अनुसंधानकर्ताओं ने आखिरकार इस बात के सबूत जुटा लिए हैं कि गर्भवती महिलाएं जो कोविड-19 पॉजिटिव पायी जाती हैं वे इस नए कोरोना वायरस इंफेक्शन को अपने गर्भ में पल रहे शिशु को हस्तांतरित कर सकती हैं। हालांकि, गर्भाशय तक पहुंचने के लिए नया कोरोना वायरस जिस रास्ते को अपनाता है वह रास्ता फेफड़े, हृदय और रक्त धमनी तक पहुंचने वाले रास्ते से बिलकुल अलग है।
प्लेसेंटा (गर्भनाल) और ऐमनियोटिक फ्लूइड में कोविड-19 के संकेत
जब यूरोप में कोविड-19 का प्रकोप अपने पूरे चरम पर था उस दौरान फ्रांस की राजधानी पैरिस स्थित सैकले यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में आपातकालीन परिस्थितियों में सिजेरियन सेक्शन के जरिए एक बच्चे का जन्म हुआ जिसे जन्म के महज 3 दिन के अंदर ही मस्तिष्क में सूजन की समस्या हो गई। नवजात शिशु की 23 साल की मां कोविड-19 पॉजिटिव थी, और यही कारण था कि डॉक्टरों ने इससे जुड़ा हर तरह का टेस्ट कर डाला। डॉक्टरों ने प्लेसेंटा यानी गर्भनाल, ऐमनियोटिक फ्लूइड (वॉटर ब्रेक होने से पहले), गर्भवती महिला का खून, नवजात शिशु का खून और शिशु के फेफड़ों और मस्तिष्क में जमा तरल पदार्थ (सेरोब्रोस्पाइनल फ्लूड) तक की जांच की।
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3 महीने बाद अब वह महिला और उसका बच्चा, दोनों की सेहत ठीक है लेकिन इस केस से चिकित्सीय अनुसंधानकर्ताओं ने कुछ ऐसा पाया है जिसकी खोज वे पिछले 6 महीने से भी ज्यादा समय से कर रहे थे। इस बात के सबूत की कोविड-19 गर्भवती महिला इस वायरल इंफेक्शन को गर्भ में पल रहे अपने बच्चे को हस्तांतरित कर सकती है। लेकिन यह सिर्फ कहानी का आधा हिस्सा है।