गुजरात का अहमदाबाद शहर देश में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों में शामिल है। आम लोग ही नहीं, बल्कि डॉक्टर भी यहां कोरोना वायरस से सुरक्षित नहीं हैं। खबर है कि बीते दो महीनों में अहमदाबाद में सौ से ज्यादा डॉक्टर कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित हुए हैं। हालांकि, इन संक्रमित डॉक्टरों में से कई बीमारी से उबर कर डिस्चार्ज किए जा चुके हैं। लेकिन कुछ का इलाज अभी भी जारी है। प्रतिष्ठित समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) ने गुजरात में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के एक पदाधिकारी के हवाले से यह खबर दी है।

गुजरात में आईएमए के सचिव डॉ. कमलेश सैनी ने पीटीआई को बताया कि शहर के एक जाने-माने विकलांग चिकित्सा विशेषज्ञ की कोरोना वायरस के संक्रमण से मौत हो चुकी है। डॉ. सैनी ने कहा, '(कोरोना वायरस से) पॉजिटिव पाए गए डॉक्टरों में वरिष्ठ चिकित्सक भी शामिल हैं। बीजे मेडिकल कॉलेज के एक पूर्व डीन भी कोरोना वायरस के टेस्ट में पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। (अहमदाबाद में) संक्रमित डॉक्टरों की संख्या 100 से ज्यादा हो सकती है, क्योंकि कई डॉक्टर अपने संक्रमित होने की जानकारी लेकर सामने नहीं आए हैं और एसोसिएशन को भी इस बारे में नहीं बताया है।'

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वहीं, अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) के एक अधिकारी ने बताया है कि एएमसी के तहत चलने वाले अस्पतालों में कई डॉक्टर पॉजिटिव पाए गए हैं। उनमें से दस का इस समय इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अलावा ऐसे कई स्वास्थ्यकर्मी और पुलिसकर्मी भी कोविड-19 का शिकार हुए हैं, जो इस संकट के खिलाफ चल रहे संघर्ष में सबसे आगे की पंक्ति में काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों में गरीबों को राशन बांट रहे सरकारी कर्मचारी और शिक्षक भी शामिल हैं, जो कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं।

कोविड-19 के खिलाफ कैसे लड़ रही है गुजरात सरकार?
शहर की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर स्थानीय प्रशासन और गुजरात सरकार की काफी आलोचना हुई है। मीडिया रिपोर्टें बताती हैं कि पहले गुजरात सरकार ने प्राइवेट लैबों में कोविड-19 के टेस्ट किए जाने का विरोध किया था। उसका कहना था कि निजी प्रयोगशालाओं में टेस्ट कराने पर 70 प्रतिशत आबादी की रिपोर्ट पॉजिटिव आएगी, जिससे लोगों में हाहाकार मच जाएगा। लेकिन हाई कोर्ट ने सरकार की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया था।

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बहरहाल, सरकार के इस रुख के चलते प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती मरीजों को कोविड-19 की टेस्टिंग के लिए अप्रूवल लेने में कई दिनों का समय लग रहा है। ऐसे में कई मरीजों की मौत सिर्फ इसलिए हो गई, क्योंकि सरकार की तरफ से प्राइवेट टेस्ट करने की अनुमति मिलने में देरी हुई। जानकारों के मुताबिक, यह एक बड़ी वजह है कि गुजरात में इतनी बड़ी संख्या में लोग कोविड-19 से मारे गए हैं।

इतना ही नहीं, सरकार अपने स्तर पर भी पर्याप्त टेस्ट नहीं कर रही है। रिपोर्टों की मानें तो बीती 26 मई तक गुजरात में प्रति 1,000 लोगों में से 2.79 की ही जांच हो पा रही थी, जबकि महाराष्ट्र और तमिलनाडु में प्रति 1,000 लोगों में से 3.2 और 5.7 की टेस्टिंग हो रही है। इससे अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है कि आखिर गुजरात में प्रतिदिन सामने आने वाले मरीजों की संख्या में आई गिरावट की वजह क्या है।

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गौरतलब है कि गुजरात में कोरोना वायरस से अब तक 15 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित पाए गए हैं। इनमें से 960 की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जो राज्य के कुल मामलों का छह प्रतिशत है और इस मामले राष्ट्रीय मृत्यु दर से दोगुना से भी ज्यादा है। वहीं, अहमदाबाद के आंकड़े बताते हैं कि गुजरात के 72 प्रतिशत यानी 11,344 मरीज अकेले इसी शहर में हैं। इनमें से 780 की मौत हो गई है, जो राज्य में कोविड-19 से हुई मौतों का 81 प्रतिशत से भी ज्यादा है। 

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