कोविड-19 एक नया वायरल इंफेक्शन है जो दुनिया के ज्यादातर देशों को अपनी चपेट में ले चुका है। 8 मई 2020 के आंकड़ों की मानें तो दुनियाभर के करीब 40 लाख लोग नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से होने वाली बीमारी कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं और करीब 2 लाख 70 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।
दिसंबर 2019 में कोविड-19 का पहला मामला चीन के वुहान शहर में सामने आया था और तभी से इस बीमारी के बारे में कई बातें सुनने को मिल रहीं हैं। उदाहरण के लिए- हम ये जानते हैं कि कोविड-19 के लक्षण संबंधी रोगियों में से करीब 80 प्रतिशत में इसके माइल्ड यानी बेहद हल्के लक्षण नजर आते हैं और ये वैसे मरीज हैं जिनकी श्वास संबंधी इस बीमारी से मौत होने की आशंका बेहद कम होती है।
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कोविड-19 के मृत्यु दर से जुड़े अध्ययनों से यह बात भी सामने आयी है कि बुजुर्ग लोग खासकर बुजुर्ग पुरुष और वैसे लोग जिन्हें पहले से कोई बीमारी है जैसे- हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) और डायबिटीज उन्हें कोविड-19 बीमारी के लक्षण गंभीर होने का खतरा सबसे अधिक है। अब हाल ही में हुई एक रिसर्च में बताया गया है कि वैसे लोग जिनका वजन अधिक है या फिर जो मोटापे का शिकार हैं उनकी संख्या कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या के करीब-करीब बराबर ही है।
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इसकी वजह ये हो सकती है कि मोटापे का संबंध हाइपरटेंशन और डायबिटीज जैसी बीमारियों से है लेकिन रिसर्च में यह बताया गया है कि मोटापा खुद में भी कोविड-19 के स्वास्थ्य परिणाम के लिए बेहद बुरा साबित हो सकता है। खासकर वैसे लोग जिनका बीएमआई अधिक है यानी जो मोटापे का शिकार हैं अगर उनकी उम्र 60 साल से कम भी है तब भी उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ सकती है। बुजुर्ग आबादी का इससे कोई परस्पर संबंध सामने नहीं आया है।
क्या है मोटापा?
बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) को आबादी की तुलनात्मक स्वास्थ्य जांच के सूचक के तौर पर मददगार माना जाता है। बीएमआई को कैलकुलेट करने के लिए किसी व्यक्ति के वजन और हाइट का रेशियो निकाला जाता है। अगर किसी व्यक्ति का बीएमआई 25 किलोग्राम/m2 से अधिक है तो उसे ओवरवेट या अधिक वजनी माना जाता है और अगर किसी का बीएमआई 30 किलोग्राम/m2 से अधिक हो तो उसे मोटापे का शिकार माना जाता है।
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साल 2015 में प्रकाशित नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की मानें तो मोटापे की दर भारत में बड़ी तेजी से बढ़ रही है। 2005 से 2015 के दशक में मोटापे की दर दोगुनी हो गई है। भारत में करीब 20 प्रतिशत महिलाएं और 19.6 प्रतिशत पुरुष मोटापे की कैटिगरी में आते हैं। हालांकि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 25 से ऊपर बीएमआई को ही मोटापे की कैटिगरी में रखा है।