इबोला जैसी रोगाणुजनित बीमारी की रोकथाम के लिए इस्तेमाल होने वाली रेमडेसिवियर दवा इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। इस दवा को बनाने वाली कंपनी गिलीड साइंसेज का दावा है कि यह कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी कोविड-19 के इलाज में भी कारगर साबित हो सकती है। हाल में यह दवा कई ट्रायलों के तहत आजमाई गई है, जिनके परिणाम सामने आने के बाद इसके इस्तेमाल को लेकर जबर्दस्त बहस छिड़ी हुई है।

रेमडेसिवियर दवा नाइट्रोजन मॉलिक्यूल से बनाई जाती है। इसमें कार्बन शुगर का भी इस्तेमाल होता है। इस तरह के मॉलिक्यूलर ढांचे से बनी दवा किसी वायरस को इन्सानी शरीर में अपनी कॉपियां या प्रतिकृतियां बनाने से रोकती है। आसान भाषा में कहें तो वायरस को शरीर में फैलने नहीं देती। चूंकि वायरस का फैलाव रुक जाता है, लिहाजा संक्रमण को खत्म करने में काफी मदद मिलती है। इस रिपोर्ट में रेमडेसिवियर के इस्तेमाल और प्रभाव से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के जवाब दिए गए हैं।

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1. रेमडेसिवियर कैसे काम करती है?
वायरस कोशिकाओं के अंदर बनने वाले कीटाणु होते हैं। एक बार ये स्वस्थ कोशिकाओं में घुस जाएं तो उनका इस्तेमाल अपनी कॉपियां बनाने में करने लगते हैं ताकि अपने न्यूक्लिक एसिड को शरीर में फैला सकें। नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 का जेनेटिक मटीरियल राइबोन्यूक्लिक एसिड यानी आरएनए आधारित है। हरेक आरएनए (कई प्रकार से) चार न्यूक्लोटाइड बेस या अंशों की श्रृंखला में बना होता है। ये चारों अंश हैं एटीपी, जीटीपी, सीटीपी और यूटीपी। इनकी मदद से आरएनए विशेष प्रोटीन बनाता है। वहीं, आरएनए पॉलिमरेज नाम का एंजाइम आरएनए की नई प्रतिकृतियां बनाता है, जिनका इस्तेमाल नए विषाणु बनाने में होता है।

रेमडेसिवियर, वायरल आरएनए में एटीपी की जगह ले लेती है और जब नया आरएनए बनता है तो उसके आसपास इकट्ठा होकर वायरस की प्रतिकृति प्रक्रिया को पूरी तरह रोक देती है। चूंकि वायरस अपनी नई कॉपियां नहीं बना पाता, इसलिए शरीर में नए विषाणु नहीं फैलते।

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2. क्या रेमडेसिवियर के दुष्प्रभाव हैं?
रेमडेसिवियर अभी भी जांच के दायरे में है, लिहाजा इसके दुष्प्रभावों को लेकर स्पष्ट जानकारी नहीं है। हालांकि एफडीए ने जरूर दो संभावित साइड इफेक्ट बताए हैं:

  • रेमडेसिवियर लिवर एंजाइम का लेवल बढ़ा सकती है, जिसका लिवर पर बुरा असर पड़ सकता है। इसीलिए दवा देने से पहले डॉक्टर कई ब्लड टेस्ट कर मरीज के लिवर के स्वास्थ्य की जांच करते हैं।
  • रेमडेसिवियर के प्रभाव में उल्टी आना, कंपकंपी लगना, मतली, पसीना आना और रक्तचाप कम होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

3. क्या अमेरिका ने रेमडेसिवियर के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति दी है? क्या अमेरिकी ड्रंग एजेंसी एफडीए ने रेमडेसिवियर को स्वीकृति दी है?
हां, बीती एक मई को एफडीए ने अस्पतालों में भर्ती कोविड-19 के मरीजों पर रेमडेसिवियर के आपातकालीन इस्तेमाल की अस्थायी अनुमति दी है। बताया गया है कि गंभीर रूप से बीमार पड़े रोगियों के इलाज के लिए यह मंजूरी दी गई है। रिपोर्टों के मुताबिक, बीमारी की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए दवा को पांच या दस दिन के उपचार प्रोटोकोल के तहत इस्तेमाल किया जाएगा। यहां यह फिर उल्लेखनीय है कि यह विशेषाधिकार स्थायी नहीं है और रेमडेसिवियर अभी भी मेडिकल जांच से गुजर रही है।

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4. क्या भारत रेमडेसिवियर का उत्पादन करता है? आईसीएमआर का इस पर क्या रुख है?
फिलहाल रेमडेसिवियर का पेटेंट यानी एकस्व अधिकार गिलीड साइंसेज के पास है। इस साल फरवरी की शुरुआत में कंपनी को दवा का पेटेंट दिया गया था। हालांकि, मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि गिलीड ने दवा के जेनेरिक वर्जन बनाने के लिए स्थानीय फार्मास्यूटिकल फर्मों के साथ समझौते किए हैं।

इस बीच, भारत की फार्मा कंपनियों ने रेमडेसिवियर के निर्माण के लिए जरूरी कच्चे माल यानी एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट बनाना शुरू कर दिया है। रिपोर्टें हैं कि फिलहाल इन कंपनियों को शोध के तहत यह दवा बनाने की इजाजत है। बता दें कि गिलीड साइंसेज को 2030 तक रेमडेसिवियर का पेटेंट प्राप्त है।

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