अमेरिका की बड़ी फार्मास्यूटिकल कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन (जेएनजे) ने अपनी कोविड-19 वैक्सीन को लेकर अहम जानकारी दी है। कंपनी के उच्चाधिकारी ने कहा है कि जॉनसन एंड जॉनसन युवाओं पर वैक्सीन को टेस्ट करने की प्लानिंग कर रही है। इसके तहत 12 से 18 वर्ष की उम्र के युवाओं को ये टीका लगाया जाएगा। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, जॉनसन एंड जॉनसन के कार्यकारी अधिकारी डॉ. जेरी सडॉफ ने बीते शुक्रवार को ये जानकारी दी। कंपनी की जेनसेन यूनिट में वैक्सीन रिसर्च से जुड़े वैज्ञानिक डॉ. जेरी सैडॉफ ने शीर्ष अमेरिकी हेल्थ एजेंसी सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन यानी सीडीसी द्वारा आयोजित एक मीटिंग में बताया कि जेएनजे ने युवाओं पर वैक्सीन का टेस्ट करने की योजना तैयार की है, जिसे जल्दी से जल्दी पूरा किया जाएगा। इससे पहले एक अन्य अमेरिकी वैक्सीन निर्माता कंपनी फाइजर ने 12 साल के बच्चों पर अपनी संभावित कोरोना वायरस वैक्सीन का परीक्षण करने की बात कही थी। खबरों के मुताबिक, कंपनी यह प्रक्रिया शुरू कर दी है।

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अमेरिका में कोविड वैक्सीन के टीकाकरण के संबंध में सीडीसी की सलाहकार समिति की एक वर्चुअल मीटिंग में डॉ. जेरी सडॉफ ने बताया, 'हम जल्दी से जल्दी बच्चों को वैक्सीन देने वाले है। लेकिन यह सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है, इसलिए हमें बहुत सावधानी भी बरतनी होगी।' सडॉफ ने यह भी कहा कि सुरक्षा और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए कंपनी छोटे बच्चों को भी वैक्सीन देने की योजना पर काम कर रही है। गौरतलब है कि जेएनजे तीसरी स्टेज के ट्रायल के तहत 60,000 वॉलिंटियर्स पर अपनी कोरोना वैक्सीन की टेस्टिंग कर रही है। हालांकि इस महीने की शुरुआत में ट्रायल के दौरान एक प्रतिभागी में गंभीर रिएक्शन होने के चलते परीक्षण को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा था। लेकिन पिछले सप्ताह ट्रायल फिर से शुरू कर दिया गया है।

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क्या है एडी26-सीओवी-2-एस?
जॉनसन एंड जॉनसन ने जुलाई महीने में घोषणा की थी कि उसने कोविड-19 महामारी की वजह बने नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 को खत्म करने के लिए 'एडी26-सीओवी-2-एस' नामक वैक्सीन का विकास किया है। इस टीके को 'जेएनजे-78436735' भी कहा जाता है। दो महीने पहले जब पहली बार कंपनी इस वैक्सीन के एनीमल ट्रायलों के परिणाम लेकर सामने आई थी तो दावा किया गया था कि बंदरों पर किए गए इन परीक्षणों में वैक्सीन ने सकारात्मक परिणाम दिए हैं। तब जानी-मानी विज्ञान व मेडिकल पत्रिका 'नेचर' ने इन परिणामों और इनसे जुड़े अध्ययन को प्रकाशित किया था। इसमें बताया गया है था जेएनजे की कोरोना वैक्सीन 'एडी26' (एडिनोवायरस) नाम के वायरस पर आधारित है। रिपोर्टों के मुताबिक, वैक्सीन बनाने वाले शोधकर्ताओं ने इस विषाणु में कुछ इस तरह के बदलाव किए हैं कि यह कोरोना वायरस के स्पाइक प्रोटीन को जीवित रखते हुए उसे अपने साथ रखकर चल सकता है। पत्रिका की मानें तो एडी26 मानव कोशिकाओं में घुस सकता है, लेकिन अपनी कॉपियां नहीं बना सकता। यह विशेषता एडी26-सीओवी-2-एस को सुरक्षित बनाती है।

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