कोविड-19 महामारी को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने संभवतः अब तक की सबसे बड़ी चेतावनी दी है। उसने कहा है कि इस बढ़ते स्वास्थ्य संकट की वजह से निकट भविष्य में दुनिया के हालात पहले जैसे होने की कोई संभावना नहीं है और परिस्थितियां और ज्यादा खराब होने वाली हैं। डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम गेब्रेयेसस ने सोमवार को हुई दैनिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'मुझे साफ-साफ बोलने दीजिए। कई देश गलत दिशा में चले गए हैं। वायरस लोगों का सबसे बड़ा दुश्मन बना हुआ है। अगर बुनियादी सावधानियों का पालन नहीं किया गया तो यह महामारी बदतर से और ज्यादा बदतर होने वाली है।'

डॉ. टेड्रोस गेब्रेयेसस का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब कोरोना वायरस के नए मामलों की वैश्विक संख्या आए दिन नया रिकॉर्ड बना रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, रविवार को दुनियाभर में दो लाख 30 हजार से ज्यादा नए मरीजों की पुष्टि हुई है। यह डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के हिसाब से एक दिन में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए लोगों की अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। ऐसे में डब्ल्यूएचओ प्रमुख का कहना है कि कोविड-19 संकट को लेकर कई देशों का नजरिया सही नहीं है। उन्होंने कहा, 'निकट भविष्य में हालात पहले जैसे होने की कोई संभावना नहीं है। हमें बहुत सारी बातों पर चिंता करने की जरूरत है।'

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इसके अलावा, अमेरिका के खुद को औपचारिक रूप से डब्ल्यूएचओ से अलग करने के फैसले को लेकर टेड्रोस ने कहा कि उन्हें अमेरिकी सरकार की तरफ से इस संबंध में कोई नोटिफिकेशन नहीं मिला है। गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने देश के डब्ल्यूएचओ से अलग होने की घोषणा की थी। बीते हफ्ते ट्रंप प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी से अलग होने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इस पूरे विवाद की वजह अमेरिका का यह दावा है कि कोविड-19 महामारी को लेकर डब्ल्यूएचओ का रवैया चीन के प्रति पक्षपाती रहा है। इसके अलावा ट्रंप का यह भी आरोप है कि कोरोना वायरस संकट से निपटने के डब्ल्यूएचओ के तौर-तरीके सही नहीं हैं, जिसके कारण महामारी पूरी दुनिया के लिए बड़े खतरे के रूप में सामने आई।

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बहरहाल, तमाम विवादों के बीच डब्ल्यूएचओ की एक टीम चीन के लिए रवाना हो चुकी है। बताया गया है कि वहां यह टीम नए कोरोना वायरस के ऑरिजिन को लेकर जांच करेगी। बता दें कि नए कोरोना वायरस सबसे पहले पिछले साल दिसंबर में चीन के वुहान शहर में पाया गया था। उसके बाद यह वायरस अंतरराष्ट्रीय यात्रियों और चीन में रह रहे दूसरे देशों के नागरिकों के जरिये पूरे दुनिया में फैलता चला गया। हालांकि ऐसे भी शोध सामने आए हैं, जो बताते हैं कि वायरस दिसंबर 2019 में चीन द्वारा वायरस मिलने की औपचारिक घोषणा से पहले ही अन्य देशों में फैल चुका था।

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