सार्स-सीओवी-2 वायरस के कारण होने वाले संक्रमण कोविड-19 को लेकर हो रहे अलग-अलग शोध में वायरस से जुड़ी नई-नई बातें रोजाना सामने आ रही हैं। ताजा रिसर्च में पता चला है कि कोविड-19 संक्रमण पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम कर देता है और इस हार्मोन के लो लेवल के कारण ही कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने वाले मरीज में रोग के लक्षण बिगड़ जाते हैं।

टेस्टोस्टेरोन कम होने से आईसीयू में भर्ती होने का खतरा
स्वास्थ्य से जुड़ी पत्रिका “द एजिंग मेल” में प्रकाशित एक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया कि कोविड-19 के पुरुष मरीजों में एक निर्धारित (बेसलाइन) बिंदु से टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर कम होना काफी जोखिम भरा है और इस कारण मरीज के इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) में भर्ती होने की आशंका काफी बढ़ जाती है।

(और पढ़ें- कोविड-19: वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन के लिए '80 हजार करोड़ रुपये की जरूरत' वाले बयान से स्वास्थ्य मंत्रालय सहमत नहीं)

तुर्की की मेर्सिन यूनिवर्सिटी में यूरोलॉजी के प्रोफेसर और रिसर्च के मुख्य लेखक सेलाहिटिन सियान का कहना है कि यह पहले भी पता चल चुका है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर कम हो सकता है और इससे बीमारी के लक्षण और गंभीर हो सकते हैं। लेकिन यह पहला अध्ययन है जिसमें इस बात की पुष्टि हुई है कि कोविड-19 ही टेस्टोस्टेरोन को कम करता है।

क्या है टेस्टोस्टेरोन हार्मोन?
टेस्टोस्टेरॉन टेस्टिकल्स द्वारा उत्पादित एक हार्मोन है जिसका मुख्य कार्य पुरुषों के यौन अंगों व लक्षणों का विकास करना है। टेस्टोस्टेरोन मांसपेशी द्रव्यमान, लाल रक्त कोशिकाओं के पर्याप्त स्तर, स्मृति, हड्डियों के विकास, स्वस्थ होने की भावना और यौन कार्य को बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह शुक्राणु उत्पादन करने के साथ-साथ आदमी की कामेच्छा को भी बढ़ाता है।

वैसे टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का उत्पादन आमतौर पर उम्र के साथ घटता है। वहीं टेस्टोस्टेरोन की कमी होने पर पुरुषों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। सेक्स की इच्छा में कमी और सुस्ती, चिड़चिड़ाहट और इरेक्शन (स्तम्भन) को बनाए रखने में कठिनाई टेस्टोस्टेरोन की कमी के कुछ लक्षण हैं।

(और पढ़ें- कोविड-19: भारत में 62 लाख से ज्यादा मरीज, 24 घंटों में 1,179 मौतों की पुष्टि, मृतकों की संख्या 97,479 हुई)

रिसर्च से संभावित उपचार में मिल सकती है मदद
वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि रिसर्च से मिले निष्कर्ष यह बता सकते हैं कि कोरोना वायरस से संक्रमित महिला मरीजों की तुलना में पुरुषों में स्थिति क्यों ज्यादा गंभीर होती है जिसके बाद टेस्टोस्टेरोन-आधारित उपचारों का उपयोग कर क्लीनिकल ​​परिणामों में संभावित सुधार की उम्मीद बढ़ सकती है।

सेलाहिटिन सियान का कहना है कि टेस्टोस्टेरोन श्वसन अंगों की प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ा होता है। यही वजह है कि हार्मोन का स्तर कम होने से श्वसन संक्रमण से जुड़ा जोखिम बढ़ जाता है। इतना ही नहीं, टेस्टोस्टेरोन स्तर का कम होना अस्पताल के आईसीयू में भर्ती पुरुष मरीजों की मृत्यु दर से भी जुड़ा है। इसलिए टेस्टोस्टेरोन से जुड़ा उपचार कोविड-19 के मरीजों में नतीजों को बेहतर करने के साथ ही कई और फायदों से जुड़ा है।

कोविड-19 की गंभीरता के साथ कम हुआ टेस्टोस्टेरोन
इस रिसर्च के जरिए अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि कोविड-19 की गंभीरता बढ़ने के साथ “टोटल टेस्टोस्टेरोन” कम हो गया। शोधकर्ता सियान के मुताबिक “कोरोना के कम लक्षण वाले (असिम्प्टोमैटिक) लोगों की तुलना में टोटल टेस्टोस्टेरोन का स्तर आईसीयू में भर्ती लोगों में काफी कम था। इसके अलावा, इंटरमीडिएट केयर यूनिट समूह से जुड़े लोगों की तुलना में भी आईसीयू में भर्ती कोरोना के मरीजों में टोटल टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम देखने को मिला।”

शोधकर्ताओं ने बताया कि सीरम फॉलिकल उत्तेजक हार्मोन का स्तर असिम्प्टोमैटिक मरीजों के समूह की तुलना में आईसीयू समूह में काफी अधिक था। रिसर्च में वैज्ञानिकों को 113 (51.1 प्रतिशत) पुरुषों में हाइपोगोनैडिज़्म का भी पता चला। यह एक ऐसी स्थिति जिसमें शरीर पर्याप्त टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन नहीं करता है। 

(और पढ़ें- उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव आया, लेकिन लक्षण नहीं)

कोविड-19 के मृतकों में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन काफी कम था
शोधकर्ताओं के अनुसार, जिन रोगियों की मृत्यु हुई, उनमें जीवित रोगियों की तुलना में औसत टेस्टोस्टेरोन कम था। हालांकि, उन्होंने कहा कि 46 पुरुष रोगियों में से 65.2 प्रतिशत लोग जो असिम्प्टोमैटिक थे उनमें "कामेच्छा की हानि" देखने को मिली। वैज्ञानिकों ने 232 पुरुषों सहित कुल 438 रोगियों का आकलन किया, जिनमें से हर एक में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई थी।

कैसे की गई थी रिसर्च?
रिसर्च के निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए शोधकर्ताओं ने मरीजों की क्लीनिकल हिस्ट्री का विस्तृत विश्लेषण किया और पूरी शारीरिक जांच की। साथ ही हर रोगी का प्रयोगशाला और रेडियोलॉजिकल इमेजिंग अध्ययन भी किया। इसके अलावा अध्ययन में शामिल लोगों को तीन समूहों में बांटा गया। एक समूह में 46 असिम्प्टोमैटिक मरीज शामिल थे, दूसरे ग्रुप में 129 रोगी शामिल थे जिन्हें अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन यूनिट (आईएमयू) में भर्ती कराया गया था। इसके साथ ही तीसरे समूह में 46 वो रोगी थे जिन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया था।

अध्ययन के जरिए शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन 24 रोगियों में प्री-कोविड​​-19 सीरम गोनैडल हार्मोन टेस्ट किया था, उनमें सीरम कुल टेस्टोस्टेरोन का स्तर कोविड-19 संक्रमण के चलते काफी कम हो गया था। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे यह सुझाव मिलता है कि कोविड-19 की जांच के समय टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर का भी परीक्षण किया जाना चाहिए। कोविड-19 पॉजिटिव टेस्ट होने वाले जिन पुरुषों में सेक्स हार्मोन का स्तर कम होता है उनमें टेस्टोस्टेरोन ट्रीटमेंट के जरिए रोग के लक्षणों को बिगड़ने से बचाया जा सकता है। हालांकि इसके लिए अभी और अधिक शोध की आवश्यकता है।

और पढ़ें ...
ऐप पर पढ़ें