भारत में कोरोना वायरस के मामले बढ़ने के बीच इसके 'कम्युनिटी ट्रांसमिशन' की अटकलों में तेजी देखने को मिली है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर के एक रिसर्च के आधार पर कहा जा रहा है कि इससे देश में कोविड-19 के सामुदायिक स्तर पर फैलने के संकेत मिलते हैं। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को फिर कहा कि भारत में यह बीमारी सामुदायिक स्तर पर नहीं फैली है। वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी एक न्यूज चैनल से बातचीत में यह बात कही है।
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दरअसल, आईसीएमआर से जुड़ी पत्रिका ‘इंडियन जर्नल मेडिकल रिसर्च’ (आईजेएमआर) में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, देश में कोविड-19 से जुड़े ऐसे 40 मरीजों की पुष्टि हुई है, जिनका किसी भी विदेशी यात्रा से जुड़ा कोई इतिहास नहीं है और ना ही ये मरीज विदेश से लौटे किसी व्यक्ति के संपर्क में आए। शोध में बताया गया कि ये मरीज गंभीर श्वसन रोग यानी एसएआरआई से पीड़ित हैं। ऐसे मरीजों को लेकर आईसीएमआर ने अलग से अध्ययन किया था। उसी के परिणाम के आधार पर यह जानकारी सामने आई है, जिसके बाद मीडिया में ‘कम्युनिटी ट्रांसमिशन’ की अटकलें लगाई गईं।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया इनकार
हालांकि भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बार फिर ऐसे किसी खतरे से इनकार किया है। शुक्रवार को कोविड-19 संकट को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि भारत में जिस दर से कोविड-19 के मरीज बढ़े हैं, वह ज्यादा नहीं है। उन्होंने बीमारी को लेकर इकट्ठा किए गए सैंपलों के आधार पर यह जानकारी दी। लव अग्रवाल ने कहा कि लोगों को कम्युनिटी ट्रांसमिशन की आशंका से घबराने की जरूरत नहीं है। उनके मुताबिक, इस समय लोगों को सचेत और सावधान रहने की ज्यादा जरूरत है।
क्या कहा डब्ल्यूएचओ ने?
वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने भी भारत में सामुदायिक स्तर पर संक्रमण फैलने की आशंका से इनकार किया है। उसने एक भारतीय न्यूज चैनल से बातचीत में यह जानकारी दी। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि उसकी ‘सिचुएशन रिपोर्ट’ में गलती से भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के तीसरे स्टेज में जाने की बात कही गई थी। संगठन ने अपनी गलती बताते हुए रिपोर्ट को सुधार लेने की बात कही है।