चीन में कोविड-19 बीमारी से मारे गए लोगों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी हुई है। खबरों के मुताबिक, चीन में कोरोना संकट के केंद्र बने वुहान शहर में मौतों का आंकड़ा 50 प्रतिशत बढ़ गया है। चीन का कहना है कि उससे इस शहर में मारे गए लोगों की गिनती करने में कोई गलती हुई है, जिसे स्वीकार करते हुए मृतकों से जुड़े आंकड़े में सुधार किया गया है।

खबर के मुताबिक, वुहान के महामारी नियंत्रण मुख्यालय ने सोशल मीडिया पर बताया है कि शहर से जुड़े कई गंभीर मामलों की गलत रिपोर्टिंग हुई जिसके चलते यह चूक हुई। अब इसमें सुधार करते हुए 1,290 और मौतें जोड़ी गई हैं। इससे वुहान में होने वाली मौतों की कुल संख्या 2,579 से 3,869 हो गई है। वहीं, पूरे चीन में मृतकों का आंकड़ा करीब 39 प्रतिशत बढ़कर 4,632 हो गया है।

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44 प्रतिशत मरीज बिना लक्षण वाले संदिग्धों से बीमार हुए
नया कोरोना वायरस और इससे होने वाली बीमारी कोविड-19 दुनियाभर में हो रहे वैज्ञानिक शोधों का केंद्रीय विषय बन गई है। हर दिन इस बीमारी से जुड़े किसी शोध के परिणाम सामने आ रहे हैं। इस सिलसिले में एक नया शोध चीन में सामने आया है। इसके मुताबिक, चीन में कोविड-19 महामारी से संक्रमित हुए मरीजों में से 44 प्रतिशत ऐसे हैं, जो उन लोगों के संपर्क में आकर संक्रमित हुए थे, जिनमें इस बीमारी से जुड़े लक्षण नहीं दिखे थे।

स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी पत्रिका 'नेचर मेडिसिन’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। रिसर्च के जरिए शोधकर्ताओं ने बताया कि किसी व्यक्ति में कोविड-19 के लक्षण दिखने से दो-तीन दिन पहले वह दूसरों को संक्रमित करना शुरू कर सकता है।

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पत्रिका की रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन के ग्वांगझु शहर स्थित एक अस्पताल के ऐसे 94 मरीजों का अध्ययन किया गया, जो कोरोना वायरस से संक्रमित थे। शोध में पता चला कि लक्षण दिखने के समय गले में वायरल लोड यानी संक्रमण का प्रभाव सबसे ज्यादा होता है। शोधकर्ताओं का अनुमान है कि लक्षण दिखने से पहले वायरल लोड बढ़ना शुरू हो जाता है और अपने चरम पर भी पहुंच सकता है। इसी शोध के तहत अध्ययनकर्ताओं ने अनुमान लगाया गया कि चीन में 44 प्रतिशत मरीज ऐसे लोगों से संक्रमित हुए हैं, जिनमें कोई लक्षण नहीं देखे गए थे।

भारत के लिए महत्वपूर्ण
शोधकर्ताओं ने बताया कि सिंगापुर में 48 प्रतिशत और चीन के तियानजिन शहर में 62 प्रतिशत लोग इसी तरह संक्रमित हो सकते हैं। यह जानकारी भारत के लिए महत्वपूर्ण है। गौरतलब है कि यहां अधिकतर उन लोगों के टेस्ट हो रहे हैं, जिनमें सार्स-सीओवी-2 के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। इनमें विदेशों से आए लोग, स्वास्थ्यकर्मी, गंभीर श्वसन रोग और बुखार से पीड़ित तथा हॉटस्पॉट इलाकों में इंफ्लुएंजा जैसी बीमारी से पीड़ित लोग शामिल हैं। जिन बिना लक्षण वाले मरीजों का टेस्ट किया गया है, उनमें केवल वे लोग शामिल हैं, जो पहले से किसी पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आए थे।इसको लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि बिना लक्षण वाले लोगों से दूसरों के संक्रमित होने की आशंका कम है, लिहाजा टेस्टिंग की रणनीति में बदलाव करने की जरूरत नहीं है।

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