वैक्सीन लगवाना अनिवार्य नहीं है, लेकिन कोरोना माहामारी के प्रकोप को देखते हुए वैक्सीन लगवाने का सुझाव दिया जाता है। एक बार जब आपको वैक्सीन लग जाएगी, तो उसके बाद शरीर कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देगा, इसके बाद यदि आप इस वायरस से संक्रमित हो जाते हैं तो आपका शरीर इस संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार हो जाएगा। कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के बाद न सिर्फ संक्रमण की जटिलताओं में कमी आती है, बल्कि अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम भी कम होता है। साक्ष्य बताते हैं कि यदि आप वैक्सीन लगवाते हैं तो इससे आपके जरिये दूसरों तक वायरस संचारित होने का जोखिम भी कम हो जाता है।
वर्तमान में भारत में तीन अलग-अलग टीके स्वीकृत और उपलब्ध हैं - कोविशील्ड जो कि एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा निर्मित है। कोवैक्सीन जो कि भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड द्वारा तैयार की गई है और हाल ही में लांच हुई स्पूतनिक-वी जो कि गमालिया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी, मॉस्को (रूस) द्वारा निर्मित है। कौन-सी वैक्सीन सबसे अच्छी है यह इसके प्रभावकारिता पर निर्भर करता है। इनमें से कोविशील्ड को 63% प्रभावी माना गया है, जबकि कोवैक्सीन की प्रभावकारिता दर 81% है। लांसेट के अनुसार, स्पूतनिक-वी कोविड-19 के खिलाफ 91% सुरक्षा देती है। इन तीनों वैक्सीन की प्रभावकारिता में भिन्नता होने के बावजूद, तीनों को सुरक्षित और प्रभावी घोषित किया गया है। इनमें से जो भी आपके आसपास उपलब्ध हो, उसे जल्द प्राप्त करें। आने वाले समय में कुछ अन्य टीके भी भारतीय बाजार में उपलब्ध हो सकते हैं।
आमतौर पर, टीकों में वायरस की कुछ मात्रा जरूर होती है, ताकि आपका शरीर उस वायरस के प्रति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया कर सके। कोवैक्सीन में मृत वायरस है जबकि कोविशील्ड में वायरस का एक छोटा सा हिस्सा उपयोग किया गया है।
हाल ही में, एक सरकारी पैनल ने सुझाव दिया है कि जो लोग कोरोना से ग्रस्त हो चुके हैं, उनके ठीक होने के छह महीने बाद टीका लगवाना चाहिए। हालांकि, यह केवल एक सुझाव है, निश्चित रूप से यह जरूरी है कि आप पहले पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएं उसके बाद ही वैक्सीन लगवाएं। अगर आप एसिम्पटोमैटिक (लक्षणों के बिना कोरोना से ग्रस्त होना) थे या आपमें बहुत हल्के लक्षण थे, तो लक्षण नोटिस करने वाले दिन से लेकर अगले 14 दिनों तक इंतजार करना चाहिए। आदर्श रूप से, संक्रमण से उबरने के बाद शरीर में पहले से कुछ एंटीबॉडी बन चुकी होती हैं, इसके बाद आप लगभग 2 महीने तक टीकाकरण को टाल सकते हैं। दुर्भाग्य से, इस बात की कोई निश्चितता नहीं है कि प्रतिरक्षा कितने समय मतबूत बनी रहेगी। अच्छा होगा यदि आप टीकाकरण के संबंध में डॉक्टर से परामर्श लें।
कोविड-19 वैक्सीन वायरस से 100% सुरक्षा प्रदान नहीं करती है, इसलिए कोरोना वैक्सीन लगने के बाद सावधानी बरतना बेहद आवश्यक है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां टीकाकरण के बाद भी उनकी कोविड जांच पॉजिटिव आई है। लेकिन, सबूत बताते हैं कि यदि वैक्सीन लगवाने के बाद किसी को दोबारा से कोरोना हुआ है तो उनमें लक्षण अक्सर हल्के होते हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने या गंभीर जटिलताओं का सामना करने का जोखिम कम हो जाता है।
हाल ही आई नई गाइडलाइंस के मुताबिक, 1 मई से 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति टीका लगवा सकता है, लेकिन यदि आप किसी अंतर्निहित स्थिति से ग्रस्त हैं तो डोज लेने से पहले इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं। इसके अलावा टीकाकरण का पहला डोज लेने के बाद कुछ नकारात्मक घटनाएं देखने को मिली हैं, ऐसे में कोवैक्सिन के निर्माता भारत बायोटेक ने सुझाया है कि गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाएं, तेज बुखार या ब्लीडिंग डिसऑर्डर वाले लोगों को टीका नहीं लगवाना चाहिए। दूसरी ओर, कोविशील्ड के निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने सुझाया है कि जिन्हें वैक्सीन में इस्तेमाल किए जाने वाले किसी भी पदार्थ से गंभीर रूप से एलर्जी हो सकती है, उन्हें इस वैक्सीनेशन से बचना चाहिए।
भारत बायोटेक का कोवैक्सिन किसे नहीं लगवानी चाहिए?
जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक नहीं है या जो लोग ऐसी दवाएं ले रहे हैं जो प्रतिरक्षा को प्रभावित कर सकती हैं
एसआईआई की कोविशील्ड किसे नहीं लगवानी चाहिए?
कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनों निर्माताओं की तरफ से जारी फैक्ट शीट के अनुसार, डोज लेने से पहले डॉक्टर को निम्नलिखित बातों के बारे में बताएं :
भारत में वर्तमान में कोविड-19 के तीन टीके मौजूद हैं, उपलब्ध सभी टीकों के लिए आपको दो खुराक लेने की आवश्यकता होती है। अध्ययनों से पता चला है कि कोविशील्ड का एक शॉट घर में संचरण के जोखिम को 50% तक कम कर सकता है। जब दूसरी खुराक यदि 12 या अधिक सप्ताह के अंतराल पर ली जाती है, तो निष्कर्ष बताते हैं कि टीके की प्रभावशीलता काफी (82 फीसद तक) बढ़ जाती है।
वैक्सीन लगवाने के बाद आपको हल्के साइड इफेक्ट झेलने पड़ सकते हैं। इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द व टेंडरनेस (छूने पर दर्द) महसूस हो सकता है, इसलिए अच्छा होगा कि आप नॉन-डोमिनेंट भुजा (जो आपकी प्रमुख भुजा नहीं है) में लगवाएं। कोरोना वैक्सीन लगने के बाद लक्षणों में हल्का बुखार, बदन दर्द, थकान, सिरदर्द, ठंड लगना और जी मिचलाना आदि शामिल हैं। खैर, यह सभी दुष्प्रभाव समय के साथ अपने आप दूर हो जाते हैं, लेकिन आप चाहें तो इसे जल्द ठीक करने के लिए डॉक्टर से पूछकर पैरासिटामोल ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त यदि दुष्प्रभाव बने रहते हैं या गंभीर हो जाते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
कोविड-19 वैक्सीन के साइड इफेक्ट दिखने का समय निश्चित नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार, इंजेक्शन लगने के 24 घंटे बाद लक्षण दिखाई देने शुरू हो सकते हैं। वैक्सीन के साइड इफेक्ट का अनुभव होना पूरी तरह से सामान्य है, यह चिंता का कारण नहीं है।
इस वैक्सीन के साइड इफेक्ट की अवधि एक व्यक्ति से दूसरे में भिन्न हो सकती है। यह एक दिन से लेकर एक हफ्ते तक भी बने रह सकते हैं, लेकिन यदि दुष्प्रभाव 7 दिनों से अधिक समय तक बने रहते हैं, तो आपको डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत है।
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि कोविड-19 वैक्सीन वायरस से पूर्ण सुरक्षा नहीं देती है, लेकिन हां एक बार जब आप टीका लगवा लेते हैं, तो उसके बाद अस्पताल में भर्ती होने, गंभीर जटिलताओं का सामना करने या दूसरों को वायरस संचारित करने का जोखिम आधे से कम हो जाता है, लेकिन पूर्णरूप से जोखिम खत्म नहीं होता है इसलिए जरूरी है कि वैक्सीन के बाद भी सभी सावधानियां बरतें।
पिछले कुछ समय में कोविशील्ड खुराक के बीच का अंतर बढ़ गया है, जिसकी वजह से कुछ लोग भ्रमित हो सकते हैं। मूल रूप से, खुराक के बीच का अंतर पहले 28 दिनों का था। फिर, कोविशील्ड की दो खुराक के बीच का अंतर बदलकर 6 से 8 सप्ताह कर दिया गया। अब, केंद्र सरकार ने इस अंतर को और बढ़ा दिया है, उनके अनुसार, दोनों खुराको के बीच 12 से 16 सप्ताह का अंतर होना चाहिए। दूसरी तरफ, कोवैक्सीन की खुराक के बीच का अंतर नहीं बदला गया है, उसमें 28 दिनों के बाद दूसरी डोज ली जा सकती है।
वर्तमान में, दो अलग-अलग कंपनियों का टीका लेना व इससे होने वाले प्रभाव के बारे में कोई डाटा नहीं है। बेहतर होगा कि जब तक यह स्पष्ट न हो जाए, हमें ऐसा करने से बचना चाहिए। इसके अलावा यदि किसी वजह से आप उसी कंपनी की दूसरी डोज नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं तो इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
एक अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 वैक्सीन गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित हो सकती है। हालांकि, यह अध्ययन मॉडर्ना या फाइजर वैक्सीन पर किया गया था। भारत में उपलब्ध टीकों का गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर क्या असर है, इस पर अभी तक परीक्षण नहीं किया गया है। लेकिन एक सरकारी पैनल ने कहा है कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं या तो कोविशील्ड या कोवैक्सिन टीके ले सकती हैं। यदि आप गर्भवती हैं या आपको संदेह है कि आप गर्भवती हैं तो बेहतर होगा आप टीकाकरण के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।
