किसी भी बीमारी के बढ़ने और फैलने पर सबसे ज्यादा चिंता छोटे बच्चों के माता-पिता को होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आमतौर पर बच्चे ज्यादातर बीमारियों के मामले में हाई-रिस्क कैटिगरी में आते हैं, जिसमें निमोनिया, फ्लू और इंफेक्शन जैसी कई बीमारियां शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO की मानें तो ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि बच्चों का केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, रोग प्रतिरोधक क्षमता, पाचन तंत्र और प्रजनन क्षमता विकासशील अवस्था में होते हैं। चूंकि बच्चे बेहद एक्टिव होते हैं और एक जगह आराम से नहीं बैठते, इसलिए उन्हें वातावरण से होने वाले खतरों का रिस्क सबसे ज्यादा रहता है।
यही वजह है कि वैश्विक महामारी सार्स-सीओवी-2 वायरस की वजह से होने वाली बीमारी कोविड-19 इंफेक्शन को लेकर भी ज्यादातर पैरंट्स अपने बच्चों की सेहत को लेकर काफी चिंतित हैं। यह एक बिल्कुल नई बीमारी है इसलिए इससे जुड़ी रिसर्च बेहद कम है और यही कारण भी है कि माता-पिता बच्चों को लेकर चिंतित भी ज्यादा हैं।
इसका मतलब यह भी है कि सभी तरह के सुरक्षात्मक उपाय अपनाने और सतर्क रहने के साथ-साथ मौजूदा स्थिति में कोविड-19 के बारे में कोई बहुत ज्यादा कुछ नहीं कर सकता। इस वजह से माता-पिता के लिए यह एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि ज्यादातर प्रभावित देशों में सबसे पहले स्कूल ही बंद किए गए थे ताकि कोविड-19 को फैलने से रोका जा सके और बच्चों को बीमार पड़ने से बचाया जा सके।
चूंकि, बच्चे अब घरों के अंदर बंद हैं और कोविड-19 की वजह से प्रभावित दुनियाभर के ज्यादातर शहरों में लॉकडाउन कर दिया गया है, इसलिए पैरंट्स के लिए बच्चों को संभालना और भी मुश्किल हो गया है। वायरस की वजह से मौजूदा समय के बारे में बच्चों को समझाना, बच्चों को सुरक्षित रखना, व्यस्त रखना, उन्हें वायरस से बचने के उपाय के बारे में बताना और स्कूल बंद होने की वजह से उनकी पढ़ाई भी घर में जारी रहे इस बात का भी ध्यान रखना है। यह सारी चीजें एक साथ करना पैरंट्स के लिए मुश्किल काम हो सकता है, लेकिन हम कुछ टिप्स के बारे में बता रहे हैं जो माता-पिता के काम आ सकती हैं -