कोविड-19 के खिलाफ सक्षम और सुरक्षित वैक्सीन बनाने की दौड़ में यूरोप की प्रतिष्ठित कैंब्रिज यूनिवर्सिटी भी शामिल हो गई है। उसने कोरोना वायरस को रोकने के लिए 'डीआईओएस-कोवाक्स2' नाम की वैक्सीन तैयार की है। खबर है कि इसके ट्रायल के लिए यूनाइटेड किंगडम की सरकार ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और उसके सहयोगी संस्थानों को करीब दो मिलियन पाउंड (करीब 18.53 करोड़ रुपये) का अनुदान दिया है। इस वित्तीय मदद से कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से जुड़ी एक कंपनी डायोसिनवैक्स और यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल साउथहैम्प्टन एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट के बीच साझेदारी करने में मदद मिलेगी। इन संस्थानों के सहयोग से ही डीआईओएस-कोवाक्स2 वैक्सीन को तैयार किया गया है। खबरों के मुताबिक, डायोसिनवैक्स ने भी ट्रायल के लिए चार लाख पाउंड (करीब 3.90 करोड़ रुपये) देने का वादा किया है। यह ट्रायल इस साल की दूसरी छमाही में यूके के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च के साउथहैम्प्टन क्लिनिकल रिसर्च केंद्र में किए जाएंगे।

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क्या है डीआईओएस-कोवाक्स2 वैक्सीन?
कोविड-19 के खिलाफ तैयार की गई इस वैक्सीन को पहले से मौजूद सभी ज्ञात कोरोना वायरसों के जेनेटिक सीक्वेंस के आधार पर विकसित किया गया है। इनमें वे सीक्वेंस भी शामिल हैं, जिन्हें चमगादड़ों में पाए जाने वाले कोरोना वायरस से लिया गया है। शोधकर्ताओं की टीम ने विशेष रूप से तैयार की गई प्रयोगशालाओं में कंप्यूटरों की मदद से कृत्रिम वंशाणुओं (सिंथैटिक जीन्स) को एंटीजन स्ट्रक्चर का रूप दिया। उद्देश्य था इम्यून सिस्टम को वायरस की सतह की कुछ खास या कमजोर जगहों पर हमला करने योग्य बनाना और एंटी-वायरल रेस्पॉन्स पैदा करना। इस काम में कंप्यूटर-जेनरेटिड अप्रोच इसलिए अपनाई गई ताकि अगर वायरस गलत जगहों की पहचान कर ले तो इससे इम्यून सिस्टम विपरीत हाइपर-इनफ्लेमेटरी इम्यून रेस्पॉन्स न पैदा कर ले।

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वैक्सीन को तैयार करने में शामिल विज्ञानी और कैंब्रिज यूनिवर्सिटी लैबोरटेरी ऑफ वायरल जूनॉटिक्स के प्रमुख जॉनथन हीने का कहना है, 'हमने अपनी अप्रोच में 3डी कंप्यूटर मॉडलिंग को अपनाते हुए सार्स-सीओवी-2 वायरस के स्ट्रक्चर तैयार किए हैं। हम इसकी (वायरस) कमजोर जगहों का पता लगा रहे हैं। वायरस के ऐसे हिस्से, जिन्हें वैक्सीन तैयार करने में इस्तेमाल किया जा सके और जिससे इम्यून रेस्पॉन्स को सही दिशा में काम करने का निर्देश मिले। कुल मिलाकर हमारा उद्देश्य ऐसी वैक्सीन बनाना है, जो न सिर्फ सार्स-सीओवी-2 से सुरक्षा प्रदान करे, बल्कि जानवरों से इन्सानों में फैलने वाले अन्य कोरोना वायरसों के खिलाफ भी काम करे।'

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डायोसिनवैक्स कंपनी की वैक्सीन डीएनए का इस्तेमाल कर एंटीजन डिलिवर करती है। कैंब्रिज का कहना है कि कृत्रिम जीन्स को इस तरह इन्सर्ट करने की तकनीक कई प्रकार के वैक्सीन डिलिवरी सिस्टम में इस्तेमाल की जा सकती है। उसकी मानें तो जीन बनाने में इस्तेमाल होने वाला डीएनए वेक्टर सुरक्षित है और कोरोना वायरस के साथ अन्य रोगाणुओं के खिलाफ इम्यून रेस्पॉन्स देने में भी प्रभावी है। यूनिवर्सिटी ने पहले और दूसरे चरण के शुरुआती ट्रायलों के परिणामों के आधार पर यह जानकारी दी है।'

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