चीन के वुहान शहर से फैला कोविड-19 संक्रमण दुनियाभर में फैल चुका है। वैश्विक स्तर पर संक्रमण के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। संक्रमण को रोकने के लिए हर स्तर पर निवारक उपायों को प्रयोग में लाया जा रहा है। इस वक्त दुनियाभर में संक्रमण से प्रभावित करीब 4.5 लाख रोगियों का इलाज किया जा रहा है हैं, जिनमें कई मरीज गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भी रखे गए हैं। कई लोगों की स्थिति लगातार खराब बनी हुई है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। जाहिर है ऐसे रोगियों को ठीक होने में ज्यादा वक्त भी लग रहा है।

कई रोगियों को वेंटिलेटर से उतारने के बाद भी पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए सहायता की आवश्यकता होती है। घर पर ही ऐसे रोगियों को मास्क अथवा सतत सकारात्मक वायुमार्ग दबाव (सीपीएपी) से पर्याप्त ऑक्सीजन दी जा सकती है। यदि रोगी आईसीयू से लौटा है तो उसे शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ होने में लंबा वक्त लग सकता है। कई मरीजों को बैठने, खड़े होने और यहां तक कि बिस्तर से उठने के लिए भी दूसरों की सहायता की आवश्यकता हो सकती है। कई मामलों में रोगियों को चलने, सांस लेने और यहां तक कि बोलने और खाने के लिए थैरेपी की आवश्यकता पड़ सकती है।

इस लेख में हम आपको बताएंगे कि जो कोविड-19 संक्रमित रोगी ठीक हो​कर वापस घर आ गए हों उनकी किस तरह से देखभाल करनी चाहिए।

  1. कोविड-19 रोगियों को कब मिलती है अस्पताल से छुट्टी?
  2. अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद घर पर कैसे करें देखभाल?
  3. कोविड-19 से ठीक होने वाले रोगी घर पर कैसे रखें अपना ख्याल? के डॉक्टर

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार कोविड-19 से संक्रमित सामान्य रोगियों को ठीक होने में लगभग 2 सप्ताह का वक्त लग सकता है, जबकि गंभीर रोगियों में यह वक्त बढ़कर 3 से 6 सप्ताह तक का हो सकता है। अस्पताल में भर्ती किसी कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति को तभी छुट्टी दी जा सकती है, जब वह निम्न मापदंडों को पूरा करता हो।

  • रोगी पर किए गए दो लगातार पीसीआर परीक्षणों के परिणाम निगेटिव वायरल लोड दिखाते हों।
  • यदि रोगी में किसी भी तरह के श्वसन लक्षण (खांसी या सांस लेने में कठिनाई) नहीं दिख रही हो।
  • यदि रोगी को पिछले 48 घंटों में बुखार (>37.8°C) नहीं रहता है।
  • यदि रोगी स्वयं स्वस्थ महसूस कर रहा है और उसमें कोई भी पुरानी गंभीर बीमारी नहीं है।
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कोविड-19 संक्रमित जिन रोगियों को हाल ही में अस्पताल से छुट्टी मिली हो उन्हें घर अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। ऐसे रोगियों की देखभाल के लिए निम्न उपायों को प्रयोग में लाना चाहिए।

  • अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी एहतियात के तौर पर रोगी को अगले 14 दिनों के लिए घर पर या किसी सुरक्षित स्थान पर खुद को आइसोलेट करना चाहिए। ताकि उसमें फिर से कोविड-19 के लक्षण विकसित न होने पाएं।
  • घर के लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रोगी आइसोलेशन के सभी नियमों का पालन करे। यदि संभव हो तो उन्हें अलग कमरा और बाथरूम दें।
  • घर के अन्य सदस्यों का रोगी के साथ कम से कम संपर्क होना चाहिए। एक व्यक्ति को घर पर ही रोगी की देखभाल करनी चाहिए।
  • देखभाल करने वाले व्यक्ति को अगले 14 दिनों के लिए रोगी का तापमान जांचना चाहिए। इसके लिए अलग से थर्मामीटर, ब्लड प्रेशर कफ और पल्स ऑक्सीमीटर होना चाहिए।
  • डिस्चार्ज किए गए रोगी की देखभाल करने वाले व्यक्ति को उचित सुरक्षा उपाय अपनाने चाहिए। रोगी से मिलते वक्त, उनके कपड़े और खाना देने के वक्त दस्ताने और मास्क का उपयोग अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए।
  • रोगी के पास में ही खाने की चीजें और अन्य आवश्यक वस्तुएं मौजूद होनी चाहिए। ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे रोगी को प्राकृतिक हवा और सूर्य का प्रकाश प्राप्त हो सके।
  • रोगी और उसकी देखभाल करने वाले, दोनों को ही हाथों की स्वच्छता (साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना) का विशेष ध्यान रखना चाहिए। संक्रमण फैलने की आशंका को कम करने के लिए रोगी को श्वसन संबंधी स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए।
  • जिन रोगियों को संक्रमण के दौरान आईसीयू में भर्ती कराया गया था, उन्हें कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक व्यायाम न करने की सलाह दी जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि कोविड-19 संक्रमण से मांसपेशियां और फेफड़ों को पहुंचा नुकसान जल्द से जल्द ठीक हो सके।
  • यदि घर में वृद्धजन हैं, जिन्हे पहले से ही उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, क्रोनिक किडनी रोग, फेफड़ों के रोग और कैंसर जैसी बीमारी है, ऐसे लोगों को अस्पताल से घर पर आए रोगी से दूर रहना चाहिए।
  • ऐसे रोगियों को फॉलो-अप के लिए फोन या वीडियो कॉल के जरिए अपने डॉक्टर से संपर्क में रहना चाहिए। टेलीमेडिसिन बेहतर उपाय माना जाता है।
  • आईसीयू जैसी गहन चिकित्सा से लौटे रोगियों को मनोवैज्ञानिक सहायता की आवश्यकता होती है। टेलीमेडिसिन के माध्यम से इन रोगियों को मनोवैज्ञानिकों से संपर्क में रहना चाहिए। इससे उनमें ठीक होने की गति बढ़ जाती है।
  • यदि ऐसे रोगियों को फिर से परीक्षण की आवश्यकता होती है, तो डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मचारियों को इन मरीजों को प्राथमिकता देनी चाहिए।

Dr Rahul Gam

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