इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कहा है कि दिल्ली में बढ़ रहा वायु प्रदूषण यहां कोविड-19 के बढ़ते मामलों की मुख्य वजहों में से एक है। आईएमए के मुताबिक कुछ दिनों से दिल्ली में प्रतिदिन 6,000 से ज्यादा दर्ज हो रहे मामलों में से 13 प्रतिशत वायु प्रदूषण के कारण देखने को मिले हैं। इसके साथ ही आईएमए ने यह भी कहा है कि हो सकता है प्रदूषण के चलते लोगों को एन-95 मास्क और एयर प्योरीफायर्स से भी पूरी तरह सुरक्षा न मिल पाए। ऐसे में देश के डॉक्टरों के इस सबसे बड़े संगठन ने प्रदूषण कम करने के लिए दीर्घकालिक उपाय लागू करने की बात कही है।

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 के बढ़ते मामलों पर बयान जारी करते हुए आईएमए ने कहा है, '(कोरोना वायरस के) बढ़ते इन्फ्लेमेटरी रेस्पॉन्स के लिए वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर जिम्मेदार है। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में हर दिन 6,000 से ज्यादा कोविड-19 केस सामने आ रहे हैं। इनमें से 13 प्रतिशत मामलों को लेकर अनुमान है कि वे प्रदूषण के कारण रिपोर्ट हुए हैं।'

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गौरतलब है कि बीते दस दिनों में राजधानी और उसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से बढ़ गया है। बीते शनिवार को दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 350 से ऊपर था, जो सुरक्षित मानी गई 0-50 की सीमा से कहीं ज्यादा गंभीर स्तर है। आईएमए ने बताया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का एयर पॉल्यूशन डेटा बताता है कि दिल्ली में पीएम10 और पीएम2.5 वायु कणों का स्तर सामान्य से कहीं ज्यादा है। ऐसे में शहर में अस्थमा, सीओपीडी, हाई बीपी और हृदय रोगों के मामले बढ़ सकते हैं। आईएमए ने चेतावनी दी है कि हवा में पीएम2.5 कणों की भारी मौजूदगी के चलते बाहर खुले में थोड़ी देर वॉक करना भी स्वास्थ्य समस्याएं दे सकता है।

इस बारे में आईएमए ने कहा है, 'एन-95 मास्क और एयर प्योरीफायर्स से भी संपूर्ण सुरक्षा शायद न मिले। 300 से ऊपर एक्यूआई न सिर्फ श्वसन संबंधी समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है, बल्कि स्वस्थ लोग भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। लिहाजा, लोगों को सलाह दी जाती है कि वे सुबह-सुबह घर से न निकलें, क्योंकि उस समय प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा होता है। स्मॉग से बुजुर्गों और बच्चों में संक्रमण होने की संभावना ज्यादा रहती है।'

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पहले भी किया गया है दावा
वायु प्रदूषण के जरिये कोरोना संक्रमण फैलने का दावा पहले भी किया गया है। कोविड-19 महामारी के शुरुआती दिनों में आई एक अध्यय रिपोर्ट के मुताबिक, नए कोरोना वायरस में काफी देर तक हवा में रहने और एक मीटर से भी ज्यादा दूरी तक हवा में फैलने की क्षमता है। जाकर नीचे सतह पर आ जाता है। 'द गार्डियन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इटली के वैज्ञानिकों ने वहां बर्गामो प्रांत के एक शहरी और एक औद्योगिक स्थल पर वायु प्रदूषण के नमूने इकट्ठा किए थे और मानक तकनीक की मदद से उनकी जांच की थी। 

अखबार की मानें तो वैज्ञानिकों को कई नमूनों में कोविड-19 के वंशाणु से मिलते कई जीन मिले थे। इटली की लोग्ना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक और शोध के प्रमुख लियोनार्डो सेती का कहना है कि इससे पहले भी दो अन्य शोधों में बताया गया था कि वायु प्रदूषण के कण कोरोना वायरस के संक्रमण को हवा में दूर तक फैलाने में मदद कर सकते हैं। सेती ने शोध में किए सांख्यिकीय विश्लेषण के आधार पर सुझाव दिया कि अगर ज्यादा मात्रा में प्रदूषण कणों की जांच की जाए, तो यह पता लगाया जा सकता है कि लॉकडाउन से पहले उत्तरी इटली के इलाकों में कोरोना वायरस कितना फैल गया था। 

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