इस समय यह बता पाना मुश्किल है कि कोविड-19 महामारी के लिए जिम्मेदार नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 को लेकर कितने प्रकार के शोध चल रहे हैं। दुनियाभर के वैज्ञानिक इसकी दवा बनाने की कोशिश तो कर ही रहे हैं, साथ ही इस वायरस की क्षमता को लेकर भी नई जानकारियों आए दिन सामने आती रहती हैं। इस संबंध में एक बड़ा और महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या सार्स-सीओवी-2 गर्मी में कमजोर या खत्म हो जाएगा। कई मेडिकल विशेषज्ञ ऐसा मानते हैं। इनमें अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ एंथनी फॉसी भी शामिल हैं। लेकिन इस राय को खारिज करने विशेषज्ञों की भी कमी नहीं है। वे कोरोना वायरस से जुड़े इतिहास और अनुभवों के आधार पर कहते हैं कि यह विषाणु उच्च तापमान में जिंदा रह सकता है। अब एक नया शोध सामने आया है, जो इस राय को और मजबूती देता है।

(और पढ़ें - कोविड-19: अमेरिका में इबोला वायरस की इस दवा से कोरोना वायरस के कई मरीजों के ठीक होने का दावा, डब्ल्यूएचओ के क्लीनिकल ट्रायल में है शामिल)

दरअसल, फ्रांस स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ऐक्स-मार्सिले में किए गए इस शोध के हवाले से आई एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक, नया कोरोना वायरस उच्च तापमान में भी जीवित रहने की क्षमता रखता है। यहां बता दें कि अभी इस शोध की समीक्षा की जाएगी। फिलहाल यह किसी शोध पत्रिका में प्रकाशित नहीं हुआ है। बहरहाल, शोध में शामिल प्रोफेसर रेमी चारेल और प्रोफेसर बोरिस पैस्टोरीनो ने बताया कि प्रयोग के तहत नए कोरोना वायरस को 60 डिग्री सेल्सियस के तापमान में रखा गया, यह देखने के लिए कि विषाणु इतनी गर्मी झेल पाता है कि नहीं। शोधकर्ताओं ने पाया कि इतना तापमान भी सार्स-सीओवी-2 को खत्म करने के लिए पर्याप्त नहीं था। शोध के मुताबिक, अगर 15 मिनट तक 92 डिग्री सेल्सियस के तापमान में कोरोना वायरस को रखा जाए, तो शायद इसे मारा जा सकता है।

(और पढ़ें - कोरोना वायरस को रोकने में एन95 मास्क से बेहतर और किफायती बताया जा रहा नॉर्थ 7700 मास्क, जानें क्या हैं इसकी खूबियां)

रिपोर्ट के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने कोरोना वायरस से संक्रमित एक अफ्रीकी प्रजाति के बंदर के शरीर से विषाणु के दो नमूने लिए थे। इनमें से एक नमूने को गर्म वातावरण में रखा गया। शोध के परिणाम के आधार पर बताया गया है कि एक घंटे तक 60 डिग्री के तापमान में रहने के बाद भी वायरस जिंदा रहा। इससे शोधकर्ताओं को संकेत मिला कि सामान्य रूप से लैब में अपनाई जाने वाली डिसइन्फेक्शन प्रक्रिया में भी यह वायरस आसानी से बना रह सकता है। हालांकि, 92 डिग्री के तापमान पर वायरस खत्म हो गया।

अध्यनन के दौरान शोधकर्ताओं ने यह भी गौर किया कि वायरस का वायरल लोड कम होने की सूरत में 60 डिग्री का तापमान इसे निष्क्रिय करने के लिए काफी हो सकता है, लेकिन अगर वायरल लोड ज्यादा है तो ऐसा करने के लिए और ज्यादा गर्मी की आवश्यकता पड़ सकती है। इस आधार पर शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि गर्म तापमान में रखने के बजाय केमिकल का इस्तेमाल कर वायरस को खत्म करना ज्यादा सही तरीका है।

(और पढ़ें - कोरोना वायरस: मृतकों का वैश्विक आंकड़ा एक लाख 70 हजार के पार, स्पेन में कोविड-19 के दो लाख मरीजों की पुष्टि)

और पढ़ें ...
ऐप पर पढ़ें