कोविड-19 महामारी और उसे फैलने से रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन की वजह से हर एक व्यक्ति के जीवन में हद से ज्यादा तनाव और मुश्किलें आ गई हैं। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह शख्स कौन है, कहां से आता है, क्या करता है। इसकी वजह से बेचैनी, चिंता, उदासी, आशंका, मायूसी, गुस्सा, चिड़चिड़ापन, अपराधबोध, असफलता जैसी भावनाएं भी महसूस हो रही हैं। इन जटिल परिस्थितियों के बीच लगातार रहने की वजह से लोगों को थकान और कमजोरी महसूस होने लगती है, जिस वजह से इन चीजों का सामना करना और आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है।
इस तरह के हालात में आपके काम, आर्थिक स्थिति, सेहत और रिश्तों को लेकर जो अनिश्चितता का माहौल है उसका सीधा असर आपकी मानसिक सेहत और स्वास्थ्य पर पड़ता है। जख्म देने वाले इन अनुभवों के बीच किसी शख्स को उसका सामना करने, उस परिस्थिति को हराने, उदारता और स्पष्टता के साथ-साथ सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने में जो चीज मदद करती है वह है सहनशीलता और लचीलापन। पहले ऐसा माना जाता था कि लचीलापन एक ऐसी विशेषता है जो किसी व्यक्ति में या तो होती है या नहीं होती। लेकिन हाल के समय में इसका खंडन किया गया है और अब लचीलापन को एक ऐसी विशिष्टता के तौर पर देखा जाता है जिसे किसी व्यक्ति के अंदर विकसित किया जा सकता है।
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मौजूदा समय में हम सब जिस परिस्थिति का सामना कर रहे हैं उसके लिए बेहद जरूरी है कि हम अपने अंदर लचीलापन विकसित करें ताकि हम अपने आशावादी दृष्टिकोण के साथ परिस्थिति का डटकर मुकाबला कर पाएं। यहां आपको कुछ बातें बतायी जा रही हैं जो इस संदर्भ में आपके लिए मददगार साबित हो सकती हैं :
1. वैसी समस्याएं जिनका हल खोजा जा सकता है, सक्रिय ढंग से उसका हल जरूर खोजें
आपके जीवन में जो भी समस्याओं आ रही हैं उसके प्रति उदासीन बने रहने और निष्क्रिय प्रतिभागी बनने से परहेज करें। खुद को सक्रिय बनाएं और जिन समस्याओं का हल आप खोज सकते हैं उसके लिए प्रयास जरूर करें। इंतजार न करें या फिर ये सोचकर इतने ज्यादा उदासीन भी न हो जाएं कि- 'इससे तो किसी तरह की कोई मदद नहीं मिलेगी' या फिर 'इससे आखिर क्या और कितना बदल जाएगा?' ऐसा सोचने की बजाए आगे बढ़ें और आप जिस समस्या का सामना कर रहे हैं उसे दूर करने के लिए जो भी कर सकते हैं जरूर करें।
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2. अपनी भावनाओं को खुले दिल से स्वीकार करें
अक्सर हमें अपनी भावनाओं को अंकित करने में संघर्ष करना पड़ता है और इसलिए इस बात की पहचान करना कि वास्तव में हमें कैसा महसूस हो रहा है मुश्किल हो जाता है। लिहाजा आपके अंदर क्या चल रहा है इसे जानने और समझने के लिए जरूरी कदम उठाएं। इन भावनाओं को स्वीकार करें, भले ही वे नकारात्मक क्यों न हों और इनकी वजह से आपको बुरा महसूस हो रहा हो। किसी परिस्थति या अनुभव का सामना न करना और उससे भाग जाना, चीजों का सामना करने की आपकी क्षमता को खत्म कर देता है और इस वजह से आपको अपने अंदर मौजूद लचीलेपन से भी समझौता करना पड़ता है।
3. अपने समुदाय के अंदर ही संसाधनों को खोजें
वैसे तो आपको खुद पर भरोसा करना चाहिए लेकिन साथ ही साथ दूसरों पर भी भरोसा करने के इच्छुक होना चाहिए और साथ में आपका समुदाय जिन संसाधनों को उपलब्ध करवा रहा है उनका भी लाभ उठाना चाहिए। ऐसा करने में हिचकिचाएं नहीं या फिर इसे किसी तरह की कमजोरी का संकेत न समझें। दूसरों के प्रति सहानुभूति दिखाने के लिए आपको खुद को अंदर से तैयार करना पड़ता है और यह परिस्थितियों को संभालने के हमारे प्रयास को और मजबूत बनाता है जिससे समय के साथ हम और ज्यादा लचीले बनते जाते हैं।
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4. बोलने और अपने अनुभवों को बांटने के लिए हमेशा तैयार रहें
लचीलेपन का विकास करने के लिए जिस पहलू के सहयोग की सबसे ज्यादा जरूरत होती है वह है अपने अनुभवों को बांटना और मदद लेने के लिए तैयार रहना। इसके तहत आप अपने विचार और भावनाओं को अपने दोस्तों, परिवार के सदस्यों या एक्सपर्ट के सामने बोल सकते हैं या अपने अनुभव बांट सकते हैं। इससे आपको नए दृष्टिकोण को प्राप्त करने में मदद मिलती है और यह नए समाधान के स्त्रोत के रूप में काम कर सकता है।
5. निजी विश्वास का एक सिस्टम बनाकर रखें
हर एक शख्स का अपना अलग और व्यक्तिगत विश्वास तंत्र होता है और बहुत से लोगों के लिए इस विश्वास की गहरी जड़ें धर्म या अध्यात्म से जुड़ी हो सकती हैं। इसलिए अपनी उम्मीद और आशावादी दृष्टिकोण को बनाए रखने में ये विश्वास तंत्र अहम किरदार निभाता है। अपनी निष्ठा और भक्ति के साथ आभार व्यक्त करना जारी रखें ताकि आप हमेशा आशावादी महसूस करते रहें।
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6. अपने उद्देश्य और लक्ष्य की खोज करें
भले ही यह आपदा और कठिनाई का समय हो लेकिन इस समय में भी आप अपने अंदर गहराई तक जाकर अपने जीवन का मूल उद्देश्य और लक्ष्य क्या है इसकी खोज कर सकते हैं। अपने अंदर झांकें और उन तरीकों को खोजें जिसके जरिए आप अपने आसपास के लोगों की जहां तक संभव हो पाए मदद कर सकें। हमेशा ही कुछ न कुछ ऐसा जरूर होता है जो किया जा सकता है और उस आशा की किरण को खोजने से आपको अपनी पर्सनल ग्रोथ होती हुई महसूस होगी।
अपने काम और क्रियाकलापों को लेकर सोच-विचार कर लें। अपने लचीलेपन को संभालने और सहारा देने के लिए सक्रिय कदम उठाएं और याद रखें कि आपको लोगों के साथ अपने संबंध बनाए रखने हैं और अगर कभी किसी की मदद की जरूरत पड़े तो उससे मदद मांगने में हिचक न दिखाएं।
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