भारत में कोविड-19 के इलाज के लिए बनाई गई दो वैक्सीनों का मानव परीक्षण शुरू हो चुका है। देश के सर्वोच्च मेडिकल रिसर्च संस्थान भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने मंगलवार को यह जानकारी दी। आईसीएमआर के मुताबिक, इन ह्यूमन ट्रायलों के तहत करीब 1,000 वॉलन्टियर्स को वैक्सीन लगाई जाएगी। यह जानकारी देते हुए आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता है, इसलिए कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन की चेन तोड़ने के लिए वैक्सीन को जल्दी से जल्दी विकसित करना हमारी 'नैतिक जिम्मेदारी' है।

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गौरतलब है कि आईसीएमआर ने जिन दो वैक्सीन के ट्रायल की शुरुआत होने की जानकारी दी है, उन्हें हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) और अहमदाबाद स्थित दवा कंपनी जाइडस कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड ने तैयार किया है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी डीसीजीआई ने कुछ समय पहले ही इन दोनों दवा कंपनियों को अपनी-अपनी वैक्सीन के मानव परीक्षण की अनुमति दी थी। यह स्वीकृति पहले और दूसरे चरण के ट्रायलों के लिए दी गई है।

मंगलवार को सरकार की तरफ से हुई प्रेस ब्रीफिंग में आईसीएमआर प्रमुख बलराम भार्गव ने इस बाबत कहा, 'भारत में बनी दो वैक्सीन कैंडिडेट का चूहों और खरगोशों पर किया गया ट्रायल सफल रहा था, जिसके बाद इनके डेटा डीसीजीआई के सामने सबमिट किए गए थे। इसके बाद दोनों को शुरुआती चरणों के तहत इस महीने मानव परीक्षण करने की अनुमति दी गई थी।' ट्रायल से जुड़ी अन्य जानकारियां देते हुए डॉ. भार्गव ने कहा, 'ट्रायल के लिए उन्होंने जिन जगहों का चयन किया था, वे पूरी तरह तैयार हैं। वहां करीब 1,000 वॉलन्टियर्स की क्लिनिक स्टडी की जा रही है।'

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वहीं, कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत की भूमिका का जिक्र करते हुए आईसीएमआर महानिदेशक ने कहा, 'भारत को दुनिया का सबसे बड़ा औषधि निर्माता कहा जाता है। अमेरिका में इस्तेमाल हो रही दवाओं का 60 प्रतिशत हिस्सा मूलरूप से भारतीय है।' उन्होंने आगे कहा, 'एक महत्वपूर्ण अनजान तथ्य यह है कि दुनियाभर में 60 प्रतिशत वैक्सीन की आपूर्ति भारत से होती है। फिर चाहे अफ्रीका हो, यूरोप हो या दक्षिणपूर्व एशिया या कोई और क्षेत्र। वैक्सीन सप्लाई के मामले में भारत विश्व में एक महत्वपूर्ण भागीदार है।'

डॉ. भार्गव ने बताया कि दुनियाभर के विकसित देश वैक्सीन सप्लाई को लेकर भारत के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा, 'दुनिया के किसी भी हिस्से में वैक्सीन विकसित हो, उसका उत्पादन आखिर में भारत या चीन द्वारा ही किया जाना है। ये दोनों देश वैक्सीन के सबसे बड़े निर्माता हैं। जो भी देश वैक्सीन बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं, वे इस बात को जानते हैं। इसीलिए वे भारत से संपर्क बनाए हुए हैं।'

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