कोविड-19 वैक्सीन SARS-Cov-2 वायरस के प्रति प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करता है। टीकाकरण की मदद से प्रतिरक्षा विकसित करने का मतलब है कि बीमारी और उसके परिणामों के विकसित होने का जोखिम काफी कम हो गया है। यह वायरस से लड़ने में मदद करती है। टीका लगवाने से न सिर्फ आपकी बल्कि आपके आस-पास के लोगों को भी सुरक्षा मिलती है, क्योंकि यदि आप संक्रमण व बीमारी से सुरक्षित हैं, तो आपके आसपास के लोगों में भी जोखिम कम हो जाएगा। कोविड-19 वैक्सीन लगवाना ऐसे लोगों में और भी जरूरी है, जिनमें कोविड-19 व इससे होने वाली गंभीर बीमारी का खतरा ज्यादा है जैसे डॉक्टर, वृद्ध या उम्रदराज वयस्क और किसी दूसरी बीमारियों से ग्रस्त, जिसकी वजह से उनमें प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है।
वैसे तो इस विषय पर अभी तक कोई रिसर्च सामने नहीं आयी है, लेकिन रूस और यूनाइटेड किंगडम के विशेषज्ञों का मानना है कि लोगों को कोविड-19 वैक्सीन लगवाने से पहले थोड़े समय के लिए शराब का सेवन बंद कर देना चाहिए। वहीं, संयुक्त राज्य अमेरिका के विशेषज्ञों का कहना है कि कभी कभार या मध्यम मात्रा में शराब का सेवन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रभावित नहीं करेगा।
इसके अलावा क्रिस्टोफर थॉम्पसन, जो कि लोयोला यूनिवर्सिटी मैरीलैंड के जीव विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं और इम्यूनोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी में माहिर हैं, ने बताया है कि टीकाकरण के समय अत्यधिक शराब से दूर रहना चाहिए। कोविड-19 वैक्सीन और अल्कोहल में क्या संबंध है इस पर कोई डाटा नहीं है, लेकिन अत्यधिक शराब का सेवन प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ा हो सकता है। उनके अनुसार, आदर्श रूप से कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक से कम से कम एक सप्ताह पहले और दूसरी खुराक के एक महीने बाद तक इससे बचना एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
यदि भारत की बात करें, तो केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के विशेषज्ञों के अनुसार, शराब के सेवन और टीके की प्रभावशीलता कम होने को लेकर कोई सबूत नहीं है।
आम लोगों की तुलना में गर्भवती महिलाओं में कोविड-19 से गंभीर रूप से बीमार होने का जोखिम ज्यादा होता है। कोविड-19 से ग्रस्त गर्भवती महिलाओं में समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ जाता है। यदि आप गर्भवती हैं, तो आप कोविड-19 वैक्सीन ले सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान कोविड-19 का टीका लगवाने से कोविड-19 से जुड़ी गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है। हालांकि, वर्तमान में गर्भवती महिलाओं में कोविड-19 टीकों की सुरक्षा पर जानकारी सीमित है।
कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने के अलावा, खुद को संक्रमित होने से बचाने का एकमात्र तरीका टीका लगवाना है। चूंकि कोविड-19 के मामलों की संख्या में हाल ही में तेजी से वृद्धि देखने को मिली इसीलिए टीकाकरण प्रक्रिया में भी तेजी लाई जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनमें कोरोना वायरस संक्रमण होने का खतरा अधिक है और इसलिए उन्हें जल्द से जल्द टीका लगवाने का सुझाव दिया जाता है। इतना ही नहीं, धूम्रपान फेफड़ों की क्षमता को भी कम करता है जिससे सांस संबंधित अन्य बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है।
सोशल मीडिया पर इस विषय को लेकर कई तरह की बातें हैं, अफवाहों के अनुसार लड़कियों और महिलाओं को पीरियड्स के पांच दिन पहले और बाद में वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि इस दौरान उनकी प्रतिरक्षा काफी कमजोर होती है। लेकिन सरकार ने इन अफवाहों को खारिज करते हुए सुझाव दिया है कि पीरियड्स के दौरान या इन दिनों के आसपास कोविड-19 वैक्सीन लेना पूरी तरह से सुरक्षित है।