कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के लिए एक सफल वैक्सीन कब बनकर तैयार होगी यह कहना अब भी काफी मुश्किल है। लेकिन इससे बचाव के तौर पर मास्क का इस्तेमाल और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन बेहद जरूरी है। दूसरी ओर रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युनिटी को बढ़ाकर भी लोग संक्रमण से अपना बचाव करने की कोशिश में जुटे हैं। इसके लिए आयुर्वेदिक चीजों के साथ मेडिकल दवाओं का सहारा भी लिया जा रहा है। लेकिन क्या आपको पता है कि आपके चेहरे पर लगा हुआ ये मास्क भी आपकी इम्युनिटी को बूस्ट करने का काम कर सकता है। मास्क लगाने से इम्युनिटी को मजबूती मिल सकती है।

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स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़ी पत्रिका न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में सेन फ्रैनसिस्को में स्थिति यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ता मोनिका गांधी और जॉर्ज डब्ल्यू रदरफोर्ड ने मास्क की उपयोगिता पर टिप्पणी की है। इनका मानना है कि फेस मास्क इम्युनिटी बढ़ाने के साथ ही कोविड-19 संक्रमण के प्रसार को भी धीमा कर देता है।

क्या वैक्सीन जैसा प्रभाव दे सकता है मास्क ?
विशेषज्ञों के अनुसार, पहले से मौजूद सिद्धांत के अनुसार ही वायरल रोगजनन की संख्या के अनुसार ही उसकी गंभीरता का अनुपात बढ़ता है। फेशियल मास्क बूंदों के रूप में आप तक पहुंचने वाले रोगजनकों की संख्या को रोकता है। इसी के आधार पर मोनिका गांधी और रदरफोर्ड ने अनुमान लगाया कि अगर रोगजनक की कम संख्या होगी तो बीमारी का खतरा भी कम होगा। क्योंकि आप मास्क के जरिए कम से कम रोगजनकों को अपने श्वसन तंत्र तक पहुंचने देते हैं।

इस तरह शोधकर्ताओं का मानना है कि फेस मास्क पहनने से लोग कम बीमार पड़ेंगे या फिर वे बिना लक्षण के हो सकते हैं। क्योंकि मुंह को ढके रहने से संक्रामक तत्व ज्यादा मात्रा में शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते।

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मास्क से संक्रमण हो सकता कमजोर
शोधकर्ताओं ने बताया कि इस स्टडी के अब तक सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं। शोधकर्ताओं ने अर्जेंटीना के बंद क्रूजशिप का उदाहरण देते हुए बताया कि क्रूज पैसेंजर्स को सर्जिकल और स्टाफ को N95 मास्‍क देने के बाद 81 प्रतिशत मरीज एसिम्‍प्‍टोमेटिक पाए गए, जबकि पहले एक क्रूज शिप में सामान्य मास्क दिए जाने पर 20 फीसदी लोग एसिम्‍प्‍टोमेटिक पाए गए। इससे पता लगता है कि एक अच्छा मास्क संक्रमण की रफ्तार को रोकने और इम्युनिटी को मजबूत करने का काम कर सकता है।

इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलयरी साइंसेस के डायरेक्टर डॉ. एसके सरिन ने बताया कि दिल्ली के 29 फीसद लोगों में एंटीबॉडी मिलीं, जबकि उन्हें कभी कोविड-19 नहीं हुआ। हो सकता है मास्क बहुत कम मात्रा में वायरस को अंदर जाने देता हो, जिसने वैक्सीन की तरह काम किया। इससे उनमें वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी का निर्माण हो गया होगा। उन्होंने कहा कि लोग जब भी बाहर जाएं तो उन्हें मास्क लगाकर ही जाना चाहिए, ताकि वायरस की बहुत कम मात्रा उनके अंदर जाए और यह वैक्सीन की तरह काम करे। 

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