सार्स-सीओवी-2 के अस्तित्व में आने से लेकर अब तक वायरस से जुड़ी अहम जानकारियों का पता चला है। इसमें संक्रमण की गंभीरता से जुड़े कई तथ्य सामने आए हैं। हालांकि, वैज्ञानिक अब भी कोरोना वायरस से संबंधित हर रोचक जानकारी का पता करने में लगे हैं ताकि संक्रमण के प्रसार को कम करने में मदद मिल सके है। इसी के तहत शोधकर्ताओं ने अपनी एक नई रिसर्च में कैंसर के साथ कोविड-19 के ऐसे मामले के बारे में बताया जो कि असामान्य था। दरअसल कोरोना वायरस से संक्रमित अधिकांश लोग लगभग आठ दिनों तक अन्य लोगों में वायरस फैला सकते हैं। लेकिन रिसर्च में एक ब्लड कैंसर के मरीज के बारे में बताया गया है, जिसके शरीर में 105 दिन तक वायरस एक्टिव रहा है। साथ ही वह कम से कम 70 दिन तक संक्रमण फैला सकता था। हैरानी की बात है कि इस पूरी अवधि के दौरान मरीज को कोविड-19 संक्रमण से जुड़ा कोई लक्षण महसूस नहीं हुआ यानी वह एसिम्टमैटिक ही रहा।

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शरीर में कब तक सक्रिय रहता है वायरस?
चिकित्सा क्षेत्र की प्रमुख पत्रिका "जर्नल सेल" में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक इस अध्ययन में यह समझने की कोशिश की गई कि लोग कब तक सक्रिय रूप से संक्रमित रह सकते हैं। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे कोविड-19 के बारे में नई जानकारी मिलती है, जिसे अभी तक अच्छे तरीके से समझा नहीं गया है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीज में एक वायरोलॉजिस्ट और वरिष्ठ शोधकर्ता विंसेंट मुंस्टर का कहना है "जिस समय हमने यह अध्ययन शुरू किया था, हम वास्तव में वायरस की अवधि के बारे में ज्यादा नहीं जानते थे। चूंकि, यह वायरस फैल रहा है, इसलिए इम्युनोसप्रेसिंग डिसऑर्डर (कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोग) से जुड़े अधिकांश लोग संक्रमित हो जाएंगे। यहां ये समझना महत्वपूर्ण है कि सार्स-सीओवी-2 वायरस इन लोगों के बीच कैसे व्यवहार करता है।"

70 दिन तक संक्रमक रही महिला 
अध्ययन के अनुसार, अमेरिका के वॉशिंगटन (किर्कलैंड) में एक महिला महामारी की शुरुआत में ही सार्स-सीओवी-2 वायरस से संक्रमित हो गई थी। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह महिला 71 वर्षीय थी जो कि कमजोर प्रतिरक्षा के साथ क्रोनिक (लंबे समय से चले आ रहे) ब्लड कैंसर से पीड़ित थी। लेकिन कभी भी उसमें कोविड-19 के लक्षण दिखाई नहीं दिए। हैरानी की बात है कि कई हफ्तों तक आरटी-पीसीआर के जरिए किए गए टेस्ट में उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव ही आई। रिपोर्ट में बताया गया है कि गंभीर एनीमिया के लिए अस्पताल में भर्ती होने के बाद उसकी जांच की गई तो वह वायरस से संक्रमित पाई गई थी।

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इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि महिला की पहली बार रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद वह कम से कम 70 दिनों तक संक्रामक रही। हालांकि, इसके बाद भी 105 दिनों तक महिला के शरीर में कोरोना वायरस एक्टिव रहा। शोधकर्ता विंसेंट मुंस्टर का कहना है "यह कुछ ऐसा था जिसकी हमें उम्मीद थी कि ऐसा हो सकता है, लेकिन ऐसा पहले कभी रिपोर्ट नहीं किया गया।" शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि महिला इतने लंबे समय तक संक्रामक रही, क्योंकि उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली ने उसे कभी भी एक्टिव रिस्पॉन्स नहीं दिया। उन्होंने ब्लड टेस्ट में पाया कि उनका शरीर कभी भी एंटीबॉडीज बनाने में सक्षम नहीं था।

वैज्ञानिकों का कहना है कि एंटीबॉडी (कोविड-19 के रिकवर रोगियों से लिए गए) से किए इलाज से भी महिला के स्वास्थ्य पर बहुत कम प्रभाव दिखाई दिया। हालांकि, एंटीबॉडी की कमजोर प्रतिक्रिया के बावजूद महिला दोबारा कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं हुई। दूसरी ओर जब वैज्ञानिकों ने रोगी को यह देखने के लिए टेस्ट किया कि संक्रमण के दौरान वायरस कैसे व्यवहार करता है तो उन्होंने पाया कि अलग-अलग समय पर वायरस के विभिन्न प्रमुख जीन वेरिएंट दिखाई दिए।

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मुंस्टर के अनुसार, यह सबसे लंबा मामला हो सकता है जब किसी के शरीर में वायरस बिना किसी लक्षणों के एक्टिव रहा हो। उन्होंने कहा, "हमने इन्फ्लूएंजा और मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम (मर्स) के साथ इसी तरह के मामले देखे हैं, जो कोरोना वायरस के कारण भी होता है। हमें भविष्य में और अधिक रिपोर्ट मिले की आशंका है।"

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