कोविड-19 के इलाज को लेकर हो रही कोशिशों के बीच बांग्लादेश के डॉक्टरों ने सबका ध्यान खींचा है। खबरों के मुताबिक, इन डॉक्टरों ने कहा है कि उनके द्वारा तैयार किए गए दो ड्रगों के मिश्रण से कोरोना वायरस के मरीजों में चौंका देने वाला सुधार देखने को मिला है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, डॉक्टरों की टीम ने एंटी-पैरासिटिक ड्रग आइवरमेक्टिन और एंटी-बायोटिक डॉक्सिसाइक्लिन के मिश्रण को कोविड-19 के 60 मरीजों वाले समूह पर आजमाया था। डॉक्टरों का दावा है कि ड्रग्स देने के महज चार दिन में सभी मरीज ठीक हो गए। बताया गया है कि इन मरीजों को कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। साथ ही, कोविड-19 के अन्य लक्षण भी दिख रहे थे। सभी को कोविड-19 के टेस्ट में पॉजिटिव पाया गया था।

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लेकिन अब ये सभी मरीज ठीक हो चुके है। अच्छी बात यह है कि दो ड्रगों के मिश्रण से बाद इन मरीजों में कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखे हैं। सभी की टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आई हैं। इस उत्साहपूर्ण परिणाम के बाद डॉक्टरों ने अपने शोध को एक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित कराने की तैयारी शुरू कर दी है। वे चाहते हैं कि यह दुनियाभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों को पता चले कि उन्होंने यह कैसे किया। ऐसे में जानते हैं कि आइवरमेक्टिन और डॉक्सिसाइक्लिन किस प्रकार के ड्रग हैं और इनका इस्तेमाल कब किया जाता है।

आइवरमेक्टिन
यह एक एंटी-पैरासिटिक (परजीवी-रोधी) ड्रग है, जिसे अमेरिकी ड्रग एजेंसी एफडीए से मान्यता प्राप्त है। आइवरमेक्टिन सिर में पड़ने वाली जूंओं, दाद-खुजली और पेट के कीड़े आदि के इलाज में इस्तेमाल होती है। इस साल मार्च में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, आइवरमेक्टिन में कोविड-19 के खिलाफ काम करने की क्षमता है। लैब में किए गए अध्ययनों में पता चला है कि इसकी मदद से किए गए एक बार के इलाज से वायरस की मौजूदगी 48 घंटों के अंदर कई गुना कम हो जाती है। एफडीए के मुताबिक, एलर्जी के अलावा आइवरमेक्टिन के कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं। हालांकि उसने इस ड्रग को कोविड-19 के इलाज के अप्रूव नहीं किया है। ऐसे में बिना डॉक्टरी सलाह के किसी भी व्यक्ति को इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

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डॉक्सिसाइक्लिन
यह एक टेट्रासाइक्लिन आधारित एंटी-बायोटिक है। इसे बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमणों (जैसे मुंहासे, आंखों और आंतों के संक्रमण आदि) के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। अध्ययनों की मानें तो कोविड-19 के इलाज में टेट्रासाइक्लिन प्रभावी हो सकता है। बताया गया है कि कोरोना वायरस परिवार के विषाणु कोशिकाओं में घुसपैठ करने, प्रतिकृतियां बनाने और जीवित रहने के लिए मैट्रिक्स मेटेलोप्रोटीनेसिस (एमएमपी) पर काफी निर्भर होते हैं। इन एमएमपी में जिंक होता है। कहा जाता है कि डॉक्सिसाइक्लिन जैसे टेट्रासाइक्लिन आधारित एंटी-बायोटिक एमएमपी में शामिल जिंक के यौगिक पदार्थों को बांध देते हैं।
 
हालांकि एफडीए के अनुसार, गर्भवती महिलाओं और आठ साल से कम उम्र के बच्चों के लिए डॉक्सिसाइकलिन का सेवन वर्जित है। वहीं, जिन लोगों को ड्रग के किसी भी कॉम्पोनेंट से एलर्जी की समस्या होती है, उनके लिए भी यह दुष्प्रभावी हो सकता है। इसके प्रभाव में त्वचा पर अतिसंवेदनशीलता महसूस हो सकती है और धूप में त्वचा के लाल होने, सूजन और दर्द की समस्या हो सकती है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति डॉक्सिसाइक्लिन का सेवन कर रहा है तो उसे धूप में निकलने से बचना चाहिए।

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