कोविड-19 महामारी का प्रकोप लगातार जारी है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक देशभर में कोरोना संक्रमितों की संख्या 68 लाख (6,835,655) के पार पहुंच गई है जबकि संक्रमण के चलते अब तक 1 लाख से अधिक (105,554) लोगों की मौत हो चुकी है। (8 अक्टूबर 2020 के आंकड़े) हालात यह है कि बीते कुछ समय में डेंगू और कोरोना के को-इंफेक्शन के मामले भी सामने आ रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब डेंगू के अलावा टीबी और एचआईवी के साथ कोविड-19 के को-इंफेक्शन के मामलों की भी पुष्टि हुई है।
गंभीर हो सकता है को-इंफेक्शन- स्वास्थ्य विशेषज्ञ
दिल्ली एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया की मानें तो हाल ही के दिनों में देश के कई शीर्ष संस्थानों ने को-इंफेक्शन के रोगियों की जानकारी दी है जिसमें कोरोना के साथ-साथ डेंगू और टीबी (क्षयरोग) संक्रमण से जुड़े रोगियों का भी पता चला है। डॉ. गुलेरिया, जो कि महामारी की निगरानी करने वाली एक कोर टीम का हिस्सा भी हैं उनका कहना है "कोविड-19 के साथ सह-संक्रमण एक महत्वपूर्ण और गंभीर मुद्दा है, क्योंकि अब हम कोविड-19 के साथ-साथ ऐसे रोगियों को भी देख रहे हैं, जो पहले से ही किसी अन्य बीमारी से भी संक्रमित हैं। यह एक बड़ी चुनौती है।"
विशेषज्ञों का कहना है कि शुरूआती क्लीनिकल जांच और लैब मापदंडों के ओवरलैप होने के कारण दो बीमारियों के लक्षणों में अंतर कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है। दिल्ली एम्स अस्पताल के पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. पवन तिवारी के अनुसार, कोविड-19 के गंभीर मामलों में को-इंफेक्शन एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है।
को-इंफेक्शन के कितने मामले?
डॉ. पवन तिवारी ने एम्स के प्रारंभिक आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के 4 हजार 200 रोगियों में से 32 मरीजों में एक्सट्रा पल्मोनरी या पल्मोनरी ट्यूबरक्लोसिस की समस्या थी, 35 मरीज ऐसे थे जिन्हें अंतर्निहित या अप्रत्यक्ष टीबी था यानी उन्हें इस बीमारी के बारे में जानकारी ही नहीं थी। इसके अलावा 27 मरीजों को एचआईवी, 12 रोगियों को हेपेटाइटिस-बी और 11 मरीज डेंगू के संक्रमण से ग्रसित थे। हालांकि, डॉ. पवन तिवारी ने स्पष्ट किया कि इस बात का कोई डेटा उपलब्ध नहीं है कि ये संक्रमण नाम मात्र (बाइस्टैन्डर) के लिए हैं या फिर कोविड-19 की गंभीरता को बढ़ाते हैं।
डॉ. पवन के अनुसार "डेंगू और इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियां एक प्रकार से मौसमी संक्रमण हैं और इन दिनों में कोविड-19 के साथ इनका को-इंफेक्शन तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए इन संक्रमणों को पहचानना और उनको मैनेज करना महत्वपूर्ण है। इतना ही नहीं, डॉक्टरों को को-इंफेक्शन के लिहाज से एचआईवी और हेपेटाइटिस-बी को भी देखना जरूरी है।"
तेजी से बढ़ रहे को-इंफेक्शन के केस
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार हाल ही में कोविड-19 के अस्पताल में भर्ती 4 हजार रोगियों पर हुए एक अध्ययन में पाया गया कि 7 प्रतिशत रोगियों में बैक्टीरियल को-इंफेक्शन था जबकि 3 प्रतिशत को वायरल को-इंफेक्शन था। इसके अलावा 4 से 5 प्रतिशत रोगियों में फंगल को-इंफेक्शन का भी पता चला। वहीं एक अन्य रिसर्च में 67 रोगियों में से 30 रोगियों में को-इंफेक्शन की पुष्टि हुई।
बहरहाल को-इंफेक्शन से जुड़े ये मामले ऐसे समय में सामने आ रहे हैं जब स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार राजधानी दिल्ली में डेंगू और कोविड-19 दोनों के मामलों में तेजी दर्ज की गई है। नगर निगमों द्वारा जारी वेक्टर जनित रोग रिपोर्ट के अनुसार, शहर में पिछले सप्ताह डेंगू के 54 मामले दर्ज किए गए थे जिसके बाद इस सीजन में डेंगू से जुड़े कुल मामलों की संख्या 266 पर पहुंच गई है।