एक तरफ जहां दुनियाभर में कोविड-19 महामारी के तेजी से बढ़ते मामलों ने लोगों की परेशानी बढ़ा रखी है और सभी लोग वैक्सीन के इंतजार में हैं, वहीं भारत के कई शहरों में कोविड-19 के रिकवर हो रहे मरीजों में एक और जानलेवा इंफेक्शन देखने को मिल रहा है जिसमें भारत में एक नया आउटब्रेक बनने की पूरी क्षमता नजर आ रही है। यह एक दुर्लभ जानलेवा फंगल इंफेक्शन है जिसका नाम है म्यूकोरमाइकोसिस। 

कोविड-19 की वजह से ट्रिगर हो रहा ब्लैक फंगस
यह फंगल इंफेक्शन जिसे ब्लैक फंगस भी कहते हैं के मामले सबसे पहले दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में देखने को मिले थे जहां 15 दिनों के अंदर कोविड-19 के रिकवर हो रहे 13 मरीजों में म्यूकोरमाइकोसिस इंफेक्शन देखने को मिला था। इनमें से 5 लोगों की मौत हो गई थी और 5 से 6 मरीज ऐसे थे जिनकी आंखों की रोशनी स्थायी रूप से खत्म हो गई। चूंकि कोविड-19 के रिकवर हो रहे मरीजों में इस ब्लैक फंगल इंफेक्शन के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं इसलिए इसे कोविड-19 की वजह से ट्रिगर होने वाला म्यूकोरमाइकोसिस कहा जा रहा है। गंगा राम अस्पताल के ईएनटी सर्जन्स ने सबसे पहले इस इंफेक्शन के बारे में जानकारी दी थी।

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अहमदाबाद में 44 केस, 9 की मौत
दिल्ली के बाद अब अहमदाबाद में भी इस ब्लैक फंगस ने कोविड-19 के रिकवर हो रहे मरीजों को तेजी से अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में अब तक 44 लोगों को म्यूकोरमाइकोसिस इंफेक्शन की वजह से भर्ती कराया गया है और इनमें से 9 लोगों की मौत भी हो चुकी है। उधर, पुणे में भी कोविड-19 की वजह से होने वाले म्यूकोरमाइकोसिस के 30 मामले रिपोर्ट किए गए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इन सभी मामलों में कॉमन लिंक ये है कि मरीज कोविड-19 से रिकवर हो रहा था और वह प्रतिरक्षा में अक्षम यानी इम्यूनोकॉम्प्रोमाइज्ड था। साथ ही यह इंफेक्शन आंख, नाक और जबड़े की हड्डी को सबसे अधिक प्रभावित कर रहा है और अगर यह इंफेक्शन मस्तिष्क तक पहुंच जाए तो मरीज की मौत की आशंका 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

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नाक, आंख और मुंह को प्रभावित करता है यह फंगल इंफेक्शन
पुणे में म्यूकोरमाइकोसिस इंफेक्शन से पीड़ित मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि इन सभी मरीजों में पहले से डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, ट्यूमर या फिर एचआईवी जैसी बीमारियां थीं। पुणे के एमजेएम हॉस्पिटल के डॉक्टर यश भौलिकर जिन्होंने इस फंगल इंफेक्शन के 11 मामलों को देखा है ने 55 साल की एक महिला में म्यूकोरमाइकोसिस का जिक्र करते हुए बताया, "यह महिला कोविड-19 से रिकवर हो रही थी और तभी उसने अपनी नाक में किसी तरह की रुकावट या बाधा महसूस की और 2 दिन के अंदर ही उसकी आंखों में सूजन हो गई। उसकी जांच करने पर हमने देखा कि उसके मसूड़ों में पस जमा हो गया था उसके मुंह में मौजूद सारे दांत ढीले और अस्थिर हो गए थे। उनकी नाक में फंगस नजर आया और उन्हें पहले से डायबिटीज की समस्या थी।"   

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भारत में पहले भी सामने आ चुके हैं म्यूकोरमाइकोसिस के मामले
फिलहाल म्यूकोरमाइकोसिस के मामले भले ही सिर्फ कोविड-19 के रिकवर हो रहे मरीजों में नजर आ रहे हों लेकिन यह कोई नया फंगल इंफेक्शन नहीं है और भारत में बीते एक दशक में इस इंफेक्शन के कई मामले सामने आ चुके हैं। अमेरिका के सीडीसी की मानें तो म्यूकोरमाइसीट्स नाम के फंगस या फफूंद की वजह से म्यूकोरमाइकोसिस बीमारी होती है। भारत में होने वाले इंडियन म्यूकोरमाइकोसिस संक्रमण के कुछ यूनीक फिचर्स हैं और इस कारण इसे राइनो-ऑर्बिटल-सेरेब्रल-म्यूकोरमाइकोसिस (आरओसीएम) कहा जाता है। लिहाजा इसकी पहचान करना बेहद जरूरी है ताकि जहां तक संभव हो इसे कंट्रोल किया जा सके।

आरओसीएम मुख्य रूप से साइनस, ब्रेन और मुंह को प्रभावित करता है और इसके लक्षणों में- नाक या साइनस में कंजेशन महसूस होना, चेहरे के एक तरफ सूजन होना, बुखार, सिरदर्द और नाक के बीच में मुंह के अंदर तालु में काले रंग के घाव होना शामिल है। इसके इलाज के लिए एंटी-फंगल दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन अगर यह इंफेक्शन शरीर के एक बड़े हिस्से को प्रभावित कर दे तो सर्जरी की भी जरूरत हो सकती है।

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इंफेक्शन से बचने के लिए क्या करें
जिन लोगों की उम्र 50 साल से अधिक है, पहले से ही डायबिटीज, हाई बीपी या एचआईवी जैसी कोई बीमारी है और जो कोविड-19 इंफेक्शन से रिकवर हो रहे हैं उनमें यह जानलेवा फंगल इंफेक्शन ज्यादा देखने को मिल रहा है। लिहाजा ऐसे लोगों को 

  • पानी से संक्रमित क्षेत्रों में जाने से बचना चाहिए
  • खराब हो चुके भोजन का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए
  • हमेशा मास्क पहनकर रखें ताकि आप जीवाणुओं को सांस के जरिए शरीर के अंदर लेने से बच जाएं
  • अपने घर के अंदर के वातावरण को साफ रखें ताकि फंगस और जीवाणु न आ सकें, फ्रिज और किचन को भी साफ रखें
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