अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडिमिनिस्ट्रेशन ने पिछले हफ्ते कोविड-19 के इलाज के लिए रेमडेसिवियर दवा के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दे दी थी। इबोला वायरस के खिलाफ इस्तेमाल होने वाली इस दवा से कोरोना वायरस के कई मरीजों के ठीक होने का दावा किया गया है। इसी के चलते एफडीए ने रेमडेसिवियर को आजमाने की आधिकारिक अनुमति दी है, हालांकि यह एंटी-वायरल ड्रग अभी भी प्रयोगों से गुजर रहा है। बहरहाल, ताजा खबर यह है कि भारत भी इस दवा की आपूर्ति करने की कोशिश में लग गया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, देश में रेमडेसिवियर के स्थानीय स्तर पर ट्रायल करने को लेकर विचार किया जा रहा है।

आधिकारिक सूत्रों के हवाले से प्रकाशित टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इस दवा की आपूर्ति के लिए विकल्पों को देख रहा है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अखबार से बातचीत में कहा है, 'ट्रायल के लिए चार अस्पतालों को आइडेंटिफाई किया गया है और आचार समिति की मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है। हमने ट्रायल के लिए मरीजों के नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। दवा के भारत आते ही जल्दी से जल्दी ट्रायल शुरू किए जा सकते हैं।'

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वहीं, कोविड-19 से निपटने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित विशेष समूह के अध्यक्ष और नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने टीओआई से बातचीत में कहा, 'हम हमारे लोगों के लिए इस दवा को उपलब्ध कराने पर काम कर रहे हैं। अगर दवा फायदेमंद साबित होती है तो भारत में इसकी आपूर्ति करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे।' डॉ. वीके पॉल का यह बयान ऐसे समय में आया है जब इस समय रेमडेसिवियर का स्टॉक सीमित होने की रिपोर्टें आई हैं और एफडीए से मंजूरी मिलने के बाद इसकी मांग बढ़ने की काफी आशंका है। हालांकि, दूसरी तरफ मेडिकल विशेषज्ञों ने आगाह करते हुए कहा है कि भले ही रेमडेसिवियर के ट्रायलों से कुछ महत्वपूर्ण परिणाम मिले हों, लेकिन इससे मरीजों के ठीक होने के सबूत काफी कम हैं, लिहाज इसे बीमारी के मानक उपचार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

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इस बीच, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व महानिदेशक डॉ. निर्मल के गांगुली ने कहा है कि अगर रेमडेसिवियर की निर्माता कंपनी 'गिलीड साइंसेज' अनुमति दे तो भारत आसानी से इस दवा की कॉपी बना सकता है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जब रेमडेसिवियर के ट्रायलों के सकारात्मक परिणामों के बाद गिलीड साइंसेज भारत में इसके उत्पादन की लाइसेंसिंग को लेकर यहां की कई कंपनियों से बातचीत कर रही है। ऐसे में पूर्व आईसीएमआर महानिदेशक ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा है, 'सरकार की थोड़ी सी मदद से यह ड्रग जल्दी उपलब्ध हो सकता है। इसकी कॉपी बनाना बहुत मुश्किल काम नहीं है। अगर गिलीड अनुमति दे तो भारत इसे उपलब्ध करा कर खुद भी ट्रायल कर सकता है।'

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