़े तथ्यों का समर्थन और विरोध दोनों ही नहीं करते हैं। इस रिपोर्ट में केवल स्टडी से जुड़ी जानकारी और तथ्यों को पाठकों तक पहुंचाया गया है।