देश में कोविड-19 बीमारी के मामलों के दोगुना होने की दर यानी डबलिंग रेट में फिर सुधार हुआ है। लॉकडाउन से पहले कोरोना वायरस के संक्रमितों का आंकड़ा महज 3.4 दिनों में दोगुना हो रहा था। लेकिन अब इसमें 11 दिनों का वक्त लग रहा है। राहत की बात यह भी है कि जिन राज्यों में कोविड-19 का सबसे ज्यादा असर देखा गया है, वहां संक्रमण फैलने की तीव्रता में कमी दर्ज की गई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर और पंजाब ने राष्ट्रीय औसत से बेहतर किया है। वहीं, जिन प्रदेशों में डबलिंग रेट 11 से 20 दिन थी, वहां अब यह 20 से 40 दिन की हो गई है। इन राज्यों में कर्नाटक, लद्दाख, हरियाणा, उत्तराखंड और केरल शामिल हैं। असम, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और हिमाचल में 40 दिनों से भी अधिक समय में संक्रमित मामलों की संख्या दोगुनी हो रही है। हालांकि, अभी भी कुछ जिले ऐसे हो सकते हैं जहां डबलिंग रेट ज्यादा हो।

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बहरहाल, डबलिंग रेट में सुधार होने के अलावा कोविड-19 के मरीजों को बचाने से जुड़ी दर भी बेहतर हुई है। गुरुवार को भारत में इस बीमारी का रिकवरी रेट 25.19 प्रतिशत दर्ज किया गया, जबकि दो हफ्ते पहले यह 13.06 प्रतिशत था। हालांकि सरकार इसमें और सुधार चाहती हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव ने इस बारे में बताया, ‘हमें देश के अन्य हिस्सों के साथ-साथ हॉटस्पॉट क्षेत्रों में ध्यानपूर्वक काम करना जारी रखना है।’

मृतकों में अधिकतर की उम्र 60 साल से ज्यादा
देश में अब तक कोरोना वायरस से 1,154 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 65 प्रतिशत पुरुष और 35 प्रतिशत महिला शामिल हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों को देखा जाए तो पता चलता है कि कोविड-19 से मरने वाले लोगों में आधे से ज्यादा की उम्र 60 साल या उससे से अधिक है। आंकड़ों के मुताबिक, 42 प्रतिशत मृतक ऐसे हैं जिनकी उम्र 60 से 75 के बीच है। वहीं, 34 प्रतिशत मृतकों की उम्र 45 से 60 साल है। बाकी 14 प्रतिशत मृतकों में 45 साल से कम उम्र के मरीज शामिल हैं।

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स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि अधिकतर मौतों के पीछे पुरानी बीमारियों का हाथ रहा है। मसलन मरीजों के डायबिटीज, हृदय विकार और किडनी की दीर्घकालिक बीमारियों से पीड़ित होने के कारण मृत्यु दर में बढ़ोतरी हुई है। ऐसी स्थिति वाले कुल 78 प्रतिशत लोग कोविड-19 के चलते मारे गए हैं।

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