भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने सभी राज्यों को अगले दो दिनों तक नई रैपिड टेस्टिंग किट का इस्तेमाल नहीं करने को कहा है। नए कोरोना वायरस की जांच के लिए मुहैया कराई गई इन किट्स में खामी की रिपोर्टें सामने आई हैं। खबरों के मुताबिक, कम से कम दो राज्यों, राजस्थान और पश्चिम बंगाल ने इन किट्स पर सवाल खड़े किए हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इन शिकायतों के बाद पश्चिम बंगाल में आईसीएमआर के तहत आने वाली एजेंसी एनआईसीईडी ने खराब टेस्ट किटों की खेप को वापस ले लिया है। इन किट्स को राज्य सरकार की कुछ लैबों को मुहैया कराया गया था। वहीं, राजस्थान सरकार ने भी इन किट की मदद से होने वाले परीक्षणों के परिणामों में कमी की शिकायत के बाद इनका इस्तेमाल बंद कर दिया है। इसके बाद आईसीएमआर ने सभी राज्यों को फिलहाल किट का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। उसने कहा है कि वह खराब बताई जा रही किट की जांच करेगी।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इससे पहले पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग द्वारा दावा किया गया था कि लगभग दो सप्ताह पहले आईसीएमआर-एनआईसीईडी की ओर से जो परीक्षण किट मुहैया कराई गई थीं, उनसे कोविड-19 की जांच के सटीक परिणाम 'नहीं' मिल रहे हैं। वहीं, इससे पहले बंगाल स्वास्थ्य विभाग ने टेस्ट किट के जरिए देरी से नतीजा आने की शिकायत की थी। विभाग की ओर से रविवार को ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई थी। इसमें बताया गया, ‘आईसीएमआर द्वारा मुहैया कराई गई परीक्षण किट पूरी तरह से खराब हैं। इससे कोविड-19 से जुड़ी जांच की प्रक्रिया बाधित हो रही है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर आईसीएमआर को तुरंत गौर करने की जरूरत है।'

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वहीं, आईसीएमआर-एनआईसीईडी की निदेशक डॉ. शांता दत्ता ने खुद सोमवार को बताया था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, डॉ. दत्ता ने कहा, ‘नेशनल इस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी’ (एनआईवी) पुणे ने किट में कमी पाई थी। उन्होंने बताया कि किट बनाने वाली कंपनी ने किट को सुनिश्चित मानकों के तहत नहीं बनाया। इसी की वजह से पश्चिम बंगाल में यह समस्या देखने को मिली है। इस मामले को संस्थान की ओर से गंभीरता से लिया गया है।'

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वहीं, इस विवाद के संभावित कारण के बारे में बताते हुए डॉ. शांता दत्ता ने कहा कि शुरुआती टेस्टिंग किट एनआईवी ने खुद असेंबल की थीं। इसके लिए एनआईवी ने अमेरिका से प्राइमर और प्रोब्स खरीदे थे और तय मानकों के तहत उसे तैयार किया था। इसके बाद ही टेस्टिंग किट को दूसरी लैबों में भेजा गया। लेकिन जब किट की मांग तेजी से बढ़ी तो एनआईवी को इसकी पूर्ति करने में मुश्किल होने लगी। ऐसे में आईसीएमआर ने बनी-बनाई किट खरीदना शुरू किया, जिनमें अब खामियां सामने आई हैं। 

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