कोविड-19 की वैक्सीन के लिए ऑस्ट्रेलिया में ट्रायल शुरू हो गए हैं। अमेरिका में वैक्सीन बनाने वाली कंपनी 'नोवावैक्स' ने सोमवार को एक प्रेस रिलीज जारी कर यह जानकारी दी। कंपनी ने बताया कि उसने कोविड-19 की रोकथाम के लिए वैक्सीन खोजने की दिशा में ऑस्ट्रेलिया में पहले और दूसरे चरण के ट्रायल शुरू किए हैं। इसके लिए 30 अप्रैल से प्रतिभागियों को शामिल करना शुरू किया गया था। यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। अभी तक 131 प्रतिभागियों के नाम दर्ज किए गए हैं, जिनकी उम्र 18 साल से 59 साल के बीच है। फिलहाल पहले चरण के ट्रायल किए जा रहे हैं। इस दौरान प्रतिभागियों को पांच और 25 माइक्रोग्राम के दो अलग-अलग डोज दिए जाएंगे। 

खबरों के मुताबिक, चूंकि यह एक रैन्डम ट्रायल है, इसलिए किसी डोज में मैट्रिक्स-एम (ऐजवन्ट: एक प्रकार का सहायक एजेंट या पदार्थ) मिलाया जाएगा तो किसी में नहीं। यह देखने के लिए इसके बिना वैक्सीन कितने प्रभावी एंटीबॉडीज बना पाती है। जुलाई महीने तक पहले चरण के परिणाम आने की उम्मीद जताई गई है, जिसके बाद दूसरे चरण के परीक्षण किए जाएंगे।

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एनवीएक्स-सीओवी2373 वैक्सीन का ट्रायल
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए नोवावैक्स ने जो वैक्सीन तैयार की है, उसका नाम 'एनवीएक्स-सीओवी2373' है। नोवावैक्स के मुताबिक, उसने नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के डीएनए के विशेष हिस्सों की मदद से यह वैक्सीन तैयार की है। जिस तकनीक से वैक्सीन तैयार की गई है, उसे रीकॉम्बिनेंट प्रोटीन नैनोपार्टिकल टेक्नॉलजी कहते हैं। इसमें अतिसूक्ष्म अणुओं यानी नैनोपार्टिकल्स को एक वेक्टर या डीएनए मॉलिक्यूल में डाला जाता है। यह वेक्टर इसमें अलग से डाले गए डीएनए को शरीर में पहुंचाता है और किसी कोशिका में खास तरह का डीएनए सीक्वेंस बनाता है। इनके प्रभाव में शरीर कुछ विशेष प्रकार के एंटीजन पैदा करता है। इन्हीं एंटीजन के खिलाफ शरीर में रोग-प्रतिकारक यानी एंटीबॉडीज पैदा होते हैं, बिल्कुल वैसे ही जैसे किसी वायरस के प्रभाव को खत्म करने के लिए होता है। इस प्रकार बीमारी के खिलाफ रोग-प्रतिकारक क्षमता पैदा होती है। बताया जाता है कि यह तकनीक हेपेटाइटिस बी और चर्म रोग के वायरसों के खिलाफ पहले से इस्तेमाल की जा रही है।

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वैक्सीन की विशेषता
एनवीएक्स-सीओवी2373 को सार्स-सीओवी-2 के स्पाइक प्रोटीन से बनाया गया है। साथ ही, शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ पैदा हुए इम्यून सिस्टम को और बढ़ाने के लिए वैक्सीन में 'मैट्रिक्स-एम' नामक पदार्थ बतौर सहायक मिलाया गया है। यह पदार्थ वायरस के खिलाफ इम्यून रेस्पॉन्स को और मजबूती देता है। नोवावैक्स ने क्विलाजा सैपोनिन्स, कोलेस्ट्रॉल और फोस्फोलिपिड जैसे पदार्थों से मैट्रिक्स-एम बनाया है। बता दें कि क्विलाजा दक्षिण अमेरिका में पाए जाने वाले एक पेड़ (सोप ट्री) का नाम है।

नोवावैक्स ने बीती 26 फरवरी को घोषणा की थी कि वह अपनी तकनीक से कोविड-19 के खिलाफ वैक्सीन तैयार करने पर काम कर रही है। इसके बाद बीती आठ अप्रैल को कंपनी ने वैक्सीन बना लेने का दावा किया था। कंपनी ने जानवरों के नमूनों के आधार पर दावा किया था कि उसे एनवीएक्स-सीओवी2372 में इम्यून रेस्पॉन्स बढ़ाने की काफी क्षमता दिखाई दी है। कंपनी के मुताबिक, पहले डोज में वैक्सीन ने वायरस के खिलाफ मजबूत एंटीबॉडीज पैदा कर दिए थे। वहीं, दूसरे डोज में यह क्षमता आठ गुना बढ़ गई थी। इसके बाद कंपनी ने कहा था कि अब वह वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल करेगी।

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