नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण फैलाने की क्षमता को लेकर एक नया दावा सामने आया है। एक नए शोध के आधार पर बताया गया है कि सार्स-सीओवी-2 हवा में 13 फीट तक फैल सकता है। बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) समेत तमाम मेडिकल एवं शोध संस्थान और विशेषज्ञ कहते रहे हैं कि नया कोरोना वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने पर एक मीटर तक हवा में जा सकता है। इसी आधार पर लोगों को हिदायत दी जाती रही है कि वे सर्दी-जुकाम या खांसी से पीड़ित व्यक्ति से कम से कम तीन से छह फीट की दूरी बना कर रखें। लेकिन नए शोध की मानें तो इतनी दूरी भी इस वायरस से बचने के लिए कम है।

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अमेरिका की सरकारी स्वास्थ्य एजेंसी 'सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन' यानी सीडीसी की पत्रिका ‘इमर्जिंग इंफेक्शियस डिसीज’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, नया कोरोना वायरस हवा में चार मीटर यानी 13 फीट से ज्यादा दूरी तय कर सकता है। पत्रिका की मानें तो वायरस के एरोसोल डिस्ट्रीब्यूशन (हवा में फैलने से जुड़े आंकड़े) से संकेत मिले हैं कि यह वायरस चार मीटर तक जा सकता है। इसका मतलब है कि अगर संक्रमित व्यक्ति के 13 फीट के दायरे में कोई और व्यक्ति खड़ा है तो सार्स-सीओवी-2 उस तक पहुंचने की क्षमता रखता है।

पत्रिका ने चीन की राजधानी बीजिंग स्थित 'एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंस' के शोधकर्ताओं के अध्ययन के आधार पर यह रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस अध्ययन से यह संदेह पैदा होता है कि शायद कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग के तहत बनाई जा रही तीन फीट (डब्ल्यूएचओ के अनुसार) या छह फीट (सीडीसी के अनुसार) की दूरी भी संक्रमण से बचने के लिए नाकाफी है।

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जूतों से भी कैसे फैल सकता है संक्रमण
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सार्स-सीओवी-2 का संक्रमण जूतों से भी फैलता है। पत्रिका के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने वुहान के हुओशेन्श अस्पताल के आईसीयू मेडिकल स्टाफ के जूतों का अध्ययन किया था। उन्होंने स्टाफ के जूतों के तलवों (सोल) से सैंपल इकट्ठा किए थे। बाद में जब उनकी जांच की गई तो आधे नमूने पॉजिटिव पाए गए। इसके अलावा रिपोर्ट कहती है कि कंप्यूटर माउस, कूड़े के डिब्बों और पलंग से जोड़े जाने वाले बेड रेल्स की सतहों पर भी संक्रमण पाया जा सकता है।

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