कोविड-19 के इलाज और रोकथाम को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा में रही एंटी-मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (या एचसीक्यू) को एक बार फिर 'बेकार' करार दिया गया है। खबर है कि ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को इस दवा के एक बड़े ट्रायल पर रोक लगा दी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 'रिकवरी' नामक इस ट्रायल के वैज्ञानिकों ने शुरुआती अध्ययन में पाया है कि कोविड-19 के इलाज में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन किसी 'काम की नहीं' है। गौरतलब है कि इस ट्रायल को प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में किया जा रहा था।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में दवा और महामारी विषय के प्रोफेसर और इस ट्रायल के प्रमुख सदस्यों में से एक मार्टिन लैंड्रे ने कहा है, 'यह (एचसीक्यू) कोविड-19 का इलाज नहीं है। यह काम नहीं करती।' प्रोफेसर मार्टिन ने आगे कहा, 'इसके बाद दुनियाभर में (कोविड-19 को लेकर) मेडिकल प्रैक्टिस में बदलाव आना चाहिए। अब हम ऐसे ड्रग (हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन) का इस्तेमाल बंद कर सकते हैं, जो बेकार है।'

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कोविड-19 महामारी के चलते पैदा हुए वैश्विक स्वास्थ्य संकट के दौरान जिन वैक्सीन और दवाओं ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरी हैं, उनमें एचसीक्यू का नाम सबसे पहले आता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में 'गेम चेंजर' तक बताया और अपने ही देश के विशेषज्ञों की राय के खिलाफ जाकर इस ड्रग को लेने का समर्थन किया। उन्होंने यह दावा तक किया वे खुद भी कोविड-19 से बचने के लिए एचसीक्यू को बतौर रोगनिरोधक ले रहे हैं। उधर, भारत में भी इस दवा को स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने में कारगर माना जा रहा है।

प्रोफेसर मार्टिन का कहना है कि ऐसे तमाम कारणों के चलते कोरोना वायरस के खिलाफ इस दवा के असर को लेकर काफी उम्मीदें जगी थीं, हालांकि बड़े रैंडम ट्रायलों पर आधारित भरोसेमंद जानकारी की कमी अभी तक बनी हुई थी। लेकिन 'रिकवरी' ट्रायल के प्राथमिक परिणामों से तस्वीर साफ हो गई है। मार्टिन ने कहा, 'हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के मरीजों के मरने के खतरे को कम नहीं करती। अगर आप (कोविड-19 होने के चलते) अस्पताल में भर्ती हैं, तो हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मत लीजिए।'

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शुरुआती अध्ययन के परिणाम
कोविड-19 के मरीजों पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के प्रभाव को जानने के लिए ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने 1,542 कोरोना मरीजों को रैंडम तरीके से (कहीं से भी) चुना और उन सभी को एचसीक्यू के डोज दिए गए। दवा देने के बाद उनमें दिखने वाले प्रभावों की कोविड-19 से ही पीड़ित 3,132 अन्य मरीजों से तुलना की गई। 28 दिन के इस शुरुआती ट्रायल के बाद परिणाम में यह सामने आया कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और सामान्य मेडिकेशन लेने वाले मरीजों की मृत्यु दर में कोई विशेष अंतर नहीं था। 

ट्रायल से जुड़े इस अध्ययन के सामने आने के बाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक और प्रोफेसर और 'रिकवरी' ट्रायल की टीम के प्रमुख सदस्य पीटर हॉर्बी ने बताया है कि उनकी टीम ने अपने इस फैसले की जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन को दे दी है, जिसने इसी हफ्ते अपने सॉलिडेरिटी प्रोजेक्ट में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के परीक्षणों को बहाल कर दिया था। प्रोफेसर हॉर्बी के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वह इस बारे में संबंधित कमेटी से बात करेगा।

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