अमेरिका, ब्रिटेन, चीन समेत दुनिया भर के प्रमुख देशों में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के मामले तेजी से बढ़ते नजर आ रहे हैं. भारत में भी कई राज्यों में ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले सामने आ रहे हैं, जिससे कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका बढ़ गई है.

इसे लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिसूचना भी जारी कर लोगों से निर्धारित कोरोना प्रोटोकॉल का अनुपालन करने की बात कही है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों से सोशल डिस्टेन्सिंग, फेस मास्किंग और जल्द से जल्द कोविड-19 वैक्सीन की दोनों डोज लेने की सलाह दी है.

इस बीच लोगों के मन में सवाल खड़ा है कि कोविड से ठीक हो चुके लोगों को ओमिक्रॉन से कितना खतरा है?

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  1. सीडीसी कहता है फिर हो सकता है कोविड
  2. शुरुआती स्टडी का दावा?
  3. भारत में ओमिक्रॉन के मामले
  4. सारांश
  5. क्या ओमीक्रॉन की वजह से दोबारा कोविड हो सकता है? के डॉक्टर

मेडिकल रिसर्च स्टडीज में इस बात का दावा अक्सर किया जाता रहा है कि किसी भी वायरस से संक्रमित होने के बाद शरीर में उस संक्रमण से अगली बार लड़ने के लिए प्राकृतिक तौर पर एंटीबाडीज बनना शुरू कर देती है. फिलहाल कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर कई वैश्विक स्वास्थ्य संस्थाओं द्वारा रिसर्च किया जा रहा है.

लेकिन अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड से पहले ठीक हो चुके लोगों में भी ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित होने का खतरा है. सीडीसी की ताजा रिसर्च स्टडी के अनुसार, कोरोना संक्रमण के बाद शरीर में एक निश्चित मात्रा में प्राकृतिक प्रतिरक्षा विकसित होती है जो कुछ ही महीनों में होने लगती हैं.

इस रिसर्च के अनुसार, इस बात का विशेष ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि कोविड की पिछली लहर में लोगों को संक्रमण आज से करीब कुछ महीनों या एक साल पहले हुआ था, जिसका सीधा मतलब यह है कि कोरोना संक्रमण के प्रति बनी प्रतिरक्षा समय के साथ ही कम हो सकती है, जिसकी वजह से लोगों में दोबारा संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है.

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शुरुआती रिसर्च स्टडी में दावा किया किया गया था कि संक्रमण के विरुद्ध प्रतिरक्षा 6 महीने या उससे अधिक समय तक रह सकती है. दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के शोधकर्ताओं ने एक अन्य मेडिकल रिसर्च स्टडी में दावा किया कि कोविड संक्रमण के बाद करीब 10 महीनों तक फिर से संक्रमित होने का खतरा कम रहता है. 

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि जिन लोगों को पहले गंभीर कोरोना संक्रमण हो चुका है, उनमें मेमोरी टी-सेल (Memory T-Cell) की संख्या अधिक हो जाती है. कोविड के गंभीर संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर को क्षमता से अधिक मेहनत करने की जरूरत होती है, जिसके कारण मेमोरी टी-सेल पूरे शरीर में एक्टिव होते हैं और अगले संक्रमण में सुरक्षा प्रदान करने में सहायक होता है. लेकिन कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन पर इसके प्रभाव को लेकर फिलहाल कोई निष्कर्ष सामने नहीं आया है.

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भारत में आए ओमिक्रॉन के पहले दो मामलों में बेंगलुरु के एक डॉक्टर के कोरोना नेगेटिव होने के बाद दोबारा संक्रमित होने की बात सामने आई थी जबकि उसने फाइजर वैक्सीन की दोनों डोज लगवाई थी और पहली बार ओमिक्रॉन संक्रमित होने पर उसने कथित तौर पर इसे हरा दिया था इससे निश्चित तौर पर समझा जा सकता है कि कोरोना के इस नए वेरिएंट का प्रभाव कितना खतरनाक है.

आपको बता दें कि कोरोना वायरस का नया ओमिक्रॉन वेरिएंट सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था और आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि करने वाला पहला देश नाइजीरिया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और नीति आयोग ने भी कोविड ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर सावधानी बरतने के साथ-साथ बूस्टर डोज लेने पर जोर दिया है.

हालांकि, विश्व भर में अमेरिका की फाइजर वैक्सीन, रूस की स्पूतनिक वैक्सीन की बूस्टर डोज ने केवल ओमिक्रॉन के प्रभाव को कम करने में थोड़ी सफलता पाई है. लेकिन अभी भी ओमिक्रॉन वेरिएंट के लिए कोरोना बूस्टर डोज पर शोध जारी है और आम जनता के उपयोग के लिए इसके जल्द ही आने की उम्मीद है.

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वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए कोविड से ठीक हो चुके लोगों को ओमिक्रॉन से कितना खतरा है. इसके बारे में स्पष्ट रूप से कहना मुश्किल है. कोरोना के ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए आपको सलाह दी जाती है कि खुद को ओमिक्रॉन से सुरक्षित रखें. घर से बाहर जाते समय हमेशा फेस मास्क लगाएं, सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करें और भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें. ताकि आप खुद को और अपने बच्चों को कोरोना से सुरक्षित रख सकें.

 

अस्वीकरण - इस लेख में दी गई जानकारी प्रकाशन के समय सटीक है। हालांकि, जैसे-जैसे COVID-19 और ओमीक्रॉन की स्थिति विकसित हो रही है, यह संभव है कि प्रकाशन के बाद से कुछ जानकारी और डेटा बदल गए हों। इसलिए, यदि आप इस लेख को इसके प्रकाशन के लंबे समय बाद पढ़ रहे हैं, तो हम आपको लेटेस्ट समाचार और जानकारी WHO और MoHFW से पाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

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