हरियाणा के गुड़गांव स्थित जाने-माने मेदांता अस्पताल में कोरोना वायरस रीइन्फेक्शन के दो संभावित मामले सामने आए हैं। खबर के मुताबिक, दोनों मामले बच्चों से जुड़े हैं। इनमें से एक बच्चे की उम्र तीन साल और दूसरे की 14 साल है। प्रतिष्ठित अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ये दोनों बच्चे कैंसर के मरीज हैं। अस्पताल ने बताया है कि उसने बच्चों में दूसरी बार कोरोना वायरस के खिलाफ पैदा होने वाले एंटीबॉडी डिटेक्ट किए हैं। अस्पताल का कहना है कि इसके बाद पीड़ितों के शरीर में वायरस के स्ट्रेन का पता करने के लिए सैंपलों को पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरोलॉजी में भेज दिया गया है।

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अखबार के मुताबिक, इस मामले से जुड़ा रिसर्च पेपर यूरोप की कमर्शियल सोशल नेटवर्किंग साइट रिसर्चगेट में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में बताया गया है कि रीइन्फेक्शन का पहला मामला 14 वर्षीय बच्चे से जुड़ा है, जो 71 दिनों बाद फिर कोरोना वायरस टेस्ट में पॉजिटिव निकला था। वह पहले से ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर) से पीड़ित है। जून के पहले हफ्ते में कीमोथेरेपी शुरू करने से पहले उसका कोविड-19 टेस्ट हुआ था, जो पॉजिटिव आया था। मेदांता में बच्चों के कैंसर के मामलों के प्रमुख डॉ. सत्या यादव ने इस केस को लेकर अखबार से कहा, 'वह (बच्चा) असिम्प्टोमैटिक था और उसे दो हफ्तों तक आइसोलेशन में रखा गया था। उसके बाद किया गया टेस्ट नेगेटिव निकला, जिसके बाद हमने कीमोथेरेपी शुरू की थी।' इसके बाद अगस्त महीने के मध्य में कीमोथेरेपी के दूसरा राउंड से पहले जब बच्चे का आरटी-पीसीआर आधारित कोविड-19 टेस्ट किया गया तो वह फिर पॉजिटिव निकला। तब तक उसे पहली बार संक्रमित हुए 71 दिन हो चुके थे। दूसरी बार टेस्ट पॉजिटिव आने पर डॉक्टरों को कीमोथेरेपी रोकनी पड़ी। डॉ. यादव ने बताया, 'हमने फिर कीमोथेरेपी रोकी और उसे दो हफ्तों के लिए आइसोलेशन में रखा। दोनों ही बार बच्चे में लक्षण नहीं दिखे थे।'

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वहीं, रीइन्फेक्शन के दूसरे मामले से जुड़े तीन वर्षीय बच्चे को न्यूरोब्लास्टोमा ट्यूमर है। जुलाई महीने में उसकी सर्जरी हुई थी। उसके दो हफ्ते बाद बच्चा कोविड-19 से पीड़ित पाया गया था। इसके चलते डॉक्टरों को उसका कैंसर ट्रीटमेंट रोकना पड़ा। पहले संक्रमण की पुष्टि के चलते बच्चे को आइसोलेशन में रखा गया। तीन हफ्तों बाद उसका टेस्ट नेगेटिव निकला। लेकिन इसके 42 दिन बाद अगस्त महीने के अंत में बच्चा कीमोथेरेपी से पहले किए गए कोविड-19 टेस्ट में फिर पॉजिटिव पाया गया।

इन दोनों पीड़ितों को लेकर डॉ. यादव ने बताया कि उन्होंने इनके आरटी-पीसीआर सीटी (साइकिल थ्रेसहोल्ड) वैल्यू और इम्यूनोग्लोबुलिन जी (आईजीजी) एंटीबॉडी की जांच की है। इसमें पता चला है कि दूसरी बार संक्रमित होने पर दोनों बच्चों में आईजीजी एंटीबॉडी पैदा हुए थे। डॉ. यादव ने बताया, 'दूसरे संक्रमण के समय दोनों मरीजों में आईजीजी एंटीबॉडी मौजूद थे। इसलिए आइडली उन्हें फिर से संक्रमित नहीं होना चाहिए था। हो सकता है कीमोथेरेपी के चलते इम्यून रेस्पॉन्स में रुकावट आई हो और इस कारण वायरस फिर से सक्रिय हुआ हो। लेकिन उनकी रिपोर्ट में ऐसी जानकारी नहीं है।' डॉक्टर ने आगे बताया, '14 साल के लड़के के सीटी वैल्यू हाई थे, जो वायरल लोड कम होने का संकेत है। लेकिन तीन साल के बच्चे की सीटी वैल्यू लो थी, जो हाई वायरल लोड का संकेत देती है। इसलिए संभव है कि यह बच्चा (वायरस के) दूसरे स्ट्रेन से रीइन्फेक्ट हुआ हो।'

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इन नए मामलों से देश में कोविड-19 रीइन्फेक्शन को लेकर मेडिकल विशेषज्ञों की बहस एक बार फिर जोर पकड़ सकती है। गौरतलब है कि अमेरिका और यूरोप के अलावा भारत में भी कोरोना रीइन्फेक्शन के मामले सामने आए हैं। कर्नाटक, गुजरात आदि राज्यों में संभावित रीइन्फेक्शन के केसों का पता चला है। हालांकि अभी तक ऐसी कोई वैज्ञानिक स्टडी नहीं की गई है, जिससे पता चल सके कि इनमें से कौन से मामले कोरोना वायरस के परिवर्तित स्ट्रेन से जुड़े थे और कौन से लोग पहले संक्रमण के समय से फैले वायरस के कारण दोबारा संक्रमित हुए।

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