दुनियाभर में कोरोना वायरस से जितने लोगों की मौत हुई है, उनमें 40 साल से कम उम्र के मृतकों की संख्या एक प्रतिशत से भी कम है। हालांकि इसके बावजदू यह तथ्य चिंताजनक है, खासतौर पर ऐसे मामलों में जब कोविड-19 से मारा गया व्यक्ति न सिर्फ 40 साल से कम उम्र का हो, बल्कि उसे पहले कोई बीमारी भी नहीं हो। भारत के कर्नाटक में ऐसे चार केस सामने आए हैं। यहां बीते चार दिनों में कोरोना वायरस से चार ऐसे मरीजों की मौत हुई है, जो पहले से किसी अन्य बीमारी से पीड़ित नहीं थे।
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डॉक्टरों का कहना है कि इन पीड़ितों को गंभीर रूप से सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उनका अनुमान है कि यह मामला वायरल मायोकार्डिटिस का हो सकता है। हालांकि इसे साबित करना मुश्किल है, क्योंकि कोविड-19 के मृतकों के पोस्टमॉर्टम की अनुमति नहीं है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, बीते सोमवार को बेलगाम में एक 32 वर्षीय युवक को मृत अवस्था में अस्पताल में लाया गया था। उसी दिन मैसूर में 29 वर्षीय एक युवक की अस्पताल में भर्ती होने के तुरंत बाद ही मौत हो गई थी। इससे एक दिन पहले बेल्लारी में 31 साल के एक व्यक्ति की भी सांस लेने में दिक्कत के चलते मौत हो गई थी और रामनगर में 40 साल का एक मरीज अस्पताल में भर्ती होने के कुछ ही घंटों बाद ऐसे ही लक्षणों के चलते मारा गया था। बताया गया है कि इनमें से किसी को भी पहले से कोई बीमारी नहीं थी।
डॉक्टरों से मिली जानकारी के आधार पर बताया गया है कि ये सभी पीड़ित अचानक गिरने लगे और कुछ ही देर बाद उनकी मौत हो गई। उन्होंने अंदेशा जताया है कि ऐसा वायरल मायोकार्डिटिस की वजह से हो सकता है। यह कंडीशन तब होती है जब कोई वायरस दिल की मांसपेशियों पर हमला कर उसके विद्युतीय मार्गों में बाधा उत्पन्न करने लगता है। इससे हृदय ठीक से पंप होना बंद कर देता है। तो क्या कोरोना वायरस हृदय पर भी हमला करता है?
इस सवाल और इन चारों मौतों के मामले पर बात करते हुए कर्नाटक स्थित श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवस्क्युलर साइंसेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. सीएन मंजूनाथ का कहना है, 'यह संभव है कि अन्य वायरसों की तरह सार्स-सीओवी-2 भी वायरल मायोकार्डिटिस की वजह बन रहा है। संक्रमण फैलने के बाद दिल की मांसपेशी में सूजन और फिर क्लॉटिंग होना वायरल मायोकार्डिटिस का लक्षण है। कुछ मरीजों में वायरस फेफड़ों में संक्रमण फैला कर भी तीव्र श्वसन संकट की वजह बन सकता है।'
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