नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 ने मेडिकल विशेषज्ञों को चिंता की एक और वजह दे दी है। एक शोध में सामने आया है कि कोविड-19 बीमारी की वजह बना यह वायरस संक्रमित (पुरुष) मरीजों के वीर्य में भी पाया गया है। इससे पहले कोविड-19 के कई मरीजों के हृदय, लिवर, किडनी और आंतों में भी सार्स-सीओवी-2 के मिलने की पुष्टि हुई है। अब कुछ मरीजों के वीर्य में इसके पाए जाने के बाद यह बहस तेज हो गई है कि क्या नए कोरोना वायरस का सेक्शुअल ट्रांसमिशन भी हो सकता है। हालांकि इस शोध के सैंपल और अन्य जानकारियों पर सवाल खड़े किए गए हैं, लेकिन परिणाम को पूरी तरह खारिज भी नहीं किया गया है।

जानी-मानी विज्ञान और चिकित्सा पत्रिका 'जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन' (जामा) में प्रकाशित शोध के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने चीन के शांगकियु इलाके में कोरोना वायरस के 38 मरीजों के सीमन (वीर्य) के सैंपल लिए थे। वैज्ञानिकों ने जब इन सैंपलों की जांच की तो उनमें से छह में कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 मिलने की पुष्टि हुई। पत्रिका ने बताया कि सैंपल लेते समय इन छह मरीजों में से चार में कोविड-19 के लक्षण मौजूद थे और दो मरीज हाल ही में बीमारी से उबरे थे।

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उधर, शोध के सामने आने के बाद इसके परिणाम के विपरीत राय आना शुरू हो गया है। अमेरिका के चर्चित अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवाईटी) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि यह समझना जरूरी है कि सीमन में सार्स-सीओवी-2 के जेनेटिक मटीरियल मिले हैं, जिससे यह साबित नहीं होता कि वायरस के ये कण संक्रमण को फैलाने में सक्षम थे। अखबार ने यूनिवर्सिटी ऑफ इयोवा में माइक्रोबायोलजी, इम्यूनॉलजी और पेडियाट्रिक्स के प्रोफेसर डॉ. स्टेनली पर्लमैन के हवाले से लिखा है, 'यह काफी दिलचस्प खोज है। लेकिन यह पुष्टि होना जरूरी है कि सीमन में मिला वायरस संक्रामक है, न कि उसका केवल एक पदार्थ।' एनवाईटी ने यह भी बताया कि शोध में यह भी साफ नहीं है कि वायरस सीमन में कितने समय तक रहता है। उसके मुताबिक, बीमारी से रिकवर हुए जिन दो मरीजों के सीमन में वायरस पाया गया, वे सैंपल देने से दो-तीन दिन पहले ही ठीक हुए थे।

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यह बात इस मायने में महत्वपूर्ण है कि ऐसे अन्य अध्ययनों में इस तरह के परिणाम नहीं मिले हैं। इसकी बड़ी वजह यह बताई गई है कि उनमें शामिल हुए प्रतिभागियों (कोविड-19 के मरीज) को बीमारी से उबरे काफी समय हो गया था। मिसाल के लिए, बीती 17 अप्रैल को 'फर्टिलिटी एंड स्टेरिलिटी' पत्रिका ने चीन के वुहान शहर के 34 लोगों को अपने शोध में शामिल किया था। उस समय इन सभी मरीजों को कोविड-19 को मात दिए एक महीना बीत चुका था। बताया गया है कि इसी कारण वैज्ञानिकों को इन मरीजों के सीमन में सार्स-सीओवी-2 नहीं मिला था। इस आधार पर एनवाईटी ने कहा है कि फिलहाल सेक्स के दौरान कोविड-19 का ट्रांसमिशन तभी हो सकता है, जब कोई पार्टनर पहले से कोरोना वायरस से संक्रमित हो और ड्रॉपलेट के जरिये (खांसने या छींकने से) उसे दूसरे पार्टनर को ट्रांसफर कर दे।

इसके अलावा कुछ अन्य विशेषज्ञों ने भी शोध करने के तरीके और परिस्थिति पर सवाल उठाए हैं। जानी-मानी मेडिकल वेबसाइट 'मेडस्केप' ने इस बारे में कुछ जानकारों से बात की। इनमें यूनाइटेड किंगडम स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग में वाइरॉलजी के प्रोफेसर इयान जोन्स भी शामिल हैं। उन्होंने बताया, 'मैं ऐसी किसी रिपोर्ट के बारे में नहीं जानता जो (कोरोना) वायरस के सेक्शुअल ट्रांसमिशन की तस्दीक करती हो। इसलिए अगर यह शोध बड़े स्तर पर प्रमाणित हो जाए तो भी (सेक्शुअल ट्रांसमिशन) का खतरा कम है।'

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वहीं, न्यूयॉर्क स्थित रॉचेस्टर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में बायॉलजी की एसोसिएट प्रोफेसर मॉरीन फेरान ने कहा, 'मैं यह नहीं कह रहा कि वे (जामा शोध के वैज्ञानिक) गलत है, लेकिन वे विस्तृत जानकारी नहीं दे रहे हैं।' मॉरीन ने कहा कि हालांकि शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने वायरस की मौजूदगी की पुष्टि के लिए आरटी-पीसीआर टेस्ट किया है, लेकिन सीमन में वायरस होने की पुष्टि के लिए उन्होंने क्या किया, यह उन्होंने नहीं बताया है। हालांकि वेबसाइट के मुताबिक, जामा के एक प्रवक्ता ने स्पष्ट किया है कि सीमन में वायरस की पुष्टि के लिए भी आरटी-पीसीआर टेस्ट किया गया था।

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